5 जून को योगी आदित्यनाथ 50 साल के हो जाएंगे। 25 साल के राजनीतिक करियर में 3 ऐसे मौके आए जब उन्होंने बीजेपी को ही चुनौती दे दी। 2002 में गोरखपुर सदर सीट पर हिन्दू युवा वाहिनी का प्रत्याशी उतारकर बीजेपी के कैबिनेट मंत्री को हरा दिया था। एक बार तो बीजेपी ने जिस दिन बैठक रखी उसी दिन विराट हिन्दू सम्मेलन आयोजित कर दिया था।
राजनीति के किरदार और किस्से की यह 22वीं सीरीज है। योगी आदित्यनाथ के बीजेपी को चुनौती देने की तीन कहानियां हैं। पहली कहानी 2002 विधानसभा चुनाव की है। आइए जानते हैं।
कैबिनेट मंत्री के सामने उतार दिया हिंदू युवा वाहिनी का प्रत्याशी
2002 में बीजेपी की सरकार में शिव प्रताप शुक्ला कैबिनेट मंत्री थे। 1989 से गोरखपुर शहर की विधानसभा सीट पर जीतते आ रहे थे। पार्टी ने 2002 में पांचवी बार गोरखपुर सीट से उन्हें प्रत्याशी बना दिया। योगी आदित्यनाथ को यह पसंद नहीं आया। उन्होंने अपने संगठन हिंदू युवा वाहिनी से डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल को प्रत्याशी बना दिया।
बीजेपी के खिलाफ प्रचार करने लगे थे योगी
योगी आदित्यनाथ गोरखपुर और महाराजगंज जिले की बाकी सीटों पर बीजेपी के लिए वोट मांगते थे, लेकिन गोरखपुर शहर की सीट पर आते ही बीजेपी के खिलाफ वोट मांगने लगते। मंच लगाकर डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल के समर्थन में वोट मांगते। शिव प्रताप पर जुबानी हमला बोलते। नतीजा आया तो सब हैरान रह गए।
हिन्दू युवा वाहिनी के राधा मोहन को 38 हजार 830 वोट मिले। दूसरे नंबर पर सपा के प्रमोद टेकरीवाल थे जिन्हें 20,382 वोट मिला। शिव प्रताप तीसरे नंबर पर पहुंच गए। उन्हें मात्र 14 हजार 509 वोट मिले। 2007 के विधानसभा चुनाव से पहले राधा मोहन बीजेपी से जुड़ गए। 2007 में दोबारा गोरखपुर शहर सीट से विधायक बन गए।
इस वक्त गोरखपुर सदर सीट पर योगी आदित्यनाथ विधायक हैं। 2022 विधानसभा चुनाव में उन्होंने सपा की सभावती शुक्ला को 1 लाख वोट से हराया। आइए फिर से कहानी में उतरते हैं।
कहानी:2 बीजेपी की बैठक वाले दिन गोरखपुर में रखा विराट हिन्दू सम्मेलन
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की साप्ताहिक पत्रिका पीपुल्स डेमोक्रेसी के लिए सुभाष घटाटे ने एक लेख लिया। इसमें उन्होंने बताया कि 22 दिसंबर से 24 दिसंबर 2006 तक बीजेपी ने लखनऊ में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक तय की थी। योगी आदित्यनाथ ने उन्हीं तीन दिनों में गोरखपुर में विराट हिन्दू महासम्मेलन आयोजित कर दिया। बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के लोग गए। गोरखपुर के सम्मेलन में RSS और विश्व हिन्दू परिषद के दिग्गज शामिल हुए।
योगीनामा में शांतनु गुप्ता लिखते हैं, "हिन्दूवादी नेताओं ने महासम्मेलन में शामिल होकर हिन्दुत्व के लक्ष्यों के प्रति एक संकल्प को दिखाया। सुभाष घटाटे यह समझ ही नहीं पाए कि यह पार्टी के ढांचे के बजाय किसी ताकतवर नेता के माध्यम से जनता के बीच उसके समर्थन को जानने की एक रणनीति भी हो सकती है।"
कहानी:3 महिला आरक्षण विधेयक के खिलाफ सदन में योगी आदित्यनाथ
10 मार्च 2010, उस वक्त की यूपीए सरकार ने लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया। विपक्ष में बैठी बीजेपी ने व्हिप जारी कर दिया। मतलब पार्टी के सभी सांसदों का इस बिल को समर्थन है। योगी आदित्यनाथ नहीं माने। योगी ने सदन के बाहर कहा, "इस विधेयक की कोई आवश्यकता ही नहीं है। हम किसी भी प्रकार के आरक्षण के विरोध में हैं। अपनी क्षमता के आधार पर लोगों को सदन में चुनकर आना चाहिए।"
योगी ने कहा- कांग्रेस के झांसे में आ गई है बीजेपी
योगी आदित्यनाथ ने अपनी ही पार्टी को निशाने पर लेते हुए कहा, "भाजपा नेतृत्व कांग्रेस सरकार के झांसे में आ गया है। देश में कई और मुद्दे हैं उसकी चर्चा होनी चाहिए। लोग महंगाई से त्रस्त हैं। नक्सलवाद और आतंकवाद से परेशान हैं। महिला विधेयक के जरिए कांग्रेस महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान हटाना चाहती है।"
योगी के बयानों के बाद मीडिया में चर्चा चली कि बीजेपी में इस विधेयक को लेकर फूट है। प्रकाश जावड़ेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए। उन्होंने कहा, "पार्टी के अंदर कोई विरोध नहीं है। महिला आरक्षण विधेयक का पार्टी समर्थन करती है। उन्होंने योगी का नाम नहीं लिया, सिर्फ इतना कहा, हम लोकतांत्रिक दल हैं हमारे यहां हर कोई अपने विचार रखने के लिए स्वतंत्र है।"
2017 में बीजेपी से विवाद पर योगी ने दी थी सफाई
2017 में योगी आदित्यनाथ इंडिया टीवी के शो आप की अदालत में पहुंचे। रजत शर्मा ने उनसे बीजेपी के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बारे में पूछा तब उन्होंने जवाब दिया, “इन सवालों का अब कोई मतलब नहीं है। मैं पार्टी की सोच के साथ हूं तभी बीजेपी के टिकट पर 5 बार से सांसद बन रहा हूं।”
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