माता विंध्यवासिनी के धाम को पहली बार विदेशी फूलों से सजाया गया है। थाईलैंड, स्विट्जरलैंड और न्यूजीलैंड की जमीन पर पैदा हुए एथनियम, आरगेट, जेजी, विभिन्न रंग के गुलाब, लिली एवं गुलदावदी आदि रंग बिरंगे फूलों से मां का धाम सजाया गया है।
माता के धाम में फूलों की महक से भक्त मुदित है। माता के धाम को फूलों से सजाने का संकल्प माता रानी के भक्त एमिल संस्था के केके शर्मा और उनके पुत्र संचित शर्मा ने लिया। जिसको पूर्ण करने की कमान कंपनी के जीएम वीएस कपूर ने सम्हाल रखा है।
पहली बार फूलों से सजा माता विंध्यवासिनी का धाम
एमिल कंपनी के जीएम वीएस कपूर ने बताया, "बड़े ही भाग्य से माता विंध्यवासिनी के दरबार में सेवा करने और हाजिरी लगाने का मौका मिला है। कंपनी में करीब सालों से माता वैष्णों देवी के दरबार में फूलों की सजावट करा रही है। विंध्याचल धाम में होने वाले सेवा को माता की कृपा बताया। उन्होंने कहा कि माता विंध्यवासिनी की कृपा से ही अगले नवरात्रि में और भव्य सजावट किया जाएगा।"
नवरात्रि में सजा रहेगा माता विंध्यवासिनी का धाम
मंगला आरती के साथ माता विंध्यवासिनी के धाम में 26 सितम्बर से नवरात्रि मेला शुरू हो गया। माता के धाम को पहली बार विदेशी फूलों से सजाया गया है। माता के धाम को सजाने के लिए कोलकाता, दिल्ली और बुलन्दशहर से कारीगर बुलाए गए हैं। कारीगर योगित ने बताया, "32 कारीगर सजावट के काम में लगे हैं । शारदीय नवरात्रि में मन्दिर को सजाने की मजदूरी ही करीब 7 लाख रुपए है।
मन्दिर की भव्यता देख भक्त हैं मुदित
विंध्याचल धाम में पहली बार रंग बिरंगे विदेशी फूलों से सजावट देख भक्त मुदित हैं। मंदिर में रंग-बिरंगे फूलों की लड़ियां से स्वागत द्वार बनाने के साथ ही दीवारों पर आकर्षक गुलदस्ता लगाया गया है। पहली खेप में एक ट्रक फूलों की खेप मंगाई गई थी। फूलों की अगली खेप आने के साथ ही 29 सितंबर को फिर से फूलों को नए रूप के साथ सजाया जाएगा।
वर्ष 1968 से निरंतर विंध्याचल धाम में आने वाली बिहार की माया सिंह ने कहा, "पहली बार मां के दरबार का अलग नजारा देखने को मिल रहा है। फूलों की महक से पूरा धाम महक रहा है। फूलों की सजावट देख माता के धाम का भव्य स्वरूप भक्तों को आकर्षित कर रहा है। कम्पनी के जिला प्रतिनिधि मयंक पाठक अपने सहयोगियों के साथ मंदिर में सेवा संग साधना में लगे हैं।"
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.