मुजफ्फरनगर में प्रशासन ने 2 दिन में खंगाले 19 मदरसे:11 बिंदुओं पर ली जानकारी, नाम से लेकर फंडिंग तक की पड़ताल

मुजफ्फरनगर6 महीने पहले
मदरसा महमूदिया सरवट में जानकारी लेती जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मैत्री रस्तोगी।

मुजफ्फरनगर में जिला प्रशासन ने 2 दिन के भीतर बिना मान्यता प्राप्त 19 मदरसों की पड़ताल की है। शासन के निर्देश पर किये जा रहे सत्यापन के दौरान 11 बिंदुओं पर मदरसों से संबंधित अहम जानकारी ली जा रही है। जिसमें मदरसे के नाम से लेकर फंडिंग तक का डाटा शामिल है। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग पर 114 मान्यता प्राप्त मदरसों का डाटा पहले से ही मौजूद है। जिनमें 34 मदरसो में आधुनिक शिक्षा दी जा रही है। मदरसो के सत्यापन की जिम्मेदारी तहसील स्तर पर एसडीएम की अध्यक्ष्ता में गठित कमेटी को सौंपी गई है।

सरवट स्थित मदरसा महमूदिया।
सरवट स्थित मदरसा महमूदिया।

34 मदरसों में दी जा रही अंग्रेजी, गणित की शिक्षा

प्रदेश सरकार ने बिना मान्यता के चल रहे मदरसों के चिन्हांकन के आदेश जिला प्रशासन को दिए थे। दो दिन से तहसील स्तर पर मदरसों की संख्या एकत्र की जा रही है। जिले की सभी कमेटियों में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और बीएसए को रखा गया है। एसडीएम सदर परमानंद झा ने बताया कि तहसील के लेखपालों आदि की मदद से कमेटी इन मदरसों को चिन्हित कर रही है।

बुधवार को जिले के 13 और गुरुवार को 6 मदरसों की जांच की गई। जिले के मान्यता प्राप्त 114 में से 34 में गणित, विज्ञान और अंग्रेजी आदि विषयों की शिक्षा दी जा रही है। इन मदरसो में 94 शिक्षक कार्यरत है। इन सबकों को मानदेय सरकार देती है। ग्रेजुटए शिक्षक को प्रति माह 8 हजार और पोस्ट ग्रेजुएट को 15 हजार मिलते हैं। एक मदरसे में 3 शिक्षक रखे गए हैं। बिना मान्यता के जनपद में सैकड़ों मदरसे चल रहे हैं। मुस्लिम समाज के प्रत्येक गांव में कई-कई मदरसे हैं। जनपद में लगभग 300 मदरसें बिना मान्यता के संचालित हैं।

मदरसा महमूदिया सरवट का निरीक्षण करती जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मैत्री रस्तोगी।
मदरसा महमूदिया सरवट का निरीक्षण करती जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मैत्री रस्तोगी।

2016 से नए मदरसों की मान्यता पर लगा है ब्रेक
आधुनिक शिक्षा से मदरसों को जोड़ने के लिए शासन स्तर से शिक्षकों की भी नियुक्ति की गई। मदरसों को मान्यता के लिए भी प्रोत्साहित किया गया। लेकिन 2016 से मदरसों की मान्यता पर ब्रेक लगा हुआ है। एक मदरसा संचालक ने बताया कि मान्यता के लिए वह कई बार जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कार्यालय जा चुका है।

नये मदरसों को मान्यता ही नहीं दी जा रही है। 2016 के बाद से अब तक जिले में एक भी मदरसे को मान्यता नहीं दी गई है।

मदरसा महमूदिया सरवट में पढ़ते बच्चे।
मदरसा महमूदिया सरवट में पढ़ते बच्चे।

19 मदरसों का किया जा चुका चिन्हांकन: रस्तोगी
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मैत्री रस्तोगी का कहना है कि तहसीलों में एसडीएम की अध्यक्षता में टीम गठित हुई है। जिला स्तर पर इसकी मॉनिटरिंग एडीएम प्रशासन नरेंद्र बहादुर सिंह कर रहे हैं। बिना मान्यता के चल रहे मदरसों को चिन्हित करने का काम तेजी से चल रहा है। बताया कि अब तक 19 मदरसों को चिन्हित किया जा चुका है।

11 बिंदुओं पर मदरसों का किया जा रहा सर्वे

शासन के निर्देश पर जनपद के गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के बारे में 11 बिंदुओं पर जानकारी अर्जित की जा रही है।एसडीएम की अध्यक्षता में गठित टीमें मदरसों में जाकर महत्वपूर्ण जानकारी लेखबद्ध कर रही है। इनमें 11 बिंदु प्रमुख है। जिनमें मदरसे का नाम, मदरसे को संचालित करने वाली संस्था का नाम, मदरसे का स्थापना वर्ष तथा अवस्थिति का पूरा विवरण, यानी मदरसा निजी भवन में चल रहा है या किराए के भवन में।

इनके अलावा क्या मदरसे का भवन छात्र-छात्राओं के लिए उपयुक्त है? छात्रों को क्या-क्या सुविधाएं मिल रही हैं? मदरसे में पढ़ रहे छात्र- छात्राओं की कुल संख्या। मदरसे में कुल शिक्षकों की संख्या क्या तथा लागू पाठ्यक्रम ? मतलब, किस पाठ्यक्रम के आधार पर बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। मदरसे की आय का स्रोत और क्या इन मदरसों में पढ़ रहे छात्र-छात्राएं किसी और शिक्षण संस्थान या स्कूल में नामांकित हैं या नहीं तथा गैर सरकारी संस्था या समूह से मदरसे की संबद्धता है अथवा नहीं।

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