बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद वीर सिंह एडवोकेट रविवार को समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। वह बसपा के गठन से भी 2 साल पहले से मायावती से जुड़े थे। वीर सिंह बताते हैं कि शुरू संघर्ष के दिनों में वह बहनजी (मायवती) को साइकिल पर बैठकर जनसभाओं कराने ले जाते थे।
वीर सिंह मौजूदा BSP से तीन बार राज्यसभा सदस्य रहे। इस समय राष्ट्रीय महासचिव होने के साथ - साथ वह महाराष्ट्र प्रदेश के प्रभारी भी थे। रविवार को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और प्रोफेसर रामगोपाल यादव की मौजूदगी में उन्होंने लखनऊ में समाजवादी पार्टी ज्चाइन की।
1982 में कांशीराम और मायावती से जुड़े थे वीर सिंह
मूल रूप से अमरोहा जिले के ज्योजखेड़ा गांव के निवासी वीर सिंह एडवोकेट मुरादाबाद के बुद्धि विहार कालोनी में रहते हैं। वह 1982 में बहुजन आंदोलन से जुड़े थे। इसी समय वह कांशीराम और फिर मायावती से जुड़े। वीर सिंह बताते हैं कि उन्होंने वामसेफ और फिर DS 4 में भी उन्होंने विभिन्न पदों पर काम किया। इसके बाद 1984 में बसपा का गठन होने के बाद से ही वह बसपा में थे। 1999 में उन्होंने बिजनौर से लोकसभा को चुनाव भी लड़ा। संगठन में वह विधानसभा क्षेत्र अध्यक्ष से लेकर प्रदेश महासचिव और राष्ट्रीय महासचिव तक रहे। इस समय वह महाराष्ट्र प्रदेश के प्रभारी थे। वीर सिंह बसपा के नेशनल कोर्डिनेटर भी रहे।
BSP की सरकारों में बोलती थी वीर सिंह की तूती
किसी जमाने में BSP की सरकारों में वीर सिंह की तूती बोलती थी। वेस्ट यूपी में बसपा की राजनीति ही नहीं ब्यूरोक्रेसी भी वीर सिंह के इशारे पर ही चलती थी। मायावती जब पहली और दूसरी बार CM बनीं उस समय वीर सिंह का कद वेस्ट यूपी में सबसे बड़ा माना जाता था। उस दौर में वीर सिंह के एक इशारे पर अफसरों के तबादले हो जाते थे।
बसपा प्रमुख मायावती से नजदीकियों के चलते बसपा सरकार के पहले 2 टर्म में वीर सिंह को अच्छी खासी तवज्जो मिली। लेकिन बाद में धीरे - धीरे वीर सिंह का कद घटता गया। हालांकि उनकी राज्यसभा की सीट बरकरार रही। दिसंबर 2020 में ही उनका राज्यसभा का टर्म पूरा हुआ है।
तब संसाधन नहीं थे तो साइकिल से कराते थे सभाएं
इस्तीफा देने के बाद दैनिक भास्कर से बातचीत में वीर सिंह ने बताया कि बहुजन समाज पार्टी ने बहुत कुछ दिया। बोले- मैंने भी पूरा जीवन बसपा को समर्पित कर दिया था। वीर सिंह बताते हैं कि 1984 में बसपा के गठन के समय संसाधनों का टोटा था।
उस दौर में वह बहन जी (मायावती) को साइकिल पर बैठकर जनसभाएं कराने गांव - गांव ले जाते थे। बोले- बहन जी आदेश पर पूरा जीवन घर - परिवार को छोड़कर बहुजन आंदोलन को समर्पित कर दिया। पूरा समय घर से बाहर अन्य प्रदेशों में BSP को मजबूत करने के लिए दौड़ते रहे।
मनुवादी सोच ने कुचल दिया बहुजन मूवमेंट
वीर सिंह ने बसपा सुप्रीमो मायावती को भेजे इस्तीफे में कहा है कि पार्टी में मनुवादी सोच के लोग हावी होते जा रहे हैं। मनुवादी और लालची लोगों के प्रभाव में पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को अपमानित करके निकाला जा रहा है। जिसकी वजह से बहुजन मूवमेंट अपने मूल विचारों व सिद्दांतों से भटककर दिशाहीन व कमजोर हो गया है। वीर सिंह ने लिखा है कि बहुजन मूवमेंट के कमजोर होने से मैं दुखी हूं और आहत महसूस कर रहा हूं। इसीलिए BSP से इस्तीफा दे रहा हूं।
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