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15 साल पहले राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अन्तर्गत कराए गए कार्य में 80 लाख घोटाला सामने आया है। इसके बाद विजिलेंस ने एक एक्सईएन, तीन एसडीओ, कार्यदायी संस्था के सात कर्मियों सहित 11 लोगों पर मामला दर्ज कराया गया है। कार्यदायी संस्था ने बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर घोटाला किया था।
दरअसल, 2005-06 में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत प्रदेश में विद्युतीकरण कार्य कराया गया था। लेकिन संस्था द्वारा विधुत विभाग के अधिकारियों से मिलकर गुणवत्ताहीन कार्य कराकर करोड़ों रुपए का गमन कर लिया गया है। इस मामले की कई जगहों से शिकायत आई तो उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर (विजिलेंस) को जांच दी गई। जांच में प्रदेश के 12 जनपदों में 1600 करोड़ के घोटाला सामने आया था, इसमें जनपद के 36 गांवों में कराई गई खुली जांच में 80 लाख रुपए का घोटाला सामने आया।
36 गांवों कराए गए काम का हुआ सत्यापन
यहां 36 गांवों में कराए गए कार्यों के भौतिक सत्यापन में पाया गया कि, 2005-06 के अन्तर्गत योजना के तहत विद्युतीकरण का कार्य संस्था आईबीआरसीएल हैदराबाद द्वारा कराया गया। लेकिन, खम्भों में मानक के अनुरूप ग्राउटिंग नहीं कराई गई और ना ही स्टोन पैड लगवाए गए। संस्था व उसके प्रतिनिधि द्वारा मिली भगत करके 80 लाख 66 हजार 239 का गमन किया।
इनके खिलाफ हुई एफआईआर
कोतवाली पुलिस ने विजिलेंस निरीक्षक अजित कुमार की शिकायत पर निवर्तमान अधिशाषी अभियन्ता डीके त्यागी, एसडीओ रविकान्त, एसडीओ सतेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, एसडीओ राघवेन्द्र प्रताप वर्मा, अवर अभियन्ता अनिल कुमार, अवर अभियन्ता श्रीप्रकाश, अवर अभियन्ता महेन्द्र प्रताप खरे, अवर अभियन्ता श्रीनिवास महाकुण्ड, फर्म आईबीआरसीएल कम्पनी के इंजीनियर विनोद कुमार राय, महेश माने के विरुद्ध धारा 420, 408, 409, 120बी, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988, 7, 13/(2) के अन्तर्गत मामला दर्ज किया गया।
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