कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में सभी विषयों में फेल हो जाने के बावजूद राजीव का सोनिया से प्यार कम नहीं हुआ। दोनों ने अपनी लव स्टोरी घर पर बता दी। राजीव का परिवार मान गया था। सोनिया की मां और बहनें तो खुश थीं, लेकिन पिता खुश नहीं थे। जब शादी की बात आई तो वह नाराज हो गए, लेकिन शादी में रुकावट नहीं बने। आज सोनिया और राजीव की शाही शादी की कहानी जानेंगे।
राजनीति के किरदार और किस्से की इस सीरीज में अभी तक आप दो कहानियां पढ़ चुके हैं। जिन्होंने नहीं पढ़ा वह यहां से पढ़ लें।
कहानी 1- पहली मुलाकात में सोनिया को अपना परिचय नहीं दे सके थे राजीव
कहानी 2- इंदिरा से पहली बार मिलीं सोनिया तो पैर कांप रहे थे
सोनिया के परिवार ने शर्त के साथ उन्हें भारत भेजा
सोनिया के 21 साल होने के ठीक 33 दिन बाद 12 जनवरी 1968 को उनके परिवार ने उन्हें एक महीने के लिए भारत जाने की अनुमति दे दी। पिता स्टीफेनो मायनो और मां पाओलो मायनो अपनी दोनों बेटियों के साथ मिलान के मालपेंसा एयरपोर्ट पर सोनिया को छोड़ने आए। साढ़े छह हजार किलोमीटर दूर के सफर पर सोनिया अकेले निकलीं। रास्ते पर उनके दिमाग में यह चलता रहा कि कहीं एक-दूसरे की उम्मीद पर खरे नहीं उतरे तो? राजीव बदल गए तो? उत्साह के बीच डर कम नहीं हो रहा था।
स्वागत के लिए राजीव के साथ अमिताभ बच्चन भी मौजूद थे
13 जनवरी 1968, सोनिया गांधी सुबह-सुबह दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर उतरीं। राख और सड़े फलों की मिली-जुली गंध, कौओं की कांव-कांव से पहली बार सोनिया का सामना हुआ। थोड़ा आगे बढ़ीं तो स्वागत के लिए राजीव, संजय और अमिताभ बच्चन मौजूद थे। बच्चन परिवार लंबे समय से नेहरू परिवार के ही साथ रहा था। इसलिए इंदिरा गांधी ने उस वक्त राज्यसभा सांसद हरिवंश राय बच्चन से कहा था कि आपका परिवार सोनिया की मेजबानी करे। इसलिए उनके बेटे अमिताभ बच्चन पहुंचे थे।
पहले तीन दिन में सोनिया का डर खत्म हो गया
सोनिया एयरपोर्ट से सफदरगंज रोड स्थित राजीव गांधी के घर पहुंचीं। पूरे घर में सुंदर फूलों के पौधे लगाए गए थे। पहले दिन मुलाकातों का दौर चला। इसके बाद शाम को राजीव अपनी लेम्ब्रेटा स्कूटर से सोनिया को घुमाने लेकर चले गए। लोधी गार्डन गए। इंडिया गेट देखा। 1444 में बने मुहम्मद शाह और ताल के मकबरे के आसपास की खूबसूरती देखी। जामा मस्जिद के पास रंगीन कपड़ों की दुकानें देखीं। भीड़ देखकर रोमांचित हो गईं।
सोनिया सोच में पड़ गईं कि आखिर अभी तक उन्हें भारत के नाम पर क्यों डराया जा रहा था। यहां तो सब कुछ कितना बढ़िया है। सोनिया के लिए वहां दिख रही सभी चीजें विचित्र थी। जितना बारीकी से वह लोगों को देखतीं, लोग भी उन्हें उनके कपड़ों और बोली के कारण देखते। कुछ दिन बाद ही उन्हें एहसास हो गया कि लोगों के इस आकर्षण की बड़ी वजह विदेशी होने के साथ गांधी परिवार से नाम जुड़ना भी है।
शादी के लिए सोनिया ने पत्र लिखा पर पिता नहीं आए
