मेरठ के गन्ना किसान परमाल ने गन्ने की बंपर पैदावार कर प्रदेश में सभी को चकित कर दिया है। अहम बात यह कि परमाल सिंह ने जैविक विधि को अपनाकर बेस्ट क्वालिटी का गन्ना उगाया है। जिस जैविक विधि से खेती करने में किसान हिचकते हैं। उन्हें लगता है कि इससे लागत बढ़ेगी, पैदावार घटेगी। परमाल सिंह ने उस बात को नकारते हुए अच्छी उपज की है और प्रदेश में पहला स्थान भी हासिल किया है।
परमाल सिंह को पूरे यूपी में गन्ना पैदावार के पेड़ी वर्ग में बंपर उपज और 15 फीट गन्ना उगाने के लिए पहला स्थान मिला है। जल्द ही सीएम योगी आदित्यनाथ उन्हें सम्मानित करेंगे। तो जानते हैं गन्ना किसान परमाल की कहानी, इस चैलेंज को कैसे पूरा किया...
मेहनत का फल कभी खाली नहीं जाता
75 वर्षीय परमाल सिंह के बेटे आदेश वर्मा से दैनिक भास्कर की टीम ने बात कर अच्छी उपज का राज जाना। आदेश ने बताया कि हमें गन्ने के लिए राज्य सरकार की तरफ से पेड़ी वर्ग में पहला स्थान मिला है। श्रेय मेरे पिताजी परमाल सिंह को है। वो खुद खेत में मेहनत करते हैं। सारी निगरानी रखते हैं। मेहनत का फल कभी खाली नहीं जाता। हमें उसी का पुरस्कार मिला है। यह राज्य स्तरीय पहला पुरस्कार है। इससे पहले ब्लॉक स्तर पर भी हमें सम्मानित किया जा चुका है।
अच्छी उपज और लंबाई के लिए मिला पुरस्कार
गन्ना विभाग की तरफ से आयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में परमाल सिंह को पेड़ी वर्ग में पहला स्थान मिला है। वजन के आधार पर यह पुरस्कार मिला है। इन्होंने 2090.25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज की है। आमतौर पर 1500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज होती है। बहुत मेहनत पर 1600 तक उपज जा सकती है, लेकिन परमाल सिंह के खेत में 2090.25 क्विंटल उपज मिली है। जो बड़ी बात है।
प्रतियोगिता के लिए 2 हेक्टेयर में लगाया था गन्ना
आदेश वर्मा ने बताया, "यह बड़ी बात है कि 15 फीट का गन्ना हो और उपज भी 2090.25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो। वैसे हम 500 बीघा में से 450 बीघा में गन्ना उत्पादन करते हैं। प्रतियोगिता के लिए 2 हेक्टेयर में गन्ना लगाया था। प्रतियोगिता के लिए गाजियाबाद के डीसीओ, हापुड़ के डीसीओ, गन्ना समिति सचिव और मेरठ के डीसीओ के निरीक्षण में क्रॉप कटिंग की गई। एक कुंतल का वजन लेकर हमारा आवेदन पुरस्कार के लिए गया। ज्यूरी ने हमारे गन्ने को परखा उसके बाद यह पुरस्कार हमें मिला।"
चूना, गुड़, नीम से बनाया एंटीबायोटिक
आदेश वर्मा ने बताया, "हमने सीओ 238 प्रजाति का गन्ना एक हेक्टेयर में लगाया था। गन्ना बोने के बाद एक ड्रम में पुरानी तकनीक से खाद बनाया। पांच लीटर गोमूत्र, बची सब्जियां, दाल, 8 किलो गुड़, आधा किलो हरी मिर्च, एक किलो चूना डालकर लिक्विड तैयार किया। एक महीने बाद ग्लूकोज की बोतल की तरह से खेत में ड्रिप लगाकर इस लिक्विड को पानी के साथ मिलाकर गन्ने पर डाला। ड्रिप की यह प्रक्रिया चार बार अपनाई। इस तरह गन्ने की लंबाई 15 फीट तक हो गई।"
दूरदराज से किसान गन्ना देखने आते हैं
आदेश वर्मा ने बताया, "जब फसल अच्छी हो रही है, अच्छी पैदावार है तो लागत पर बहुत ज्यादा असर नहीं होता। दिक्कत तब होती है जब पैदावार अच्छी न हो। हमारे गन्ने का क्षेत्र में नाम है। लोग हमारे खेत देखने आते हैं। इतना ही नहीं हमारी शुगर मिल सबसे पहले हमारा गन्ना लेती है। सालों से यही मवाना शुगर मिल को हम गन्ना दे रहे हैं। क्योंकि हमारा गन्ना अच्छा और रसदार, वजनी होता है। इसलिए मिल पहले से पहले हमारा गन्ना तौलती है। भुगतान भी मिलता है।"
इस अच्छी उपज और लंबे गन्ने का राज क्या है?
