परिवार में कहासुनी और बात-बात पर क्लेश के बाद टूटती रिश्तों की डोर को अपने कई बार देखी होगी। लेकिन उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद का एक परिवार मजबूती के साथ अपने रिश्तों को संभाले हुए है। 38 सदस्यों वाला यह परिवार सबके लिए प्रेरणा है। यहां महिलाएं घर का कामकाज संभालती हैं। पुरुष बाहर की जिम्मेदारियों को पूरा करते हैं। हालांकि, इतने सदस्यों वाले परिवार में कोरोना की नो एंट्री है। विश्व परिवार दिवस पर हम आपको इनकी कहानी बताने जा रहे हैं।
फिरोजाबाद जिले की टूंडला तहसील क्षेत्र का गांव छिकाऊ है। इस गांव में 38 सदस्यों का दीक्षित परिवार रहता है। पूर्व प्रधान ब्रहृमदत्त दीक्षित की चुनावी रंजिश में गोली मारकर हत्या किए जाने के बाद उनके चौथे नंबर के बेटै विनोद दीक्षित ने प्रधान पद की जिम्मेदारी संभाली। सभी भाइयों के साथ मिलकर परिवार को आगे बढ़ाने का काम किया। करीब 2,674 वर्ग फीट से अधिक जगह में बने मकान में नौ भाइयों और उनकी पत्नी के साथ 20 बच्चे भी रहते हैं।
ऐसे होता है कोरोना से बचाव
परिवार के 5वें नंबर के भाई नीरज दीक्षित बताते हैं कि कोरोना के दौर में कोविड के नियमों का घर के अंदर सख्ती से पालन होता है। घर के अंदर, बाहर से आने वालों को सीधे प्रवेश नहीं मिलता। सैनिटाइजेशन के साथ ही मास्क और कुछ समय बाहर बने कमरे में बिताने के बाद ही घर के अंदर प्रवेश मिलता है। महिलाएं घरों से बाहर नहीं निकलतीं। बाहर से आने के बाद मास्क और कपड़ों को गर्म पानी में धोया जाता है। बैक्टीरिया मारने के लिए डिटॉल को पानी में डालकर प्रयोग किया जाता है।
एक दिन में 5 किलो आटा, 3 किलो चावल, 2 किलो दाल और 3 किलो खीरा-टमाटर की सलाद बनती है
परिवार में 9 महिलाएं हैं। इनमें से 3 खाने की जिम्मेदारी संभालती हैं तो 3 महिलाएं पशुओं की और बाकी 3 महिलाएं घर के कपड़े और घर के अन्य कामों को निपटाती हैं। घर में सभी की जिम्मेदारी तय हैं। सुबह उठने के साथ ही सभी अपने कामों को निपटाने में जुट जाती हैं। नीरज ने बताया कि हमारा परिवार बड़ा है तो खानपान भी उसी तरह से है। एक दिन में हमारे यहां 5 किलो आटा, 3 किलो चावल, 2 किलो दाल और 3 किलो सलाद लग जाता है।
खेती और बिजनेस करते हैं भाई
नीरज दीक्षित ने बताया कि उनके सबसे 3 बड़े भाई प्रमोद दीक्षित, मनोज दीक्षित, पवन दीक्षित दिल्ली में रहते हैं। लेकिन जब से कोरोना शुरू हुआ है। तब से सभी गांव में ही हैं। करीब 120 बीघा खेती करने के साथ ही आलू का और अन्य बिजनेस करके वह अपनी जरूरतों को पूरा करते हैं। इन सबके बावजूद हम एकसाथ हैं। सबका खाना भी एक ही चूल्हे पर बनता है
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