सोनिया को भारत और राजीव पसंद आ गए। जीवनभर साथ रहने फैसला करते हुए शादी के लिए हां कर दी। 25 फरवरी को शादी की डेट तय हुई। इंदिरा गांधी चाहती थी कि विदेशी लड़की से शादी का मामला राष्ट्रीय स्तर पर नहीं जाना चाहिए। सोनिया ने अपने घर के लिए पत्र लिखा। सभी को शादी में आने के लिए कहा।
इसी दौरान तूरीन के 'ला स्टाम्पा' के एक पत्रकार ने खबर चला दी कि इस शादी के बाद मायनों परिवार बेहद तनाव से गुजर रहा है। देखते ही देखते इटली की मीडिया वहां इकट्ठा हो गई। सोनिया के पिता स्टीफेन मायनो ने कहा, "मैने अपनी बेटी का भविष्य बनाने के लिए पूरा भविष्य लगा दिया। अब जहां शादी का सवाल है तो तो बेहतर होगा कि शादी के बाद बात करें या फिर उसके बाद भी न करें।" उन्होंने शादी में नहीं आने की बात कह दी।
सोनिया ने पत्रकार को डांट दिया
इटली से शादी में शामिल होने सोनिया की मां, दोनों बहनें और मामा आए। शादी से पहले अशोका होटल के पियरे कार्डिन फैशन शो में सभी पहुंचे थे। सोनिया प्रिंटेड रेशमी साड़ी पहनकर राजीव और संजय के बीच बैठी थीं। सोनिया बाहर निकलने लगी तभी एक पत्रकार ने राजीव को लेकर सवाल पूछ लिया। सोनिया ने अंग्रेजी में कहा, "I am going to marry with Rajiv Gandhi, instead of Prime Minister’s son." यानी मैं पीएम के बेटे से नहीं, राजीव नाम के युवक से शादी करने जा रही हूं।
नेहरू की बुनी साड़ी पहनकर सोनिया ने की शादी
25 फरवरी की शाम 6 बजे सफदरगंज रोड के उद्यान नंबर एक में शादी हुई। सोनिया ने शादी में इंदिरा की पसंद की साड़ी पहनी। यह वही साड़ी थी जिसे जवाहर लाल नेहरू ने जेल में रहते हुए अपनी बेटी इंदिरा की शादी के लिए बुना था। सोनिया ने इसे लंदन में नेहरू प्रदर्शनी में देखा था। वो लाल साड़ी पहनने के बाद सोनिया को विश्वास हो गया था कि वह भारत के इतिहास का एक अंग बन गई हैं।
शादी में पत्रकारों की मौजूदगी पर उखड़ गए राजीव
राजीव को जब पता चला कि उपस्थित करीब 200 मेहमानों के बीच 2 पत्रकार भी हैं तो उन्हें गुस्सा आ गया। उन्होंने कमरे से बाहर आने से मना कर दिया। कहा, जब तक उन दोनों को निकाला नहीं जाता मैं बाहर नहीं आऊंगा। इंदिरा ने उन्हें समझाने की कोशिश की तो वह पहले भड़के फिर शांत हुए। तभी उन्हें सोनिया गांधी अपने मामा मारियो के साथ आती दिखीं। उनका चेहरा चमक रहा था। राजीव उन्हें देखकर दंग रह गए। गुस्सा भूल गए।
एक दूसरे को जयमाल पहनाकर वे फूलों के बनाए मंडप में पहुंचे। सिविल विवाह के लिए रजिस्टर पर सिग्नेचर किया। एक दूसरे को अंगूठी पहनाई। सोनिया अपने भाव को कंट्रोल करने की पूरी कोशिश कर रही थीं, लेकिन तभी मां को देखा तो रोने लगीं। मां ने गले लगा लिया। शादी में कोई पादरी नहीं था। राजीव ने ऋग्वेद के कुछ अंश पढ़े, वह था...
मंद-मंद चलती है पवन
मंद-मंद बहती है नदी
ईश्वर करे कि दिन और रात हमारे लिए प्रसन्नता का वरदान लाए,
धरती की धूल हमारे लिए प्रसन्नता का वरदान लाए
वृक्ष अपने फलों से हमें प्रसन्न रखें,
सूर्य अपनी किरणों से हमें प्रसन्नता का वरदान दें।
... और इस तरह से राजीव और सोनिया की शादी संपन्न हो गई।
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