यूपी में अब ऑक्सीजन संकट खत्म होता नजर आ रहा है। आईआईएम प्रोफेसर के मुताबिक राज्य में ऑक्सीजन के डिमांड में कमी आई है। इसकी वजह कई चिकित्सकीय संस्थानों में ऑक्सीजन की खपत में भी गिरावट आई है। बड़े अस्पतालों में ऑक्सीजन का अभाव अब न के बराबर है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर का पीक गुजर चुका है। ये बातें आईआईएम लखनऊ के प्रोफेसर और यूपी सरकार द्वारा तैयार की गई ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी के नोडल ऑफिसर डॉक्टर सुरेश जाखड़ की रिपोर्ट में सामने आई हैं। इसमें दावा किया गया है कि लखनऊ के केजीएमयू जैसे प्रदेश के सबसे बड़े कोविड केयर सेंटर में ऑक्सीजन की मांग करीब 30-40 फीसदी कम हुई है।
3 मई से युद्धस्तर पर हो रहा ऑक्सीजन ऑडिट
कुछ समय पहले तक कोरोना से कराह रहे उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों में ऑक्सीजन की भारी किल्लत थी, मरीजों को ऑक्सीजन मिलना मुश्किल था। सरकार के तमाम प्रयास नाकाफी साबित हो रहे थे। अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के नोटिस चस्पा थे, यू कहें कि हालात पूरी तरह बेकाबू थे। इसी दौरान उत्तर प्रदेश शासन ने आईआईएम लखनऊ और आईआईटी कानपुर को प्रदेश के टॉप 56 चिकित्सकीय संस्थानों को हो रही ऑक्सीजन सप्लाई के ऑडिट की जिम्मेदारी सौंपी।
रातों रात चुनिंदा शिक्षण संस्थानों के सहयोग से राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के तमाम जनपदों के प्रमुख संस्थानों की निगरानी के लिए विशेषज्ञ चुने गए। फिर 3 मई से पूरी टीम युद्धस्तर पर ऑक्सीजन ऑडिट के काम मे जुट गई। लगातार हो रही मॉनिटरिंग और अस्पतालों से मिल रहे इनपुट रिपोर्ट में यह बात भी साफ हो रही है कि यूपी में दूसरी लहर का पीक गुजर गया है।
हर एक बेड की ऑक्सीजन डिमांड पर निगरानी रखी
ऑडिट टीम में आईआईएम लखनऊ के 4 प्रोफेसर व आईआईटी कानपुर के 3 प्रोफेसर को मिलाकर बनी ऑडिट की सेंट्रल कमेटी बनी। फिर इसमें 7 शिक्षण संस्थानों का पूल बनाकर एक निगरानी समिति बनाई गई। जिसने हर एक बेड की ऑक्सीजन डिमांड पर निगरानी रखी। सभी 56 अस्पताल यानी सरकारी व निजी संस्थानों को इसके दायरे में लाया गया।
ऑक्सीजन ऑडिट से निकली 5 अहम जानकारी-
सेकंड वेव अपनी पीक को क्रॉस कर चुकी है
आईआईएम लखनऊ के प्रोफेसर डॉ. सुरेश जाखड़ का कहना है कि प्रदेश के 56 बड़े चिकित्सा संस्थानों की ऑक्सीजन ऑडिट से जो आकंड़े सामने आ रहे हैं, उससे यह साफ जाहिर होता है कि कोरोना की यह सेकंड वेव अपनी पीक को क्रॉस कर चुकी है। ज्यादातर अस्पतालों की ऑक्सीजन डिमांड में कमी पाई गई है। और किसी भी संस्थान के ऑक्सीजन सप्लाई का ग्राफ बढ़ता नजर नहीं आ रहा। इन 56 चिकित्सा संस्थानों में ऑक्सीजन की किल्लत अब नहीं है।
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