कहावत है...सपनों के पंख नहीं होते।।। पीलीभीत के बीसलपुर कस्बे के रहने वाले बनवारी लाल ने भी इस कहावत को चरितार्थ कर अपनी प्रतिभा का देश के एक बड़े मंच पर प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम में आए तमाम दर्शकों का मन अपनी तरफ मोहित कर लिया। यह कहानी है बीसलपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गयासपुर मोहल्ले के रहने वाले बनवारीलाल मूर्ख की। जिन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर अब उत्तर प्रदेश समेत तमाम अन्य राज्यों में पीलीभीत के छोटे से कस्बे बीसलपुर का नाम रोशन किया है।
शायरी और कविता पढ़ना है शौक
62 साल के बनवारीलाल 1977 से कविता का पाठ करते आ रहे हैं। बनवारी लाल ने पीलीभीत समेत अन्य जिलों में आयोजित कई बड़े कार्यक्रमों में भी अपनी व्यंगात्मक कविता के जरिए लोगों के दिलों पर छाप छोड़ने का काम किया है। परिवार के 6 बच्चों का भरण पोषण करने के लिए बनवारीलाल गोलगप्पे का ठेला लगाते हैं। कारोबार से जब समय मिलता है तो बनवारीलाल शायरी और कविता की दुनिया में चले जाते हैं।
पड़ोसियों ने भी देखा कार्यक्रम
मुंबई से संचालित एक टीवी चैनल के शो जिसके होस्ट देश के जाने माने टीवी एक्टर शैलेश लोढ़ा है। उनके होस्टिंग वाले शो पर पीलीभीत के बीसलपुर कस्बे के रहने वाले बनवारीलाल मूर्ख ने अपनी कविता का पाठ कर लोगों के दिल पर छाप छोड़ने का काम किया। बनवारीलाल को जब टीवी चैनल के शो से फोन आया तो वह फूले नहीं समाए।
शुरू में तो यह सब मजाक लग रहा था लेकिन जब टीम ने उनके वीडियो को देखने के बाद उनकी प्रतिभा को टीवी पर दिखाने का निर्णय लिया तो रिश्तेदारों समेत परिवार के सभी लोगों के सपनों को पंख लगते नजर आए। 10 जनवरी को रिकॉर्ड किए गए कार्यक्रम का शनिवार शाम टीवी पर प्रसारण किया गया। जिसे देखने के लिए आसपास के पड़ोसी समेत कस्बे के तमाम लोग उत्सुक नजर आए।
व्यंगात्मक कविता से लूट ली प्रशंसा
हम मूर्ख हैं हम क्या जाने कविता की परिभाषा किसी अनूठे गीत छंद की हमसे रखे ना आशा...ठेठ अंगूठा छाप और हम ठहरे निपट नारी...अटरम सटम शैली अपनी अगड़म बगड़म भाषा।।। उपरोक्त व्यंग्यात्मक पंक्तियों से कार्यक्रम को संबोधित कर बीसलपुर कस्बे के रहने वाले बनवारीलाल ने कार्यक्रम में आए सभी लोगों का अपनी तरफ ध्यान आकर्षित किया। जिसके बाद उन्होंने नेताओं से लेकर राजनीति तक तमाम व्यंगात्मक कविताएं सुनाई।
ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं बनवारी
मंच पर बनवारीलाल का तालियों से धन्यवाद किया गया। बनवारी लाल की सहजता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। वह ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं। इसको दिखाने के लिए उन्होंने अपने नाम के सबटाइटल में मूर्ख लिख रखा है। जब लोग उन्हें बनवारीलाल मूर्ख के नाम से बुलाते हैं तो उन्हें बिल्कुल बुरा नहीं लगता। कार्यक्रम के प्रसारण की जानकारी लगने के बाद बनवारी लाल की 4 बेटियों समेत दो बेटों और घर के छोटे बच्चों ने टीवी की ओर निगाह टिका ली।
घर आकर लगा रहे गोल गप्पे का ठेला
बनवारी लाल की नातिन निर्मला और कीर्ति का कहना है कि जब उन्होंने अपने नाना को टीवी पर कविता सुनाते देखा तो उन्हें बड़ा अच्छा लगा। वहीं टीवी पर बनवारी लाल की प्रतिभा दिखाई जाने के बाद अब पूरे परिवार में खुशी का माहौल है। कार्यक्रम संपन्न होने के बाद बनवारी लाल फिर से अपने पुराने जीवन में लौट आए हैं। यथावत घर पर गोलगप्पे बनाकर परिवार की जीविका चलाने की ओर रुख कर गए हैं।
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