शाहजहां को बादशाहत मिले 4 साल बीत गए थे। राजपाट में हमेशा व्यस्त रहने वाले शाहजहां अब मुमताज के साथ दिन-रात बिताने लगे थे। वजह थी उनकी लगातार बिगड़ रही तबीयत। अपने आखिरी पलों में मुमताज ने बादशाह से 1 वादा लिया। 391 साल बाद मुमताज का ये वादा आज देश के अखबारों की हेडलाइन बन गया है। इस वादे के गवाह ताजमहल के 22 कमरों को फिर से खुलवाने की अर्जी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है, लेकिन हम आपको इसकी पूरी कहानी बता रहे हैं।
ये कहानी शुरू होती है 391 साल पहले, यानी 1631 से...
मुमताज बहुत कमजोर हो गईं थीं। 14वें बच्चे को जन्म देने से पहले मुमताज ने बादशाह से एक नहीं बल्कि 2 वादे लिए। पहला, उनके जाने के बाद वो किसी और महिला से बच्चा नहीं पैदा करेंगे। दूसरा, मुमताज ने कहा, "मैंने सपने में एक बेहद खूबसूरत महल और बाग देखा है, जैसा इस दुनिया में कहीं नहीं है। मेरी आपसे गुजारिश है कि आप मेरी याद में वैसा ही एक महल बनवाएं।" बच्चे को जन्म देते समय मुमताज की मौत हो गई। इसके आगे की कहानी से लेकर 12 मई के फैसले तक हमने 10 ग्राफिक्स के जरिए बताई है।
इसके 3 हिस्से हैं। पहला- बनने की वजह, दूसरा- आर्किटेक्ट और डिजाइन और तीसरा- विवाद। चलिए बारी-बारी इससे गुजरते हैं...
1. ताजमहल का इतिहास
2. ताजमहल का आर्किटेक्ट
3.ताजहल से जुड़े विवाद
ताजमहल की कहानी और इससे जुड़ी बातें यहां खत्म होती हैं, आखिर में मशहूर शायर शकील बदायूनी की इस खूबसूरत नज्म से विदा लेते हैं...
"इक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताज-महल,
सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है।
इस के साए में सदा प्यार के चर्चे होंगे,
खत्म जो हो न सकेगी वो कहानी दी है।"
संदर्भ
ग्राफिक डिजाइनर: राजकुमार गुप्ता
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