ग्राउंड रिपोर्टवृंदावन की 500 साल पुरानी कुंज गलियों पर संकट:बांके बिहारी मंदिर के पास 22 गलियां यहां की प्राण, कॉरिडोर बनने से खत्म हो जाएंगी

वृंदावन2 महीने पहलेलेखक: गौरव पांडेय
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राधे-राधे..., वृंदावन की कुंज गलियों में इस वक्त यही सुर सुनाई दे रहा है। भक्त कुंज गलियों से गुजर रहे हैं। वो बांके बिहारी के दर्शन कर चुके हैं या करने जा रहे हैं। वृंदावन के प्राण इन्हीं कुंज गलियों में बसता है। वृंदावन की हर गली, किसी न किसी दूसरी गली से जुड़ती है। यहां हर मोड़ और हर छोर पर बिहारी जी विराजमान हैं। लेकिन वृंदावन का दिल बांके बिहारी जी का मंदिर है। इसी मंदिर के चारों ओर 22 कुंज गलियां फैली हैं। यहीं पर 5 एकड़ जमीन में कॉरिडोर बनना है और इसके सर्वे का काम पूरा हो चुका है।

आइए इन कुंज गलियों को जानते हैं, आखिर कुंज गलियां हैं क्या? इनका आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व भी समझते हैं-

“धन्यम् वृंदावनम् तेन, भक्ति नृत्यति यत्र च”

यह श्लोक श्रीमद् भागवद् का है। मतलब- वो वृंदावन धाम धन्य है, जहां हर ओर साक्षात भक्ति महारानी नृत्य करती हैं।

वृंदावन शब्द संस्कृत का है। इसका अर्थ… वनों का समूह भी होता है। लेकिन, आज का वृंदावन गलियों का समूह है। इन गलियों के वर्तमान प्रमाणिक प्रमाण 500 साल पुराने हैं। लेकिन, गलियों का इतिहास करीब 5255 साल (भगवान कृष्ण के जन्म से) पुराना है। इनके तमाम नाम भी हैं। ये वही गलियां हैं, जहां भगवान खेलते थे, रास रचाते थे, माखन चुराते थे।

पहले बांके बिहारीजी के बारे में जानते हैं-

अब कुंज गलियों को जानते हैं-

वृंदावन अनादिकाल से है, कुंज गलियां इसकी प्राण हैं

वृंदावन की गलियों में आम दिनों में भी सुबह और शाम के वक्त अच्छी खासी भीड़ होती है।
वृंदावन की गलियों में आम दिनों में भी सुबह और शाम के वक्त अच्छी खासी भीड़ होती है।

प्रह्लाद बल्लभ बताते हैं कि गर्ग संहिता के अनुसार वृंदावन अनादिकाल से है। महाप्रलय के बाद जब भगवान बाल गोपाल नवीन सृष्टि की उत्पत्ति करते हैं, तो इसका शुभारंभ इसी वृंदावन से होता है। गर्ग संहिता के मुताबिक, श्रीमन् नारायण की उत्पत्ति श्रीजी के मन से हुई है और श्रीजी वृंदावन के बिहारीजी के हृदय में विराजमान रहती हैं।

वृंदावन की कुंज गलियां इसकी प्राण हैं। कुंज गलियां मात्र कुंज गलियां नहीं हैं। ये मनमोहक प्राकृतिक सौन्दर्यता और प्राचीन बसावट को अपने आप में समेटे हुए है। मतलब ये ऐसी गलियां हैं, जिनमें एक छोर से निकलें तो दूसरे छोर पर पहुंच जाएं।

कुंज गलियों का हर किनारा शहर से निकलता है, यमुना तट पर मिलता है

श्रीमद् भागवद् में भगवान कृष्ण से अर्जुन ने इसके बारे में पूछा था। अर्जुन ने भगवान कृष्ण से कहा- भगवान आप रहते कहां हैं? सब लोग आपको ढूंढ रहे हैं? तब भगवान ने ये उत्तर दिया था-

न तदवा सहते सूर्यो, न शशांकौ न पावका:

