मिर्जापुर में चार माह से शयन कर रहे भगवान विष्णु के निद्रा से बाहर आने पर जगत जननी मां विंध्यवासिनी के धाम पर सवा लाख दीप जलाए गए। माता के धाम में चारों ओर दीपक की कतार लगाई गई। धाम पर दीपों से आकर्षक सजावट कर मनोहारी रंगोली बनाई गई। माता रानी के भव्य श्रृंगार का भक्तों ने दर्शन किया।
भक्त हुए भाव विभोर
विंध्याचल धाम में प्रबोधिनी एकादशी का पर्व देव दीपावली के रूप में मनाया गया। दीपों की जगमगाती कतार से विंध्य धाम को सजाया गया था। धाम की सीढ़ियों से लेकर छत तक हजारों दीप जगमगा रहे थे। सोमवार देर रात तक कलाकारों ने भक्ति गीतों की शानदार प्रस्तुति कर लोगों को भक्ति भाव से विभोर किया।
दीप दान करने से भक्तों की कामना होती है पूरी
मान्यता है कि इस दिन सभी देवी देवता मां के धाम में हाजिरी लगाते हैं। मां कि आरती कर आदि शक्ति की कृपा प्राप्त करते हैं। इसी वजह से इसे देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
इस दिन पंडा समाज पूरे धाम को दीपों से सजाता है। कहा जाता है कि दीपदान करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। धाम में पूरी रात भक्ति गीतों की सुर लहरिया हवा के साथ मधुर संगीत बिखेर रही थी। भक्त मां के जयकारे लगाकर झूमते रहे। हिंदू संस्कृति में शादी-विवाह हो या फिर धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन देवोत्थान एकादशी से आरंभ होता है।
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