सोनिया और राजीव की लव स्टोरी:पहली मुलाकात में सोनिया को अपना परिचय नहीं दे सके थे राजीव; दोस्त से कहा था, मेरे बारे में तो बताओ

10 महीने पहलेलेखक: राजेश साहू
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क्या पहली नजर में किसी से प्यार हो सकता है? यह सवाल सोनिया खुद से उस दिन पूछ रही थीं जब राजीव ने कैंब्रिज के एक गिरजाघर के लॉन में चलते हुए उनका हाथ थाम लिया था। सोनिया उस रोज कमरे पर आकर कभी शीशा देखतीं तो कभी उस हाथ को। सहेलियां कुछ पूछतीं तो बस मुस्कुरा देतीं।

राजनीति के किरदार और किस्से की इस सीरीज में आज की कहानी राजीव और सोनिया पहली मुलाकात की करेंगे। आइए शुरू से जानते हैं।

सोनिया के पिता कहते थे कि बेटियों का जो मन हो वह करें
1965 में 21 साल की उम्र में राजीव गांधी पढ़ाई के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनिटी कॉलेज पहुंचे। उसी साल कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के लेनॉक्स कुक स्कूल में अंग्रेजी भाषा सीखने इटली से एंटोनिया अलबिना मायनो यानी सोनिया गांधी आई थीं। सोनिया के बिल्डर पिता चाहते थे कि तीनों बेटियां वह सब करें जो उनके लिए सबसे बेहतर हो। इसलिए, उन्होंने सोनिया को कैंब्रिज के सबसे बेहतरीन और महंगे लैंग्वेज स्कूल में एडमिशन दिलवाया था।

सोनिया गांधी के बिल्डर पिता चाहते थे कि उनकी तीनों बेटियां वह सब कुछ करें जिसे करके वह अपना करियर बना सकती हैं।
सोनिया गांधी के बिल्डर पिता चाहते थे कि उनकी तीनों बेटियां वह सब कुछ करें जिसे करके वह अपना करियर बना सकती हैं।

पहली बार मिले तो खुद का परिचय नहीं बता सके राजीव
सोनिया और राजीव के कैंपस अलग थे। सोनिया उबली पत्तागोभी, आलू, ऑमलेट और ब्रेड के साथ टोमैटो सॉस खाकर ऊब गई थीं, इसलिए वह यूनिवर्सिटी के रेस्टोरेंट में खाना खाती थीं। एक दिन सोनिया अपनी सहेली के साथ बैठी थीं तभी उनका दोस्त क्रिस्टियन वान स्टेगालिट्ज राजीव गांधी के साथ रेस्टोरेंट के अंदर पहुंचा। क्रिस्टियन ने सोनिया से कहा, "आज मैं आपको अपने दोस्त से मिलवाना चाहता हूं, ये भारत से आए हैं और इनका नाम राजीव है।"

राजीव ने हाथ आगे हाथ बढ़ाया तो सोनिया ने शर्माते हुए हाथ मिला लिया। किसी ने किसी से कुछ बोला नहीं। राजीव और क्रिस्टियन एक अलग टेबल पर बैठकर लंच करने लगे। राजीव प्लेट से ज्यादा सोनिया को देखे जा रहे थे। लंच कर चुके तो क्रिस्टियन ने पूछा, क्या वह तुम्हें पसंद है? वह एक इटालियन हैं? राजीव ने कहा, "हां, पहले मेरा परिचय तो करवा दो।"

जर्जर हो चुकी गाड़ी से पहली बार घूमने निकले थे राजीव
सोनिया गांधी की जीवनी 'द रेड साड़ी' में जेवियर मोरो लिखते हैं, "राजीव ने उसी दिन तय कर लिया था कि सोनिया ही आगे उनकी जीवन साथी बनेंगी। उन्होंने उसी दिन दोपहर में तय किया कि आज सभी एली शहर घूमने जाएंगे। वहां बेनेडिक्टाइन मठ के अंदर एक सुंदर गिरजाघर था। सोनिया मना करना चाहती थीं, लेकिन मना करने की कोई वजह नहीं मिली। इसलिए हामी भर दी।"

सोनिया और राजीव को पढ़ाई से जैसे ही फुर्सत मिलती, वह घूमने निकल जाते थे। यह इंडिया गेट पर उनकी आउटिंग की फोटो है।
सोनिया और राजीव को पढ़ाई से जैसे ही फुर्सत मिलती, वह घूमने निकल जाते थे। यह इंडिया गेट पर उनकी आउटिंग की फोटो है।

जिस गाड़ी को दो बार पलटा चुके थे उसी को लेकर गए
क्रिस्टियन के पास एक वॉक्सवैगन कार थी। उसकी हालत बहुत खराब हो गई थी, क्योंकि राजीव पिछले एक महीने में उसे दो बार पलटा चुके थे। पिचकी गाड़ी की मरम्मत और पेंट के लिए पैसे नहीं थे, इसलिए उसे पीट-पीटकर सही किया था। ऐसा लग रहा था जैसे गाड़ी पर चेचक के दाग हों। अच्छी बात यह थी कि वह चल रही थी।