इस सवाल पर आदेश वर्मा ने कहा, "हम 238 गन्ने की प्रजाति लगते हैं। वैसे ये प्रजाति वो है जिसमें मेहनत की जाए तो वो काफी लंबा जा सकता है। बस अपनी मेहनत जरूरी है। दूसरा हमने खेत में पेस्टीसाइट बहुत नाममात्र का प्रयोग करते हैं। बड़ा हिस्सा जैविक खेती और अपने बनाए घोल का होता है। जिसे मेरे पिताजी तैयार कराते हैं। इस घोल में हम घर की गायों, भैंसों का गोबर, गोमूत्र एकत्र करते हैं। नीम की खली, गुड़, चूना, जैविक खाद घर की लगाई है, गाय का गोबर, गोमूत्र से लिक्विड बनाते हैं। इस लिक्विड को ग्लूकोज की बोतल की तरह खेत में ड्रिप करते हैं। केमिकल न के बराबर प्रयोग करते हैं। क्योंकि पेस्टीसाइट से जमीन खराब होती है उपज नहीं बढ़ती। पूरे सीजन में दो से तीन बार यही गोबर का लिक्विड पानी के साथ मिलाकर ड्रिप करते हैं। गन्ने पर यह एंटीबायोटिक की तरह काम करता है। गन्ने में कीड़ा नहीं लगने देता।''
दादाजी भी करते थे ऐसे ही खेती
परमाल सिंह के भतीजे मुकेश कुमार कहते हैं हमारे इस 15 फीट के गन्ने का राज यह आर्गेनिक फार्मिंग जीवामृत है। हमारे बाबा रामचंद्र भी सम्मानित किसानों में रहे हैं। उनके 4 बेटे हैं। स्व. जगमाल सिंह, भोपाल सिंह, परमाल सिंह और वेदराम सिंह। ये चारों जैविक विधि से खेती करते हैं। जिला स्तर का पुरस्कार चाचा को मिल चुका है।
यूपी से अन्य कैटेगरी में ये बने विजेता
परमाल सिंह के अलावा यूपी के अन्य किसानों को अलग-अलग कैटेगरी में पुरस्कृत करने को चुना गया है। गन्ना विकास विभाग के पास राज्य गन्ना प्रतियोगिता 2021-22 में पूरे यूपी से 180 किसानों ने आवेदन किया था। इसमें शीघ्र पौधा वर्ग में पीलीभीत के गांव भौरों खुर्द के गुरजीत सिंह को पहला स्थान मिला है। गुरजीत ने 2565 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त् की है। लखीमपुर खीरी के गांव फरददिया के बालकुमार ने 2427.60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त कर दूसरा स्थान लिया है। बुलंदशहर एत्मादपुर के राकेश सिरोही, शामली के सलफा गांव के सतयप्रकाश, लखीमपुर खीरी के गांव सगहारखुर्द के सूरज प्रसाद को भी सम्मानित किया जाएगा। प्रथम विजेता को 15हजार, दूसरे को 10हजार व तीसरे विजेता को 7500 रुपए का पुरस्कार सीएम देंगे। हापुड़ के गुफरान, मेरठ के रतनपाल संह, विरेश, हापुड़ के मनीष, मुजफ्फरनगर के नदीम, हापुड़ के निकुंज त्यागी को भी प्रोत्साहन पुरस्कार मिलेगा।
चलते-चलते जानते हैं गन्ना किसानों को उपज बढ़ाने के टिप्स
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