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उत्तर प्रदेश के मोस्ट वांटेड बदन सिंह बद्दो की कोठी पर गुरुवार को बुलडोजर चलाया गया। न्यू पंजाबीपुरा स्थित उसके कोठी के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं। बता दें कि यह कार्रवाई हाईकोर्ट की फटकार के बाद शुरू की गई है। बदन सिंह की फरारी के 19 माह बाद पुलिस ने टीपीनगर के न्यू पंजाबीपुरा में उसकी कोठी ढूंढकर कुर्की की कार्रवाई की थी। मेरठ विकास प्राधिकरण की जांच में उसकी कोठी अवैध मिली थी। बद्दो की भाभी कुलदीप कौर कोठी का नक्शा पेश नहीं कर सकी थी, जिसके चलते उनकी अपील खारिज हो गई थी।
गाजियाबाद कोर्ट में पेशी से लौटते वक्त भागा था
मेरठ जोन के कुख्यात अपराधी बदन सिंह बद्दो पर 2.5 लाख का इनाम घोषित है। पिछले 20 महीने से पुलिस को उसका कोई सुराग नहीं मिल पाया है। दरअसल 28 मार्च 2019 को पूर्वांचल की जेल से उसे गाजियाबाद कोर्ट में पेशी के ले जाया जा रहा था। तब उसने भागने के लिए प्लान बनाया और कथित तौर पर पुलिसकर्मियों से साठ-गांठ की। जब पुलिस रास्ते में मुकुट महल होटल में खाने के लिए रुकी तो बद्दो ने 6 पुलिसकर्मियों को शराब पिलाकर नशे में धुत कराने में कामयाब रहा। इसके बाद वहां से एक लग्जरी कार में भाग निकला, उसके गैंग ने पहले से इंतजाम कर रखा था। इस मामले में 6 पुलिसकर्मी सहित 18 लोग जेल जा चुके हैं।
बद्दो पर करीब 40 मामले दर्ज
बद्दो को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने लुक आउट नोटिस जारी किया था। लेकिन पुलिस के हाथ वह नहीं लगा। इसके बाद 28 मार्च 2020 को फिर से लुक आउट नोटिस की अवधि को आगे बढ़ाया गया। बद्दो पर करीब 40 अन्य मामले दर्ज हैं। इनमें फिरौती वसूलने से लेकर हत्या और हत्या की कोशिश, अवैध हथियार रखने और उनकी आपूर्ति करने, बैंक डकैती जैसे मामले शामिल हैं।
सात भाइयों में सबसे छोटा है बद्दो
बद्दो के पिता 1970 में पंजाब से मेरठ आए थे और वहां ट्रांसपोर्ट का काम शुरू किया। बद्दो भी पिता के काम से जुड़ गया। सात भाइयों में सबसे छोटा बद्दो यही से अपराधियों के संपर्क में आया और उसने क्राइम की दुनिया में कदम रखा। 80 के दशक में वह मेरठ के मामूली बदमाशों के साथ मिलकर शराब की तस्करी किया करता था। इसके बाद वह पश्चिमी यूपी के कुख्यात गैंगस्टर रवींद्र भूरा के गैंग में शामिल हो गया।
बद्दो पर सबसे पहले 1988 में हत्या का मामला दर्ज किया गया। उसने व्यापार में मतभेद होने पर राजकुमार नामक एक व्यक्ति को दिन-दहाड़े गोली मार दी थी। हालांकि उसका क्राइम की दुनिया में नाम तब हुआ जब उसने 1996 में वकील रवींद्र सिंह हत्या कर दी। इसी केस में 31 अक्टूबर 2017 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। लेकिन वह महज 17 महीने बाद ही जेल से फरार हो गया और अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।
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