उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बीते तीन दिनों से चल रही राम मंदिर निर्माण समिति की बैठक रविवार को संपन्न हो गई। मंदिर के निर्माण की जिम्मेदारी लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के पास है। हालांकि आइआइटी रुड़की और आइआइटी चेन्नई के इंजीनियर्स की टीम इसकी गुणवत्ता को परख रही है। लेकिन, अब टाटा कंस्ट्रक्शन कंपनी को L&T के काम को परखने का दायित्व सौंपा गया है। बैठक में यह भी तय हुआ है कि 70 एकड़ क्षेत्र के विकास के लिए देश के आर्किटेक्ट से प्लान मांगे जाएंगे और 51 प्रमुख संतों को भेजकर उनके परामर्श लिए जाएंगे। उसके बाद उनमें से स्वीकृत परियोजनाओं का चयन कर उस पर काम शुरू होगा। ऐसा केवल राम मंदिर परिसर के व्यापक विकास को ध्यान में रख कर किया जाएगा।
इन चार मुद्दों पर हुई चर्चा
39 माह में मंदिर निर्माण पूरा करने पर हुआ मंथन
मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि इंजीनियरिंग की मिनी पार्लियामेंट के तौर पर तकनीकी कंपनियों के इंजीनियरों से विचार विमर्श के बाद अब तय हो गया है कि एलएंडटी, टाटा कंसल्टेंसी, आइआइटी चेन्नई व रूड़की की सीबीआरआई टीम के निष्कर्ष के मुताबिक मंदिर का निर्माण होगा। जिसे देश व मंदिर ट्रस्ट भी स्वीकार करेगा। इससे ज्यादा प्रतिष्ठित कंपनी देश में कोई और नहीं है। सभी पहलुओं पर तीन दिनों की बैठक में चर्चा हुई। सुरक्षा व्यवस्था व 39 माह में मंदिर निर्माण पूरा होने के बाद के सुरक्षा प्रदान को लेकर भी मंथन किया गया। यह भी तय हुआ कि सुरक्षा प्लान को सरकार के पास भेजा जाएगा।
अक्षरधाम मंदिर के पुजारी से भी लिया गया सुझाव
राम मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि ने बताया कि बैठक में अक्षरधाम मंदिर के पुजारी ब्रह्म विहारी स्वामी से भी सुझाव लिया गया। कारण उनकी देखरेख में अक्षरधाम मंदिर का निर्माण किया गया था और यह माना जाता है की ब्रह्म विहारी स्वामी मंदिर निर्माण कला में माहिर हैं। मंदिर की नींव के लिए 12 टेस्ट पिलर तैयार हैं। अब इनको नींव में डालना है। टेस्ट पिलर की रिपोर्ट आते ही 1200 पिलर्स का निर्माण शुरू होगा।
बैठक में कौन-कौन था शामिल?
बैठक में राम मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र के अलावा श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी जी महाराज, जगतगुरु माधवाचार्य विश्व प्रसिद्ध तीर्थ जी महाराज, ट्रस्टी विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, सदस्य डॉ. अनिल मिश्र के अलावा आर्किटेक्ट सीबी सोमपुरा, लार्सन एंड टूब्रो, टाटा इंजीनियरिंग कंपनी, सीबीआरआई रुड़की, एनआईटी सूरत और आईआईटी चेन्नई के अनुभवी इंजीनियर्स शामिल हुए।
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