लोगों ने घर के बाहर लगाए क्रॉस के निशान:ऊंचाहार के गांव में 20% लोग बन रहे ईसाई, भूत भगाने से लेकर बेटियों की शादी का लालच

रायबरेली4 महीने पहलेलेखक: देवांशु तिवारी
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रायबरेली की कैथवल ग्रामसभा में पड़ता है ननकू पुरवा गांव। लगभग 500 की आबादी वाले इस गांव में 60% लोग यादव समुदाय के हैं। यहां के 20 फीसदी लोग अब हिंदू देवी-देवताओं की पूजा नहीं करते। इसमें ज्यादातर पाल, साहू, सोनकर और यादव बिरादरी के लोग हैं। सभी हर रविवार होने वाली मसीही प्रार्थना में जाते हैं। वहीं पर मिली बाईबिल पढ़ते हैं। गांव में अधिकतर घरों के बाहर लोगों ने खुद मर्जी से 'क्रॉस' निशान लगाया है। इस निशान के बारे में पूछने पर जवाब मिलता है- अब यही हमारे प्रभु हैं, हम इनको ही मानते हैं।

रायबरेली पुलिस को 20 नवंबर को एक इनपुट मिला कि ननकू पुरवा गांव में लोगों का ब्रेनवॉश कर धर्म बदला जा रहा है। पुलिस गांव पहुंची और वहां रहने वाले मुन्नालाल के घर पर चल रही मसीही प्रार्थना को रुकवा दिया। हंगामा बढ़ा तो लोगों ने लाठी-डंडे उठा लिए। पुलिस ने हालात को काबू करते हुए प्रार्थना कर रहे मुन्नालाल समेत 12 लोगों को गिरफ्तार कर लिया।

घटना के 10 दिन बाद गांव में असहज करने वाला सन्नाटा है। गांव के बाहर हिंदूवादी संगठन के लोग घूम रहे हैं। उन लोगों पर नजर रखी जा रही है, जो पादरी के संपर्क में हैं और मसीही प्रार्थना में शामिल होते थे। गांव में धर्म-परिवर्तन को लेकर मचे इस हड़कंप के बीच दैनिक भास्कर ग्राउंड जीरो पर पहुंचा। विशेष प्रार्थना का सपोर्ट और इसका विरोध करने वाले दोनों पक्षों से बात की।

  • चलिए बारी-बारी सबकी बातों पर चलते हैं...
ननकू पुरवा गांव के 500 लोगों में करीब 300 लोग यादव समुदाय के हैं। यहां ज्यादातर लोगों की आमदनी सब्जियों की खेती से होती है। ये गांव कैथवल ग्राम पंचायत का हिस्सा है।
ननकू पुरवा गांव के 500 लोगों में करीब 300 लोग यादव समुदाय के हैं। यहां ज्यादातर लोगों की आमदनी सब्जियों की खेती से होती है। ये गांव कैथवल ग्राम पंचायत का हिस्सा है।

'दिमाग काम नहीं करता था, गॉड ने ठीक कर दिया'

ननकू पुरवा गांव पहुंचकर सबसे पहले हमारी मुलाकात मोहिनी से हुई। उम्र 22 साल है। वो 2018 से मसीही प्रार्थना में आ रही हैं। पूछने पर अपना नाम भी मोहिनी मसीह बताती हैं। दावा करती हैं, “मैं पिछले 7 साल से दिमागी बिमारी से परेशान थी। रायबरेली में सीटी स्कैन भी करवाया। कोई फायदा नहीं हुआ। फिर हमें गांव में हो रही मसीही प्रार्थना के बारे में पता चला। यहां सिर्फ प्रार्थना करने से लोग बड़ी-बड़ी बीमारियों से ठीक हो जाते हैं। हम भी 4 साल से यहां आ रहे हैं। धीरे-धीरे चंगी हो रही हूं।”

'बुरी आत्मा ने छत से ढकेल दिया, क्रॉस ने जान बचा ली'

