किसान हितों को लेकर सरकार जितनी चिंतित है, मिर्जापुर के विभागीय अधिकारी उतने ही लापरवाह बने हैं। पहाड़ी विकासखंड में करीब 20 किलोमीटर लंबे भरपुरा रजवाहा किसानों के लिए मुसीबत बन गया है। कहीं पानी की अधिकता से तो कहीं पानी की कमी से किसानों की फसल बर्बाद हो रही है। सुरक्षित है तो जिम्मा संभालने वालों का वेतन।
नहर पर प्लास्टिक की बोरियों का पैबंद
विभागीय लापरवाही और नहर की देखभाल में लापरवाही को ढकने के लिए क्षतिग्रस्त नहर के स्थान पर प्लास्टिक की बोरियों में मिट्टी भरकर नहर पर पैबंद लगाया गया है। कई बार शिकायत के बावजूद हालात न बदलने से किसान चिंतित हैं। क्षतिग्रस्त नहर के कारण 20 किलोमीटर लंबे नहर के टेल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। जगह जगह नहर क्षतिग्रस्त होने के कारण पानी रास्ते में ही रिसाव होने से बह जा रही है। दर्जन भर से अधिक गांवों के किसान परेशान हैं। कहीं-कहीं अधिक पानी जाने के कारण फसल बर्बाद हो जा रही हैं तो कहीं टेल तक पानी आने का इंतजार किया जा रहा है।
पहाड़ी विकासखंड के भोजपुर पहाड़ी, तिगोड़ा, रसैना, भरपुरा तिवारीपुर, सुजवार, थान सिंह का पूरा, कन्हैया का पूरा, मिश्रौली, गहिरा, अतरौरा, दुबेपुर, उमरिया, बसारी, लोकापुर और पट खान पहाड़ी गांवों के किसान इससे चिंतित हैं।
क्षतिग्रस्त नहर, लाचार किसान
वर्षों पूर्व बनी नहर कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गई है। भले ही हर वर्ष मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किया जाता है, लेकिन हकीकत बीमार नहर दिखा ही देती है। इसकी वजह से टेल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। सिंचाई विभाग के अभियंता मरम्मत के नाम पर जगह-जगह बालू की बोरी रख दिए हैं, जो पानी अंदर से छन जा रहा है।
किसको सुनाएं, कौन सुनेगा
पानी की कमी से पीड़ित किसानों में राजबली यादव, मार्कंडेय धर दुबे, छोटेलाल, रामरक्षा पांडेय, राजू चौबे, अशोक दुबे, शारदा प्रसाद मिश्र, कमला प्रसाद सिंह, अर्जुन सिंह, सुरेश पांडेय, आसाराम पांडेय आदि शामिल हैं। उनका दर्द हैं कि सांसद, विधायक, कमिश्नर और डीएम सभी का दरवाजा खटखटाया गया, लेकिन किसानों को अब तक राहत नहीं मिली है।
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