यद् गत्वा न निवर्तन्ते, तद् धाम परमं मम:।।

कुंज गलियों का हर एक किनारा शहर से शुरू होता है और यमुना तट की ओर जाकर मिलता है। इसी तरह एक गली का दूसरा सिरा तीसरी गली से मिलता है और फिर वह सभी मंदिर तक पहुंच जाता है। इस बसावट की सबसे बड़ी बात है, वृंदावन छोटा शहर है, यहां आने वाले लाखों तीर्थ यात्री अपने आप से घूमते-फिरते रहते हैं। छोटी कुंज गलियों से फायदा यह है कि तीर्थ यात्री अपने एक गली से दूसरी गली में पहुंच जाते हैं और आसानी से सभी प्राचीन मंदिरों के दर्शन हो जाते हैं।

कुंज गलियों के हर मोड़ और हर घर पर बांके बिहारी कॉरिडोर के विरोध में पोस्टर चिपके हुए मिल जाएंगे।
कुंज गलियों के हर मोड़ और हर घर पर बांके बिहारी कॉरिडोर के विरोध में पोस्टर चिपके हुए मिल जाएंगे।

500 साल पहले हरिदास जी ने संगीत साधना से बिहारीजी को प्रकट किया

प्रह्लाद बल्लभ गोस्वामी बताते हैं कि आज से करीब 500 साल पहले स्वामी हरिदास जी ने संगीत की साधना के जरिए इसी श्रीधाम वृंदावन के निधिवन में प्रिया-प्रियतम की जोड़ी को प्रकट किया। यही जोड़ी बाद में उनकी श्यामा-श्याम की प्रार्थना पर एक हो गई, जो आज आम जनमानस को ठाकुर बांके बिहारीजी महाराज के रूप में दर्शन दे रहे हैं।

वृंदावन के हर घर में ठाकुर जी विराजते हैं, सप्त-देवालय भी यहीं है

वृंदावन में करीब साढ़े पांच हजार मंदिर हैं। प्रमुख मंदिरों में कुंज गलियों में घूमते हुए आसानी से दर्शन कर सकते हैं। यहां हर घर में ठाकुरजी विराजते हैं। इनमें सप्त-देवालय (7 मंदिर) गोविंद देव, गोपीनाथ, मदन मोहन मंदिर, राधा दामोदर मंदिर, राधाश्याम सुंदर मंदिर, गोकुलानंद मंदिर, राधारमण मंदिर शामिल हैं। इन मंदिरों की स्थापना वृंदावन में चैतन्य महाप्रभु के शिष्यों ने की थी।

हरित्रयी संप्रदाय के बांके बिहारी, राधा वल्लभ, किशोर वन, युगल किशोर मंदिर, अष्ट सखी मंदिर, कात्यायनी मंदिर, रंगजी मंदिर, इस्कॉन टेंपल, प्रेम मंदिर, माता वैष्णो मंदिर शामिल हैं।

बांके बिहारी मंदिर के चारों ओर संकरी कुंज गलियां हैं। आप किसी भी गली में प्रवेश करके मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
बांके बिहारी मंदिर के चारों ओर संकरी कुंज गलियां हैं। आप किसी भी गली में प्रवेश करके मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

कुंज गलियां, बृज की धरोहर हैं, ठाकुरजी यहां नंगे पांव चले हैं

प्रह्लाद बल्लभ कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि वृंदावन में भक्त सिर्फ बांके बिहारी दर्शन के लिए आते हैं। यहां का कण-कण भक्तों को खींचता है। यहां की भूमि का आकर्षण है। बिहारी जी के भाई-बंधु और कई अन्य आराध्य प्रभु यहां के साढ़े पांच हजार मंदिरों में विराजमान हैं।

वृंदावन के इतिहासकार कहते हैं कि वृंदावन की इन कुंज गलियों में बिहारी जी की खुशबू आती है।

अब भीड़, कॉरिडोर और वृंदावन की जरूरतों को समझते हैं-

कुंज गलियों की जगह कॉरिडोर बनाने के विरोध में यहां के व्यापारियों ने अपनी दुकानों के ऊपर काले रंग के पोस्टर पर अलग-अलग स्लोगन लिख रखे हैं।
कुंज गलियों की जगह कॉरिडोर बनाने के विरोध में यहां के व्यापारियों ने अपनी दुकानों के ऊपर काले रंग के पोस्टर पर अलग-अलग स्लोगन लिख रखे हैं।

बांके बिहारी कॉरिडोर का विकल्प क्या है?