कुछ दूर आगे चलने पर तिवराइन के पुरवा गांव की रहने वाली संजू मिली। वह भी 2 साल से मसीही प्रार्थना से जुड़ी है। पहले वो इसे नहीं मानती थीं, लेकिन दोस्त की बीमारी ठीक होते देखी, तो वो भी प्रार्थना में शामिल हो गईं। संजू दावा करती हैं, "मम्मी नींद में चलती थी, हमेशा बीमार रहती थी। पापा को दौरे आते थे। जब से मुन्नालाल भइया के यहां प्रार्थना में आना शुरू किया है, दोनों की तबीयत पहले से अच्छी है।"

संजू सिर्फ यही नहीं रुकती हैं। वह यह भी दावा करती हैं कि एक बार बुरे साए ने छत से ढकेल दिया था। लेकिन वो अपने साथ 'क्रॉस' रखती है। इससे उसकी जान बच गई। क्या बीमारी ठीक करवाने वाले आपको पैसे देते या फिर लेते थे? हमारा सवाल सुनकर संजू चुप हो गईं। 5 सेकेंड बाद 'न' में सिर हिला दिया। यहां स्पष्ट कर दें कि दैनिक भास्कर इस तरह के किसी भी दावे का पुष्टि नहीं करता है।

जब हम संजू से बात कर रहे थे तो पास में ही मायादेवी खड़ी थीं। मायादेवी के पति मुन्नालाल पर ही धर्म परिवर्तन का आरोप लगा है। माया ने हमें 20 नवंबर की घटना के बारे में बताया, जब पुलिस उसके घर पर आई थी। उसकी बातों से पहले यूपी में धर्म परिवर्तन के आंकड़ों से जुड़ा ये ग्राफिक्स देखिए।

"पुलिस जबरन घर में घुसी और प्रार्थना खंडित कर दी"
ननकू पुरवा गांव के जिस मकान में प्रार्थना होती थी वो मुन्नालाल का है। 20 नवंबर को मुन्नालाल अपने घर में 40 लोगों के साथ मसीही प्रार्थना कर रहे थे। तभी अचानक पुलिस उनके घर पहुंच गई। उस वक्त मुन्नालाल माइक पर प्रार्थना करा रहे थे और सभी लोग हाथ जोड़कर उन्हें ध्यान से सुन रहे थे। 5 पुलिसवाले प्रार्थना के बीच आ गए, तो लोगों ने इसका विरोध किया। इसी विरोध के बीच मुन्नालाल की पत्नी मायादेवी को चोट भी लग गई।

मायादेवी कहती हैं, "दोपहर का समय था हम सभी प्रार्थना कर रहे थे। तभी एक के बाद एक पुलिसवाले घर में घुसे और चिल्लाने लगे। बोले- यहां क्या हो रहा है। हमने जवाब दिया- हम सभी प्रार्थना कर रहे हैं। इस पर वो गुस्सा गए और बोलने लगे कि ये सब नहीं चलेगा। फिर उन्होंने मेरे पति और 12 लोगों को गिरफ्तार कर लिया।"

गांव के लोगों ने बताया कि ननकू पुरवा गांव में होने वाली मसीही प्रार्थना में शामिल होने के लिए आसपास के 8 गांवों के लोग आते थे। 7 साल में 150 से ज्यादा लोग इस सभा से जुड़ चुके हैं।

  • अब...उन लोगों की बात जो मसीही प्रार्थना के विरोध में हैं...

प्रार्थना में कहते है- न गंगा नहाओ, न देवी-देवताओं को मानो
ननकू पुरवा गांव के रीतेश कुमार पहले मसीही प्रार्थना में जाते थे। लेकिन वह कहते हैं कि सभा में बोली जाने वाली बातों के कारण उन्होंने वहां जाना छोड़ दिया। रीतेश ने बताया, "गांव में लोगों की बीमारी ठीक करने, भूत भगाने के लिए हर रविवार प्रार्थना सभा होती है। इसे देखने मैं वहां गया था। मगर, वहां बीमारी भगाने के नाम पर कुछ और ही चल रहा था। वहां लोगों को ईसाई धर्म की किताबें बांटी जाती थी। प्रार्थना कराने वाले बोलते थे- गंगा मत नहाओ, घरों में लगी देवी-देवताओं की फोटो और मूर्तियां हटा दो...ये सिर्फ एक भ्रम है।"

