मुरादाबाद जिला जेल में 2 दिन में 2 बंदियों ने दम तोड़ दिया। इन दोनों की मौत की वजह हार्ट अटैक बताई जा रही है। मरने वालों में एक बहुचर्चित मौअज्जम हत्याकांड का सजायाफ्ता दोषी मुनाजिर है। जबकि दूसरा बलवे का आरोपी था।
मुरादाबाद जेल में क्षमता से करीब 6 गुना बंदी हैं। जिसकी वजह से बंदियों को बैरकों में सोने की जगह भी नहीं मिल रही है। बंदियों को पूरी रात टॉयलेट में बैठकर गुजारनी पड़ती है। ओवरक्राउड बैरकों में अब बंदियों का सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है।
शुक्रवार और शनिवार को 2 बंदी मरे
जेलर मृत्युंजय कुमार पांडेय ने बताया कि शुक्रवार को तड़के करीब 6 बजे बंदी शकील ( 55 साल) की तबियत बिगड़ी थी। इलाज को ले जाते समय शकील ने दम तोड़ दिया था। पोस्टमार्टम में उसकी मौत की वजह हार्ट अटैक बताई गई है। शकील नागफनी थाना क्षेत्र में नवाबपुरा का रहने वाला था।
उसे पुलिस ने बलवे की धाराओं में जेल भेजा था। शनिवार को तड़के फिर से जेल में एक अन्य बंदी मौत हो गई। शनिवार को उम्र कैदी मुनाजिर(70 साल) ने जेल में ही दम तोड़ दिया। मुनाजिर को बहुचर्चित मौअज्जम हत्याकांड में पूर्व सपा विधायक उस्मानुल हक के साथ उम्र कैद की सजा हुई थी।
क्षमता 700 की, जेल में हैं 4000 बंदी
मुरादाबाद जिला जेल की क्षमता महज 700 बंदियों की है। लेकिन जेल में मौजूदा समय में करीब 4000 बंदी हैं। हरेक बैरक में क्षमता से 6 गुना तक बंदी हैं। ऐसे में बंदियों को जेल में सोने का पट्टा हासिल करने में जद्दोजहद करनी पड़ती है। जिनके पास सोने का पट्टा नहीं है उन्हें बैरकों और टॉयलेट में खड़े होकर या बैठकर रात गुजारनी पड़ती है।
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