प्रह्लाद बल्लभ कहते हैं बांके बिहारी मंदिर में चल सेवा होती है। मतलब ठाकुरजी महाराज को कभी भी कहीं भी ले जाया जा सकता है। इसीलिए मंदिर में भी उन्हें जगह-जगह ले जाकर सेवा पूजा कराते रहते हैं। अब तक बिहारी 7 जगह विराज चुके हैं।

वर्तमान में भीड़ बढ़ती जा रही है। शहर में इतनी जगह है नहीं। इसलिए कितना भी बड़ा कॉरिडोर बन जाए। आज एक लाख लोगों के लिए कॉरिडोर बनाएंगे, 10 साल बाद 10 लाख श्रद्धालु आएंगे, फिर क्या करेंगे? क्या तोड़ेंगे? ये बता दो?

वृंदावन की कुंज गलियों ऐसे लोग भी रहते हैं, जो भिक्षा लेकर जीवन-यापन करते हैं।
वृंदावन की कुंज गलियों ऐसे लोग भी रहते हैं, जो भिक्षा लेकर जीवन-यापन करते हैं।

आचार्य प्रह्लाद कहते हैं कि इसलिए कॉरिडोर किसी समस्या का हल नहीं है। इससे अच्छा है कि वृंदावन में ही किसी खुले स्थान पर 10, 20, 50 एकड़ जमीन खरीदी जाए। बिहारी जी का नया मंदिर बनाया जाए, उनके भक्त हजारों करोड़ रुपए देंगे। मंदिर का 250 करोड़ रुपए बचेगा, मंदिर की संपत्ति बचेगी और बृजवासियों को नए रोजगार के अवसर मिलेंगे। नई दुकानें बसेंगी, नया क्षेत्र बसेगा। वहां जितनी चाहो, उतनी हरियाली भी कर सकते हैं, कोई बुराई नहीं है।

वृंदावन की हर गली, हर मोड़ पर आपको साधु-संत भजन-भाव में बैठे हुए मिल जाएंगे।
वृंदावन की हर गली, हर मोड़ पर आपको साधु-संत भजन-भाव में बैठे हुए मिल जाएंगे।

वृंदावन कॉरिडोर से नुकसान क्या है?

ज्ञानेंद्र गोस्वामी कहते हैं कि कॉरिडोर बनाने से यहां के प्राचीन तत्व समाप्त हो जाएंगे। यहां सेल्फी प्वाइंट बनाने से कोई फायदा नहीं है, टूरिस्ट सिर्फ आएं और फोटो खिंचवाकर चले जाएं। मैंने अयोध्या, उज्जैन, काशी जाकर देखा, वहां कॉरिडोर बनने के बाद भी मंदिर में प्रवेश की जगह उतनी ही है, जब प्रवेश उतना ही होना है तो भक्त फिर आसानी से जा सकते हैं। जिस किसी की वजह से यहां हादसा हुआ था, उसे किसी को तो सजा हुई, बस कॉरिडोर थोप दिया गया। क्या जांच हुई, उसे ओपन नहीं किया गया।

बांके बिहारी मंदिर का मुख्य गेट जहां है, वहां तीन तरफ से गलियां आती हैं। आगे की ओर चौतरफा है, जिसकी बैरिकेडिंग की गई है।
बांके बिहारी मंदिर का मुख्य गेट जहां है, वहां तीन तरफ से गलियां आती हैं। आगे की ओर चौतरफा है, जिसकी बैरिकेडिंग की गई है।

भीड़ और संभावित हादसे को किस तरह रोका जा सकता है?

