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उत्तर प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को मंजूरी दे दी। राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद अब लव जिहाद अपराध की श्रेणी में आ गया है। इसके तहत दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की सजा दी जा सकती है। इससे पहले यूपी सरकार ने 24 नवंबर को धर्म परिवर्तन के खिलाफ अध्यादेश पास किया था।
20 नवंबर को राज्य की गृह मंत्रालय ने न्याय और विधि विभाग को इसका प्रस्ताव बनाकर भेजा था। इसके मुताबिक, ऐसे मामलों में गैर जमानती धाराओं में केस दर्ज होगा। UP के अलावा मध्य प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में भी इस मसले पर कानून बनाने की तैयारी चल रही है।
यूपी के लॉ कमीशन के चीफ आदित्यनाथ मित्तल ने बताया कि भारतीय संविधान ने धर्म से जुड़ी आजादी दी है, लेकिन कुछ एजेंसियां इसका गलत इस्तेमाल कर रही हैं। वे धर्म बदलने के लिए लोगों को शादी, नौकरी और अच्छी लाइफ स्टाइल का लालच देती हैं। हमने इस मसले पर 2019 में ही ड्राफ्ट सौंप दिया था। इसमें अब तक 3 बार बदलाव किए गए हैं। आखिरी बदलाव में हमने सजा का प्रावधान जोड़ा है।
ये है लव जिहाद के खिलाफ कानून का ड्राफ्ट
धर्म परिवर्तन के लिए हो रहीं शादियां भी दायरे में
ड्राफ्ट के मुताबिक, धर्मांतरण के मामले में अगर माता-पिता, भाई-बहन या अन्य सगा-संबंधी शिकायत करता है तो कार्रवाई हो सकती है। धर्म बदलने के लिए दोषी पाए जाने पर एक साल से लेकर 10 साल तक की सजा हो सकती है। लव जिहाद जैसे मामलों में मदद करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा। दोषी पाए जाने पर उन्हें सजा होगी। अध्यादेश के मुताबिक, शादी कराने वाले पंडित या मौलवी को उस धर्म का पूरा ज्ञान होना जरूरी है।
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