पिछले एक साल से दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसानों की मांग आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मान ली। केंद्र सरकार ने तीनों नए कृषि कानून वापस ले लिए हैं। कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा के बाद जहां गाजीपुर बॉर्डर पर जश्न शुरू हो गया है तो यूपी में सियासत भी शुरू हो गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कृषि कानून चाहें जैसे भी रहे हों, लेकिन अगर कहीं से भी आवाज निकली है तो लोकतंत्र में संवाद की अनसुनी नहीं कर सकते। संवाद से हम इन समस्याओं का समाधान करेंगे। अखिलेश ने कहा कि अमीरों की भाजपा ने भूमि अधिग्रहण व काले कानूनों से गरीबों-किसानों को ठगना चाहा। भाजपा बताए सैंकड़ों किसानों की मौत के दोषियों को सजा कब मिलेगी। कृषि कानून वोट के लिए वापस हुए हैं।
इधर, मुंबई से राकेश टिकैत ने कहा है कि जब तक कागज नहीं मिलता है हम दिल्ली बॉर्डर से नहीं हटेंगे। हमारी एक कमेटी बनेगी जो अलग-अलग मुद्दों पर भारत सरकार से बात करेगी। 22 नवंबर को लखनऊ में महापंचायत होगी। वहीं मुजफ्फरनगर में भारतीय किसान यूनियन( भाकियू) के अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि संयुक्त मोर्चा आंदोलन वापसी का निर्णय जल्द ही लेगा।
प्रियंका ने कहा- सरकार को झुकना ही पड़ता है
प्रियंका गांधी ने कहा कि यह सरकार समझ गई है कि इस देश में किसानों से बड़ा कोई नहीं है। इस देश में एक सरकार अगर किसानों को कुचलने की कोशिश करती है और किसान खड़ा हो जाता है तो सरकार को अंत में झुकना ही पड़ेगा। उधर, बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि यह फैसला बहुत पहले ले लेना चाहिए था। MSP को लेकर भी सरकार फैसला करे। इस आंदोलन के दौरान किसान शहीद हुए हैं, उन्हें केंद्र सरकार आर्थिक मदद और नौकरी दे।
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राकेश के भाई नरेश यह बोले
सपा ने कहा- चुनाव में हारने का डर से बदला फैसला
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि यह सत्ता जाने का डर है। किसान आंदोलनों के दौरान 600 से ज्यादा किसानों की मौत हुई, तब पीएम का ध्यान नहीं गया। अब उत्तर प्रदेश में चुनाव है और पार्टी को लगता है कि यह चुनाव हार जाएगी लिहाजा यह फैसला किया है।
जयंत बोले- किसान की जीत हुई
लखनऊ में होने वाली पंचायत अभी कैंसिल नहीं
संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से 22 नवंबर को लखनऊ में होने वाली महापंचायत कैंसिल नहीं की गई है। अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश सचिव मुकुट सिंह ने कहा कि वह लोग तैयारी कर रहे हैं। संयुक्त मोर्चा की तरफ से कोई आधिकारिक बयान आने के बाद ही वह लोग अपना कार्यक्रम कैंसिल करेंगे। यहां पढ़ें पूरी खबर
26 नवंबर 2020 से धरने पर बैठे हैं किसान
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवंबर 2020 को UP के किसान जब दिल्ली जा रहे थे, दिल्ली पुलिस ने उन्हें गाजीपुर बॉर्डर पर बैरिकेड्स लगाकर रोक दिया था। उसी वक्त किसान बॉर्डर पर टैंट-तंबू लगाकर धरने पर बैठ गए थे। गाजीपुर की तरह सिंघु, टीकरी और शाहजहांपुर बॉर्डर पर भी किसान पिछले 12 महीने से धरने पर बैठे हैं।
तीनों कृषि कानून, जिनके खिलाफ आंदोलन कर रहे थे किसान
1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 2. कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020
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