आचार्य गोस्वामी कहते हैं कि माननीय न्यायालय के अनुसार किसी भी मंदिर को अब छेड़ा नहीं जा सकता है। ऐसे में मंदिर तो बड़ा होगा नहीं। अब इसके लिए गलियों को तोड़ा जाए, शहर को छेड़ा जाए, इसका औचित्य नहीं है।

इसलिए अच्छा है कि परंपरा को देखते हुए, इतिहास को देखते हुए। ठाकुरजी का नया मंदिर बनाया जाए, क्योंकि विकास बहुत जरूरी है, लेकिन ये कहां लिखा है कि विनाश के कगार पर ही विकास होगा। बिना विनाश के भी तो विकास हो सकता है। पिता के मरने पर बेटा पैदा हो तो क्या आनंद है, आनंद तो तब है जब बेटा भी पैदा हो जाए और पिता भी जिंदा रहे। इसलिए जरूरी है कि विकास भी हो जाए और पुराना स्थान भी बना रहे है। और यहां का आनंद भी बना रहेगा।

आज वृंदावन में लाखों लोग आ रहे हैं, तो इसमें वृंदावन के लोगों का क्या दोष है, कुंज गलियों का क्या दोष है? बृजवासियों के घरों का क्या दोष है? और मंदिरों में बैठे हुए आराध्य प्रभुओं का क्या दोष है? यहां तो हर घर में ठाकुरजी हैं। हम कहां ले जाएंगे अपने ठाकुरजी को? हम तो पहले ठाकुरजी को खिलाते हैं, फिर खुद खाते हैं। हम बिना ठाकुरजी के रह ही नहीं सकते हैं।

बांके बिहारी मंदिर के आसपास के गलियों पर मथुरा नगर निगम ने सर्वे करके लाल निशान बना दिए हैं।
बांके बिहारी मंदिर के आसपास के गलियों पर मथुरा नगर निगम ने सर्वे करके लाल निशान बना दिए हैं।

भीड़ मैनेज करने की क्या व्यवस्था होनी चाहिए?

ज्ञानेंद्र गोस्वामी कहते हैं कि मैं चाहता हूं यहां सिर्फ ठाकुरजी के भक्त आएं, ज्यादा भीड़ की जरूरत नहीं है। टूरिस्ट की जरूरत नहीं है। भले ही 10 हजार लोग आएं, वो आएं जो ठाकुरजी के भक्त हों। यहां सेल्फी प्वाइंट बनाकर फोटो खींचाने न आएं। ठाकुरजी में जो श्रद्धा रखते होंगे, उन्हें इन कुंज गलियों से गुजरने में आनंद आएगा। सेल्फी प्वाइंट्स वालों को कॉरिडोर चाहिए, ताकि वो यहां गाड़ी से उतरें, फोटो खींचे फिर बैठें और चलें जाएं। ऐसी व्यवस्था हमें नहीं चाहिए।

बांके बिहारी मंदिर के गर्भगृह से पहले एक हॉल है, यहीं से श्रद्धालु भगवान के दर्शन करते हैं। इसी हॉल में जन्माष्टमी की रात हादसे में दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी।
बांके बिहारी मंदिर के गर्भगृह से पहले एक हॉल है, यहीं से श्रद्धालु भगवान के दर्शन करते हैं। इसी हॉल में जन्माष्टमी की रात हादसे में दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी।

कैसे होगा वृंदावन का विकास?

ज्ञानेंद्र गोस्वामी ​​​​​​कहते हैं कि ​बिहारीजी के भक्त जो होंगे, वो कुंज गलियों का विकास नहीं चाहेंगे, वो बृजवासियों का विनाश नहीं चाहेंगे। जिन बृजवासियों को बिहारीजी ने हृदय में बसाने की बात कही थी, नंदबाबा की कसम खाकर कही थी। उन बृजवासियों को आप बिहारीजी से कैसे दूर कर सकते हैं।

मंदिर के सेवायत कहते हैं कि बृजवासी और गोस्वामी दूर हो जाएंगे तो ठाकुरजी की सेवा कौन करेगा? फिर तो आम पब्लिक जैसे हो गए, आए और छिप गए अंदर। केवल माया के लिए, ऐसी माया की आवश्यकता नहीं है। माया तो ठाकुरजी के चरणों की दासी है। माया नारायण के चरण दाब रही है। लक्ष्मी तो ठाकुरजी के चरणों में बैठी है। इसलिए ऐसी व्यवस्था न की जाए कि ठाकुरजी लक्ष्मी के चरणों में बैठें। सारा काम पैसे के लिए हो।

