मेरठ में केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान ने 10 सालों के शोध के बाद ग्लूटन और ग्लूकोज फ्री लाल आलू तैयार किया है। आम आलू से इस आलू के रंग और गुण दोनों में अच्छे है। इसकी न्यूट्रिशन वेल्यू आम आलू से कई गुना अधिक है। ग्लूटन और ग्लूकोज फ्री होने के कारण यह मोटापा नहीं बढ़ाएगा। इसको खाने से शुगर होने का भी चांस कम है। अनुसंधान केंद्र ने इस आलू को 'कुफरी नीलकंठ' नाम दिया है। अमूमन आलू खाना सेहत के लिए हानिकारक होता है। लेकिन लाल आलू सेहत के लिए बेहद लाभकारी बताया जा रहा है। तेजी से इसकी मांग भी बढ़ रही है।
केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान के चीफ टेक्निकल ऑफिसर ओमपाल सिंह ने बताया, "आम आलू से इस आलू के रंग और गुण दोनों में अच्छे है। आलू का रंग लाल है। जो अमूमन चुकंदर का रंग की तरह होता है। स्वाद में सामान्य आलू की तरह है। लेकिन इसकी न्यूट्रिशन वैल्यू आम आलू से कई गुना अधिक है।"
सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विवि में मोदीपुरम में 27 मार्च से तीन दिवसीय कृषि मेले में CPRI की तरफ से लाल आलू को प्रदर्शनी लगाई गई है। जो आकर्षण का केंद्र बना है। सोमवार को कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने इस आलू की खासियत को जाना।
कैंसर से लड़ने में मददगार होगा साबित
ओमपाल सिंह ने दावा किया है कि यह आलू कैंसर से लड़ने में सहायक है। इसमें कैंसर से लड़ने के जींस हैं। जो कैंसर को दूर करने में मददगार साबित होंगे। इस कुफरी नीलकंठ आलू में एंटी ऑक्सीडेंट काफी हैं। दूसरा इसमें कैरोटिन एंथोसाइनिन नामक तत्व भी पाए जाते हैं। यह तत्व कैंसर से लड़ने के लिए बेहद ही उपयोगी होता है। कैंसर को कम करने का गुण इसमें पाया जाता है।
ओपी सिंह ने बताया, "पिछले 10 सालों से हम ऐसा आलू बनाने पर काम कर रहे थे। जिसकी न्यूट्रिशन वेल्यू अच्छी हो। रिसर्च के बाद इसे तैयार किया है। ये देखने में बाहर से चुकंदर की तरह लाल है। लेकिन अंदर से डार्क पीला है। आम आलू की तरह इसे उगा सकते हैं। लेकिन इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा अच्छी है। उन्होंने कहा कि रंगीन सब्जियां सेहत के लिए अच्छी होती हैं। डॉक्टर स्वयं कलरफुल चीजें खाने की सलाह देते हैं। "
कृषि वैज्ञानिक किसानों को दे रहे बीज
ओपी सिंह ने बताया, "किसानों में लाल आलू की मांग बढ़ रही है। विभाग की तरफ से उन्हें बीज दिया जा रहा है। पोटैटो रिसर्च सेंटर इसका व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार हो सके। इसके लिए मेले में स्टॉल लगाकर प्रचार किया जा रहा है। किसानों को बीज केंद्रों पर भी अब इसका बीज दे रहे हैं। हालांकि यह अन्य आलू से महंगा है। क्योंकि अभी पैदावार कम है।"
बिना कोल्ड स्टोरेज में रखे रहता है सुरक्षित
उन्होंने कहा , " इस आलू में जड़ें कम है। इसकी उत्पादन क्षमता आम प्रजाति से कम है। लेकिन ये रेड आलू सामान्य की तुलना में उससे दोगुने समय तक बिना कोल्ड स्टोरेंज के सुरक्षित है। जो सामान्य आलू हैं उन्हें एक महीने तक सुरक्षित रह सकता है ,जबकि कुफरी नीलकंठ आलू का दो महीने तक भी सुरक्षित रहता है। इसकी पैदावार साढ़े तीन सौ से 4 सौ कुंतल प्रति हेक्टेयर में होता है। हालांकि जून महीने में इस आलू को भी कोल्ड स्टोर में रखना पड़ेगा।"
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