सीएम योगी आदित्यनाथ 5 जून को 50 साल के हो जाएंगे। इसलिए राजनीति के किरदार और किस्से सीरीज में 5 जून तक उनकी जिंदगी से जुड़े किस्से बताएंगे। आज की कहानी 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के तुरंत बाद मंत्रियों के नामों के ऐलान को लेकर है। सीएम योगी भी तब दिल्ली गए थे, पर मंत्री नहीं बने। 2016 में दोबारा मंत्रिमंडल में बदलाव हुआ पर इस बार भी नहीं चुने गए। 2017 में किस्मत पलट गई।
कहानी की शुरुआत 2014 के लोकसभा चुनाव से करेंगे। जहां बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी, वहीं योगी 5वीं बार सांसद बने थे।
ओपिनियन पोल के अनुमान से भी ज्यादा सीट बीजेपी को मिली
2014 के लोकसभा चुनाव से तीन महीने पहले सी वोटर और CNN-IBN ने अपने ओपिनियल पोल में बताया कि बीजेपी को 210 से 220 सीट मिलेगी। 16 मई 2014 को परिणाम आया तो बीजेपी गठबंधन को 336 सीटों पर जीत मिली। अनुमान से डेढ़ गुना अधिक। अकेले बीजेपी को 282 सीट मिली। बहुमत के लिए 272 सीटें चाहिए थी।
पांचवीं बार जीतने के बाद योगी के मंत्री बनने के बढ़ गए थे आसार
42 साल की उम्र में योगी आदित्याथ ने गोरखपुर की लोकसभा सीट से लगातार पांचवी बार चुनाव जीत लिया। इस बार उन्होंने सपा की राजमती निषाद को रिकॉर्ड 3 लाख 12 हजार 783 वोट हराया। इस जीत के बाद मीडिया में यह खबर चलने लगी कि योगी आदित्यनाथ को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा।
संभावित मंत्रियों की चाय पार्टी में योगी नहीं
योगी आदित्यनाथ पर रामराज्य नाम से किताब लिखने वाली डॉ. कंचन सिंह ने गोरखनाथ सिंह राठौर के हवाले से 2014 के चुनाव के बाद मंत्री पद से जुड़ा एक मामला लिखा है। गोरखनाथ बताते हैं कि बीजेपी की जीत के बाद मैं योगी आदित्यनाथ से मिलने पहुंचा। उनसे कहा, "आज कैबिनेट के लिए चयनित सभी मंत्रियों की चाय पार्टी है क्या आप भी जा रहे हैं, योगी जी मुस्कुराते हुए कहते हैं कि मैं मंत्री पद का आकांक्षी नहीं हूं फिर भी मुझे जनता की सेवा का मौका मिलता है तब इसे नैतिक जिम्मेदारी समझूंगा।"
गोरखनाथ बताते हैं कि हमने योगी पर जोर डाला कि आप दिल्ली में राजनाथ सिंह से मिलिए। योगी ने कहा, “आपकी इस बात पर विचार करेंगे ।” कुछ ही देर बाद उन्होंने मिलने की बात कह दी।
बड़ा गुलदस्ता लेकर राजनाथ से मिलने पहुंचे योगी
2014 में राजनाथ सिंह बीजेपी के अध्यक्ष थे। दिल्ली के अशोक रोड पर रहते थे। चुनाव के बाद उनसे मिलने वालों की लंबी लाइन लगी रहती थी। योगी आदित्यनाथ भी फूलों का एक बड़ा गुलदस्ता लेकर वहां पहुंचे। कुछ देर के इंतजार के बाद राजनाथ से मुलाकात हुई। सरकार और मंत्रिमंडल की बात हुई लेकिन खुद के लिए मंत्री पद पर कोई बात नहीं हुई। यह मुलाकात 10 मिनट तक चली।
इस मुलाकात के बाद गोरखनाथ को उम्मीद थी कि अगले दिन मंत्रियों की लिस्ट में आदित्यनाथ का नाम होगा। लिस्ट जारी हुई पर नाम नहीं था। योगी आदित्यनाथ से मीडिया ने पूछा, "आखिर आपको मंत्री पद क्यों नहीं मिला"? योगी मुस्कुरा देते और कहते, "जनता की सेवा मंत्रिपद के बिना भी की जा सकती है।"
गोरखनाथ बताते हैं कि 2016 में भी केंद्रीय मंत्रीमंडल में बदलाव होने जा रहा था। जब-जब सूची निकलती मैं एक दिन पहले कहीं न कहीं दर्शन करने जाता था। 2016 के मंत्रिमंडल में भी योगी आदित्यनाथ का नाम नहीं था।
अब बात यूपी 2017 के इलेक्शन के नतीजों के बाद की करते हैं।
यूपी में बीजेपी जीती पर योगी के नाम की कोई सिफारिश नहीं
11 मार्च 2017 को बीजेपी ने यूपी की 403 में से 325 सीटें जीत ली। अगले पांच दिन तक सीएम के नाम की चर्चा चलती रही। केशव प्रसाद मौर्य, मनोज सिन्हा, राजनाथ सिंह जैसे नेताओं के नाम की चर्चा थी लेकिन योगी आदित्यनाथ के नाम की चर्चा नहीं थी।
ज्योतिष ने बताया 16 मार्च से ग्रह योगी के अनुसार हो जाएंगे
गोरखनाथ बताते हैं, जब कोई नाम फाइनल नहीं हो रहा था तब योगी आदित्यनाथ का भी नाम जुड़ गया था। मैं झांसी के पीताम्बर के अनुयायी और आध्यामिक डॉ. रविंद्र तिवारी से मिला। उन्होंने योगी की कुण्डली देखकर बताया, "कुछ बाधाएं हैं लेकिन 16 मार्च के बाद ग्रह अनुकूल हैं। उन्हें बड़ा पद मिलेगा। रविंद्र ने यह भी बताया था कि मीटिंग की तारीख आगे बढ़ने पर ही योगी को फायदा होगा। अचानक 16 मार्च को तय मीटिंग टल गई।"
चार्टर्ड से बुलाया गया लेकिन तय था जो चार्टर्ड से लौटेगा वह सीएम बनेगा
योगी आदित्यनाथ 16 मार्च को दिल्ली से वापस गोरखपुर लौट चुके थे। 17 मार्च को दिल्ली से फोन आया आप बीजेपी दफ्तर आइए। योगी ने कहा, "हम तो गोरखपुर आ गए।" हाईकमान ने योगी को बुलाने के लिए चार्टर प्लेन भेजा। यह सिर्फ योगी को नहीं बल्कि उन सभी को भेजा गया जो सीएम पद की दावेदारी में थे।
अधिकारी बताते हैं, बुलाने से सीएम पद क्लियर नहीं था लेकिन जिसे दिल्ली से लखनऊ चार्टर से भेजा जाएगा उसका सीएम पद पक्का होगा। मीटिंग हुई। लंबी चर्चा के बाद योगी आदित्यनाथ के नाम पर मुहर लग गई। जिस प्लेन से दिल्ली गए थे उसी से लखनऊ आए। 19 मार्च को मुख्यमंत्री की शपथ लेकर यूपी की बागडोर संभाल ली।
2014 में मंत्री पद की चाह में राजनाथ सिंह से मिलने दिल्ली पहुंचे योगी आदित्यनाथ 3 साल बाद सीएम बन गए। 2022 में दोबारा सीएम बन गए। बीजेपी के समर्थक कहते हैं नरेंद्र मोदी के बाद योगी आदित्यनाथ पीएम पद के दावेदार होंगे।
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