वृंदावन की इन गलियों में दो पहिया वाहन और ई-रिक्शा भी चलते हुए आपको दिखाई दे जाएंगे। आम तौर पर श्रद्धालु मंदिर तक पैदल ही पहुंचते हैं।
वृंदावन की इन गलियों में दो पहिया वाहन और ई-रिक्शा भी चलते हुए आपको दिखाई दे जाएंगे। आम तौर पर श्रद्धालु मंदिर तक पैदल ही पहुंचते हैं।

बांके बिहारी में दर्शन की क्या व्यवस्था होनी चाहिए?

ज्ञानेंद्र गोस्वामी ​​​​​​कहते हैं कि सुबह-शाम के लिए यात्रियों को पास की सुविधा दे देनी चाहिए। 30 हजार सुबह दर्शन करें, 30 हजार शाम को, भीड़ को सप्त-देवालयों में भेजना चाहिए। यमुना का इतना बड़ा किनारा है, उन्हें वहां भी भेजना चाहिए। भीड़ डायवर्ट हो जाएगी, एक दिन की जगह भक्त दो दिन में पूरे वृंदावन के दर्शन कर लेंगे।

वैष्णो देवी में कितनी कम जगह है, यहां भी वहां जैसी व्यवस्था बना देनी चाहिए। यहां ठाकुरजी को हम परदे में रखते हैं, ताकि ठाकुरजी को नजर न लग जाए, उन्हें सुलाते हैं, बाल-गोपाल की तरह भोग लगाते हैं। इसलिए ऐसा न हो कि ठाकुरजी का दर्शन 24 घंटे उपलब्ध करा दीजिए। वृंदावन का दायरा बस 10 किमी है, आप यहां 100 किमी के दायरे वाली भीड़ लाना चाहे रहे हैं।

वृंदावन की गलियों में विदेशी श्रद्धालु भी भक्ति भाव में डूब हुए मिल जाएंगे।
वृंदावन की गलियों में विदेशी श्रद्धालु भी भक्ति भाव में डूब हुए मिल जाएंगे।

बांके बिहारी मंदिरों के सेवायतों को क्या दिक्कत है?

मंदिर के सेवायत कहते हैं कि हम वृंदावन के निवासी पहले हैं, फिर ठाकुरजी के सेवायत हैं। यदि वृंदावन का विनाश होकर बांके बिहारी मंदिर का विकास होता है, तो हम इसके पक्षधर नहीं हैं, हमारे ठाकुर जी का विकास हो, ये हम तन-मन-धन से चाहते हैं। हमारे शरीर के ऊपर मंदिर बने ये चाहते हैं। उसके लिए हमारी आत्मा ले ली जाए, हमारे खून की आखरी बूंद ले ली जाए, उसमें मिला दी जाए, हम ये चाहते हैं।

हम बस विनाश की बिसात पर विकास हो, ये उचित नहीं समझते हैं। बाकी राम और काम से कोई नहीं जीत सकता है, हम तो ढाई सौ ग्राम के आदमी हैं, हमारी सरकार के आगे क्या औकात है।

वृंदावन शोध संस्थान में भी कुंज गलियों से जुड़े तमाम साक्ष्यों को संजोकर रखा गया है।
वृंदावन शोध संस्थान में भी कुंज गलियों से जुड़े तमाम साक्ष्यों को संजोकर रखा गया है।