"गरीब महिलाओं को टारगेट कर किया जाता है ब्रेनवॉश"
कैथवल गांव के रहने वाले ललित गौतम डीएम से ऐसी प्रार्थनाओं की शिकायत कर चुके हैं। ललित कहते हैं, "ऊंचाहार इलाके में 2 से 4 ईसाई मिशनरियां गरीब बस्तियों और दबे-कुचले हिंदू समुदाय के लोगों को टारगेट कर रही हैं।"

ललित आगे कहते हैं, "गरीब और कम पढ़ी-लिखी महिलाएं लालच में आ जाती हैं। इसलिए इन सभाओं में आपको बड़ी संख्या में महिलाएं ही दिखेंगी। उन्हें बच्चों की शादी कराने, गैस चूल्हा देने, सिलाई मशीन और मिशन में नौकरी लगवाने तक का लालच दिया जाता है। पूरा जोर लगाया जाता है कि सभा में आने वाला धर्म बदलने के लिए राजी हो जाए।"

यहां बता दें कि ननकू पुरवा गांव में प्रार्थना सभा के दौरान हुए बवाल में मुन्नालाल के परिवार ने ललित पर लोगों को भड़काने का आरोप लगाया है।

ललित ने बताया कि ननकू पुरवा गांव के रहने वाले इंद्रराज यादव का परिवार मसीही प्रार्थना में जाता था। लेकिन 20 नंवबर की घटना के बाद से उन्होंने प्रार्थना में जाना छोड़ दिया। इसके बाद हम इंद्रराज यादव के घर पहुंचे, लेकिन वहां हमें कोई नहीं मिला। इंद्रराज के घर के बाद हम गांव के उन लोगों से मिले जो हर रविवार होने वाली सभा में जाते थे।

प्रयागराज से यूपी के 10 जिलों में बढ़ाया जा रहा नेटवर्क
ईसाई से हिंदू धर्म में 'वापस' आने वाले एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "गांवों में मसीही प्रार्थना करवाने के लिए दूर-दूर से पादरी आते हैं। इनका नेटवर्क 2014 में प्रयागराज से शुरू हुआ। वहां हर शुक्रवार यीशु दरबार लगता है। यहां जो लोग आते हैं, उन्हें गांवों में जाकर धर्म के प्रचार के लिए कहा जाता है।"

वो आगे कहते हैं, "प्रयागराज में होने वाली प्रार्थना सभा के विरोध में कई बार VHP और ABVP ने भी प्रदर्शन किया। प्रयागराज, कौशांबी, फतेहपुर, अम्बेडकर नगर, झांसी, मऊ, आजमगढ़, मेरठ, हाथरस और सहारनपुर में ऐसी प्रार्थनाएं दशकों से चल रही हैं।"

ये वहीं किताब है जो ननकू पुरवा गांव में मसीही प्रार्थना के दौरान लोगों को बांटी जाती है। इसमें बाईबिल और इसके महत्व के बारे में बताया गया है।
ये वहीं किताब है जो ननकू पुरवा गांव में मसीही प्रार्थना के दौरान लोगों को बांटी जाती है। इसमें बाईबिल और इसके महत्व के बारे में बताया गया है।

यहां तक आपने गांवों में हो रही मसीही प्रार्थनाओं पर ग्रामीणों की बातें सुनी, आगे इन सभाओं पर भारत की बड़ी धर्म प्रचारक संस्थाओं से जुड़े पदाधिकारियों का पक्ष जान लेते हैं...

