मुरादाबाद में कुंदर की सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक हाजी रिजवान कुरैशी के सुर बागी हो गए हैं। टिकट कटने के बाद हाजी रिजवान ने गुरुवार देर रात दैनिक भास्कर से कहा कि सपा मुखिया अखिलेश यादव संभल सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क की लंबी दाढ़ी और बड़ी टोपी से डर गए हैं। इसीलिए उनका टिकट काटकर डॉ. बर्क के पोते को दे दिया गया।
हाजी रिजवान ने कहा- " उन्हें (डॉ. बर्क को) सब तोप समझ रहे हैं। उनकी (डॉ.बर्क) दाढ़ी बहुत बड़ी है और उनकी टोपी भी बहुत बड़ी है। टोपी और दाढ़ी पूरे हिंदुस्तान को हिलाए फिर रही है। " सपा MLA हाजी रिजवान ने समाजवादी पार्टी से बगावत के इरादे भी साफ जाहिर कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि वह कुंदर की सीट से चुनाव तो 100% लड़ेंगे। किस पार्टी से मैदान में होंगे के सवाल पर रिजवान बोले- इसके पत्ते वह शुक्रवार काे लखनऊ से लौटने के बाद खोलेंगे।
बोले- पोते के लिए बर्क ने दी इस्तीफे की धमकी
सपा विधायक हाजी रिजवान ने कहा कि सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क ने अपने पोते को टिकट नहीं मिलने की सूरत में सपा से इस्तीफे की दी थी, जिससे अखिलेश यादव डर गए और उनके पोते जियाउर्रहमान को टिकट दे दिया। बोले- "मैं अखिलेश यादव से भी क्या बात करता। वो कह रहे हैं कि बर्क इस्तीफा दे रहे हैं।
पहले डर की वजह से उन्हें लोकसभा का टिकट दे दिया। जबकि उनकी उम्र 95 साल की है। अब फिर उनके इस्तीफे से डर गए।" बोले- "सब कुछ जैसे वही हैं बाकी तो कोई कुछ कर ही नहीं रहा है। अकेले वही (डॉ. बर्क) बोरी भरकर वोट डालते हैं, बाकी तो कोई वोट देता ही नहीं है।"
कुंदर की सीट से तीसरी बार विधायक हैं रिजवान
हाजी रिजवान कुंदर की सीट से तीसरी बार विधायक हैं। पुराने सपाई हाजी रिजवान 2002, 20012 और 2017 में कुंदर की सीट से विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। इससे पहले 1996 के विधानसभा चुनाव में वह बसपा प्रत्याशी हाजी अकबर से महज 64 वोटों के अंतर से हारे थे।
अपनी परंपरागत सीट पर टिकट गंवाने के बाद हाजी रिजवान अब यहां दूसरे विकल्पों पर गौर कर रहे हैं। माना जा रहा है कि यदि किसी दूसरी पार्टी से बात नहीं भी बनी तो भी हाजी रिजवान यहां निर्दलीय ताल ठोंक सकते हैं।
तुर्क बहुल कुंदरकी सीट पर अर्से से थी बर्क की नजर
कुंदरकी विधानसभा सीट 55 फीसदी मुस्लिम मतदाताओं वाली सीट है। यहां से सपा प्रत्याशी के लिए जीत का रास्ता जिले की बाकी सीटों की तुलना में थोड़ा आसान है। मुस्लिम समुदाय में भी इस सीट पर तुर्क वोटरों की संख्या अधिक है। डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क तुर्क बिरादरी के बड़े नेताओं में शुमार होते हैं।
इसीलिए उन्होंने कुंदरकी सीट को अपने पोते के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानकर इस पर दावा ठोंका था। बर्क की नजर अर्से से इस सीट पर टिकी थी। शफीकुर्रहमान बर्क संभल सीट से भी अपने पोते को लड़ाना चाहते थे, जहां दीपा सराय को तुर्कों का गढ़ माना जाता है।
संभल विधानसभा सीट पर सपा के ही दूसरे कद्दावर नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री नवाब इकबाल महमूद का कब्जा है। बर्क तमाम कोशिशों के बावजूद संभल सीट इकबाल महमूद का टिकट नहीं कटवा सके। इसके बाद उन्होंने कुंदरकी सीट का रुख किया।
बर्क ने 2017 में ओवैसी की पार्टी से लड़ा दिया था पोता
समाजवादी पार्टी के संभल MP डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क ने अपनी नजरों के सामने अपने पोते जियाउर्रहमान बर्क को राजनीति में सेट करना चाहते हैं। बुजुर्ग हो चुके बर्क पिछले करीब 10 सालों से इसकी कोशिश में जुटे हैं। लेकिन अभी तक जियाउर्रहमान को सेट नहीं कर सके।
यहां तक कि खुद सपा में रहते हुए उन्होंने 2017 में अपने पोते जियाउर्रहमान को संभल सीट से AIMIM के टिकट पर चुनाव लड़ा दिया था। जियाउर्रहमान सपा प्रत्याशी नवाब इकबाल महमूद के खिलाफ संभल सीट पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) से चुनाव लड़े थे। हालांकि बर्क पोते तो जीता नहीं सके थे और जियाउर्रहमान तीसरे नंबर पर रहे थे।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.