भगवान कृष्ण 125 वर्ष 8 महीने 7 दिन पृथ्वी पर रहे

  • भगवान कृष्ण का जन्म 3228 ईसा पूर्व 18 जुलाई को हुआ था। यानी आज से 5255 वर्ष पहले भगवान कृष्ण ने अवतार लिया था। वह 3102 ईसा पूर्व 18 फरवरी को कुंज गमन(स्वर्ग चले गए) कर गए थे।
  • इस तरह भगवान कृष्ण पृथ्वी पर 125 वर्ष 8 महीने 7 दिन रहे थे। उनके प्रपौत्र स्वामी बर्जनाथ ने कृष्ण के जन्मस्थान पर इसका अंकन भी कराया है। उसी के आधार पर ये सांख्यिकी गणना आज की जाती है।
  • भगवान कृष्ण ने कुंज गमन द्वारका किया था। उनका बाल समय वृंदावन में बीता। यहां से 11 साल की उम्र में वह कंस का वध करने मथुरा चले गए थे। फिर वापस वृंदावन नहीं आए। आज भी वृंदावनवासी उनके लौटने का इंतजार कर रहे हैं।
  • कृष्ण भगवान के बाल काल की तमाम गलियां आज भी हैं। इसी में से एक गली का नाम भूत गली है। यहां पर आज गोपेश्वर महादेव का मंदिर है। इसका श्रीमद् भागवद् में इसका जिक्र है कि यहां भगवान शंकर बांके बिहारीजी की रासलीला देखने आए थे।
  • एक और गली दान गली है, इसी गली से राधाजी और गोपियां दही बेचने जाती थीं। कृष्ण भगवान उन्हें रोककर दही चुरा लेते थे। ये गली आज भी मौजूद है।
  • मान गली, यहां एक बार भगवान कृष्ण से राधा जी गुस्सा होकर बैठ गई थीं। फिर यहां आगे भागकर वह सेवाकुंज पहुंच गईं। भगवान ने उन्हें चरण सेवा करके मनाया था। आज भी यहां वह चित्र मौजूद है।
वृंदावन के साधु-संत कॉरिडोर की जगह यमुना की साफ-सफाई और घाटों के सौंदर्यीकरण की मांग कर रहे हैं।
वृंदावन के साधु-संत कॉरिडोर की जगह यमुना की साफ-सफाई और घाटों के सौंदर्यीकरण की मांग कर रहे हैं।

कुंज गलियों के ऐतिहासिक प्रमाण

  • श्रीमद् भगवद गीता के दशम् स्कन्द् के अन्तर्गत, रासि पंच्ध्याय में कुंज गलियों का जिक्र है। इसे भगवद का प्राण माना जाता है।
  • गर्ग संहिता के गोलोक खंड में भी वृंदावन की गलियों का बारे में वर्णन है। इसमें लिखा है कि इन गलियों का न आदि है और न अंत है।
  • स्वामी हरिदास जी द्वारा लिखित श्री केली मालजू में 110 पदों में वृंदावन का वर्णन है। यह बृज भाषा में है।
  • 1883 में मथुरा के तत्कालीन ब्रिटिश डीएम एफएस ग्राउस ने ‘मथुरा ए डिस्ट्रिक्ट मेमोर' में भी वृंदावन और वहां की गलियों का जिक्र किया है।

वृंदावन कॉरिडोर में 300 मंदिर और घर आ रहे हैं

  • वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर के प्रस्तावित कॉरिडोर के लिए 5 एकड़ भूमि का अधिग्रहण होना है। इसमें करीब 300 मंदिर और आवासीय भवन आ रहे हैं। 200 से ज्यादा इमारतों की सर्वे रिपोर्ट बनाकर मार्किंग हो चुकी है।
  • अब जिनकी इमारतों पर मार्किंग हुई है, वही लोग सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कॉरिडोर का विरोध कर रहे हैं। लोगों ने सीएम योगी को खून से चिटि्ठयां भी लिखी हैं।
  • मंदिर तक पहुंचने के 3 रास्ते होंगे। यमुना की ओर से जो रास्ता आएगा, वो 2100 वर्गमीटर क्षेत्र में होगा। कॉरिडोर में करीब 800 वर्गमीटर क्षेत्र में पूजा की दुकानें बनाई जाएंगी। श्रद्धालुओं के लिए 37 हजार वर्गमीटर में बांके बिहारी ब्रिज पार्किंग तैयार की जाएगी।

इनपुट सहयोग- पवन गौतम

ग्राफिक्स- राजकुमार गुप्ता

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