हिंदू धर्मप्रचारकों का पक्ष: लॉकडाउन के वक्त गांवों में बढ़ा मिशनरीज का प्रभाव
VHP यानी विश्व हिंदू परिषद के इंटरनेशनल वर्किंग प्रेसिडेंट आलोक कुमार कहते हैं, "गांवों में काम करने वाले ईसाई मिशनरीज के लोग खुले आम धर्मांतरण करवा रहे हैं। इसमें ज्यादातर आदिवासी और पिछड़े हिंदुओं को टारगेट किया जाता है। ये सभाएं कोरोना काल में सख्त लॉकडाउन के दौरान के बाद अचानक से बढ़ गईं। यही वजह थी कि भारत में महामारी के दौरान सबसे ज्यादा गिरजाघर खोले गए।"

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ईसाई धर्मप्रचारकों का पक्ष: ईसाईयों पर बढ़ी ज्यादती
ईसाई धर्म प्रचारक मानते हैं कि भाजपा सरकार आने के बाद उन पर ज्यादती बढ़ गई है। ईसाई धर्म प्रचार करने वाली संस्था इवैंजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया के महासचिव रहे रेवरेंड अखिलेश एडगर ने एक इंटरव्यू में बताया, "भाजपा की सरकार आने के बाद RSS समेत दूसरे हिंदूवादी संगठनों के हमले ईसाई समाज पर बढ़े हैं। संविधान भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र मानता है, जबकि संघ की सोच एक हिंदू राष्ट्र की है। यही विवाद का कारण है।"

साल 2020 के बाद ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में मसीह प्रार्थनाओं के बढ़ने के साथ-साथ इनका विरोध भी हुआ। साल 2021 में देश में चर्च और ईसाई प्रार्थना स्थलों में हमलों के मामले भी सबसे ज्यादा रहे। पूरे आंकड़े नीचे लगे ग्राफिक में देखिए...

लालच या धोखे से नहीं करा सकते किसी का धर्मांतरण
केंद्र सरकार ने 28 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया। इसमें गृह मंत्रालय के बयान में यह कहा गया कि भारत का संविधान हर व्यक्ति को अपने धर्म का स्वतंत्रता पूर्वक पालन करने का अधिकार देता है। धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार में अन्य लोगों को धर्मांतरित करने का मौलिक अधिकार शामिल नहीं है। इस अधिकार में किसी को धोखे, जबरदस्ती, लालच या ऐसे दूसरे माध्यमों से परिवर्तित करने का अधिकार शामिल नहीं है।

डीएम बोलीं: धर्म विशेष संबंधी ऐसी सभाओं पर रखी जा रही कड़ी नजर
गांवों में चोरी छिपे हो रही ऐसी सभाओं पर रायबरेली की डीएम माला श्रीवास्तव कहती हैं, "गांवों में किसी धर्म विशेष को लेकर हो रही ऐसी सभाओं पर जिला पुलिस कड़ी नजर रख रही है। अगर कोई भी व्यक्ति धर्मांतरण की शिकायत करता है, तो लोकल पुलिस तुरंत घटनास्थल पर पहुंचकर संबंधित एक्ट में कार्रवाई करती है।"

रायबरेली की डीएम माला श्रीवास्तव।
रायबरेली की डीएम माला श्रीवास्तव।

वहीं, रायबरेली एसपी आलोक प्रियदर्शी के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, जिले के दूर-दराज के इलाकों और गांवों में धर्मांतरण के मामले सामने आने पर गांवों में पुलिस की गश्त बढ़ा दी गई है। ऐसे मामलों में लिप्त दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाती है। ऊंचाहार के धर्म परिवर्तन वाले मामले में भी 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया। सभी पर अपराध संख्या 684/2022 धारा-3,5(1) उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन अधिनियम 2021और धारा-323,295A, 506 भादवि मामले में केस दर्ज हुआ है। अदालती कार्यवाही जारी है।

अब साल 2022 में ईसाई धर्मांतरण से जुड़े 7 बड़े मामलों को जान लेते हैं...