एली की सैर पर निकले राजीव और सोनिया ने एक दूसरे से डायरेक्ट कोई बात नहीं की। इसकी बड़ी वजह यह थी कि राजीव बेहद सधी हुई अंग्रेजी बोलते थे, सोनिया अभी लर्निंग पीरियड में थीं। गिरजाघर की प्राचीन दीवारों को देखते हुए चल रहे राजीव ने सोनिया का हाथ पकड़ लिया। सोनिया में इतनी ताकत नहीं बची कि वे उस हाथ को वापस खींच सकतीं। वह गर्म और मुलायम हाथ संतोष, सुरक्षा और आनंद दे रहा था।

कमरे पर पहुंचीं तो बदल गया सोनिया का ख्याल
सोनिया कमरे पर पहुंचीं तो पूरा दिन उनके दिमाग में घूम रहा था। वह राजीव की मुस्कान को भूल नहीं पा रही थीं। वह बार-बार खुद से ही सवाल करतीं कि क्या पहली ही नजर में इस तरह प्यार हो सकता है? फिर खुद ही जवाब देतीं, "नहीं-नहीं ऐसे कैसे हो सकता है! किसी लड़की को ऐसे किसी लड़के के प्यार में नहीं पड़ना चाहिए।"

अगले दिन दोनों फिर मिले। राजीव ने सोनिया से पूछा, क्या आज शाम मेरे साथ बाग में जाना चाहेंगीं? सोनिया ने जवाब दिया; "नहीं, आज नहीं।" राजीव ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा, "बस थोड़ी देर के लिए, हम जल्दी ही लौट आएंगे।" यह बोलते वक्त राजीव सोनिया को लगातार देख रहे थे और सोनिया हाथ बांधे नजर झुकाए जमीन की तरफ देख रही थीं। वह राजीव को निराश नहीं करना चाहती थीं, इसलिए बाग में जाने के लिए राजी हो गईं।

सोनिया गांधी राजीव को पसंद तो करने लगी थीं, लेकिन उन्हें भारत के नाम पर, यहां के रीति-रिवाज को लेकर डर लग रहा था।
सोनिया गांधी राजीव को पसंद तो करने लगी थीं, लेकिन उन्हें भारत के नाम पर, यहां के रीति-रिवाज को लेकर डर लग रहा था।

सोनिया ने तय कर लिया कि अब कभी नहीं मिलना
दूसरी मुलाकात के बाद सोनिया फ्यूचर को लेकर टेंशन में आ गई। जेवियर मोरो लिखते हैं, "सोनिया के दिमाग में चल रहा था कि राजीव ना यूरोप के हैं ना USA के। वह तो भारत के हैं। जहां का रीति-रिवाज एकदम अलग। वहां कैसे रह पाऊंगी?" इन सब सवालों के बीच सोनिया राजीव की मुस्कान नहीं भूल पा रही थीं। नतीजा ये हुआ कि सोनिया न चाहते हुए उनसे मिलने लगीं और दोनों के बीच प्यार हो गया।

राजीव के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह सोनिया को नाइट क्लब ले जा सकें
राजीव गांधी सोनिया को ला फ्लाॉ डू मॉल नाम के सबसे अच्छे नाइट क्लब में ले जाना चाहते थे। उनके पास इसके लिए उतना पैसा ही नहीं था। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत सरकार ने अपने नागरिकों द्वारा विदेशी मुद्रा की खरीद पर सीमा लगा रही थी, एक विदेश यात्रा पर 650 पौंड से अधिक विदेशी मुद्रा नहीं ले सकते थे। यह नियम राजीव गांधी पर भी लागू था।

जब सोनिया को प्रपोज कर दिया
राजीव नाइट क्लब में नहीं जा सकते थे, इसलिए एक दिन क्रिस्टियन के लाउंज में गए। यहां काफी वक्त तक साथ बैठे रहे। डांस किया। रात के 11 बज गए। सोनिया साइकिल से नहीं आई थीं। बारिश भी हो चुकी थी। राजीव ने तय किया कि पैदल ही छोड़ने चलेंगे। दोनों साथ पैदल निकले। यहीं राजीव ने दिल खोल दिया। प्रपोज कर दिया। सोनिया ने प्रपोजल को मुस्कुराते हुए स्वीकार कर लिया।

यह कहानी यहीं खत्म होती है। कल की कहानी में हम जानेंगे जब राजीव ने सोनिया को लेकर अपनी मां इंदिरा गांधी को पत्र लिखा तब उन्होंने क्यों कह दिया था कि जरूरी नहीं जो मिली हो वह सही हो।

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