14 अप्रैल 2022: फतेहपुर शहर के हरिहरगंज मोहल्ले के चूना वाली गली स्थित चर्च के अंदर 70 लोगों के धर्मांतरण की कोशिश की गई। बजरंग दल और VHP के कार्यकर्ताओं की शिकायत के बाद पुलिस एक्शन में आई। चर्च के पादरी सहित 26 लोगों को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में पादरी ने स्वीकारा कि चर्च में मौजूद 70 लोगों में 50 हिंदू थे।

29 मई 2022: आजमगढ़ के कंधरापुर इलाके में शैतानी आत्मा के इलाज के नाम पर लोगों के धर्म बदलने की शिकायत मिली। इस मामले में मोहरिल नाम का व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। जांच में पता चला कि मोहरिल ने चंगाई सभा कर आजमगढ़ में 100 से ज्यादा लोगों का ईसाईकरण किया।

29 मई 2022: सहारनपुर के बेहट इलाके में लोगों को लालच देकर ईसाई धर्म में आने वाले 2 युवकों को गिरफ्तार किया गया। पकड़े गए अजय और अनिल से इसी साल अपनी धर्म बदला था। दोनों बेहट में गांव-गांव जाकर लोगों को ईसाई धर्म में आने के लिए उकसा रहे थे।

यह फोटो सहारनपुर की है। यहां मई में धर्मपरिवर्तन के आरोप में अजय और अनिल नाम के व्यक्ति को पकड़ा गया था।
यह फोटो सहारनपुर की है। यहां मई में धर्मपरिवर्तन के आरोप में अजय और अनिल नाम के व्यक्ति को पकड़ा गया था।

26 जून 2022: अंबेडकरनगर में जहांगीरगंज थाने के नयागांव में राजकुमार अग्रहरि हर रविवार को अपने घर पर चंगाई सभा करता था। 26 जून की सभा में गांव की कुछ महिलाओं ने प्रार्थना का विरोध किया, तो हंगामा हो गया। इसके बाद महिलाओं ने राजकुमार के खिलाफ जहांगीरगंज थाने में मुकदमा दर्ज करवाया। महिलाओं ने अपनी तहरीर में लिखा कि राजकुमार उनको धर्म बदलने के नाम पर मिशनरी से 2 लाख दिलवाने की बात कहता था।

2 जुलाई 2022: फतेहपुर जिले का सुजरही गांव की हरिजन बस्ती में 80 लोगों का धर्म बदलवाने का प्रयास किया गया। इस दौरान चंगाई सभा में मौजूद राहुल सहित 3 लोगों ने बाइबिल लेने से इनकार कर दिया। इस पर सभा कर रहे संजय पासवान ने तीनों को पहले गालियां दीं फिर मारपीट भी की। हंगामे के बाद खागा पुलिस ने मौके पर 3 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

28 अक्तूबर 2022: मेरठ में मंगतपुरम बस्ती के करीब 400 लोग SSP ऑफिस पहुंचे। शिकायत थी कि उन्हें जबरन हिंदू से ईसाई बनने को मजबूर किया जा रहा है। आरोप था कि कुछ क्रिश्चियन लोगों ने लॉकडाउन में बस्ती वालों की मदद की। फिर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया। पूजा करने और मंदिर जाने से मना किया गया। कई घरों से हिंदू देवी-देवताओं की फोटो हटवा दी। पुलिस ने मामले में 9 आरोपियों पर केस दर्ज किया।

SSP कार्यालय पर भाजपा नेता दीपक शर्मा के साथ शिकायत करने पहुंचे मंगतपुरम बस्ती के लोग।
SSP कार्यालय पर भाजपा नेता दीपक शर्मा के साथ शिकायत करने पहुंचे मंगतपुरम बस्ती के लोग।

20 नवंबर 2022: फतेहपुर जिले में चर्च में सामूहिक धर्मांतरण के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए 42 लोगों को जेल भेजा गया। एसपी राजेश कुमार सिंह ने बताया कि यह लोग ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार के साथ दलित गरीब, हिन्दू, मुस्लिम परिवार के लोगों को आर्थिक सहयोग करके ईसाई धर्म में परिवर्तन कराने का काम करते थे।

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