भास्कर एक्सक्लूसिवअतीक को उम्रकैद दिलाने वाले पुलिस ऑफिसर का खुलासा:घर में घुसकर कुत्ते को मारने का आरोप लगा, माफिया के खिलाफ कार्रवाई की तो डिमोशन हुआ

प्रयागराज2 महीने पहले
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"मैं उमेश पाल अपहरण मामले में पहली बार अतीक के घर दबिश देने पहुंचा। मेरे साथ 50 पुलिसकर्मी थे। हम घर के अंदर जैसे ही घुसे अतीक के पिता हाजी फिरोज ने हमें रोक लिया। जोर-जोर से चिल्लाने लगे - तुम लोगों पर कयामत आने वाली है, जो यहां आए हो। फिरोज चीख रहे थे। हमारी टीम उनके घर की अलमारियां खंगाल रही थी।"

"हम अतीक के बेडरूम के बगल वाले कमरे में थे। वहीं, एक अलमारी में हमें बंदूक मिली। उसमें 40 कारतूस लोड थे। इस कार्रवाई के बाद अतीक पर शिंकजा कसने लगा। UP की अलग-अलग जगहों पर उसे पकड़ने के लिए टीमें दबिश देने लगीं। अतीक चारों तरफ से घिरने लगा, तो उसे बचाने वालों ने मुझे जांच बंद करने के लिए 20 से 25 लाख रुपए का लालच दिया।"

अतीक के खिलाफ दर्ज 101 मुकदमों में उसे किसी भी केस में सजा नहीं हुई। 28 मार्च को पहली बार उसे उम्रकैद हुई, तो हर तरफ SI कृष्ण कुमार मिश्रा की वाहवाही होने लगी। साल 2007 में कृष्ण कुमार ने ही उमेश पाल अपहरण मामले की जांच की थी।

अतीक जब जेल में था, तो वह उसका बयान लेने सलाखों के पीछे तक पहुंच गए। पॉलिटिशियन से गैंगस्टर बने अतीक को पहली सजा दिलाने वाले पुलिस ऑफिसर कृष्ण कुमार को क्या-क्या झेलना पड़ा। कैसे अतीक को बचाने के लिए उसके करीबियों ने उन्हें लालच दी। ये सब कुछ खुद उन्होंने ने हमें बताया।

अतीक की कोठी पर 4 AK-47, 60 पुलिसकर्मियों के साथ मारी रेड

चकिया राजरूपपुर में ये अतीक का पुश्तैनी घर है, जहां SI कृष्ण कुमार ने जांच की थी।
चकिया राजरूपपुर में ये अतीक का पुश्तैनी घर है, जहां SI कृष्ण कुमार ने जांच की थी।

जून 2007 में उमेश पाल अपहरण का मुकदमा दर्ज हुआ। सबको पता था कि किडनैपिंग के पीछे अतीक का ही हाथ है। इसलिए पूरा पुलिस महकमा इस केस को हैंडल करने के लिए किसी तेज-तर्रार ऑफिसर की तलाश में जुट गया।

कृष्ण कुमार कहते हैं, “किडनैपिंग केस की जांच मुझे मिली। विभाग ने मुझे राजरूपपुर में SO के पद पर तैनात कर दिया। मैं पहली ही कार्रवाई में 4 AK-47, एक कप्तान और 50 से 60 पुलिसवालों को लेकर अतीक के घर पहुंचा था।"

“दिसंबर 2007 में मैंने उमेश पाल किडनैपिंग केस में चार्जशीट दाखिल की। इस दौरान मैंने अतीक और उसके भाई अशरफ पर गैंगस्टर एक्ट लगाया। मैं एक के बाद एक अतीक पर शिकंजा कस रहा था। दूसरी तरफ से अतीक अपनी स्टाइल से मुझ तक अपनी बात पहुंचा रहा था। मैं ज्यादा तफ्तीश न करूं, इसके लिए मुझे हर दिन फोन पर लाखों रुपए का ऑफर मिलने लगा।"

सत्ताधारी मंत्री भी अतीक को बचाने के लिए फोन करते थे
SI कृष्ण कुमार कहते हैं, "जांच तेज हुई तो अतीक को बचाने के लिए उसके गुर्गों के अलावा कई सत्ताधारी नेता भी जुट गए। उस समय कौशांबी के एक सत्ताधारी मंत्री थे। मैं उनका नाम नहीं लेना चाहता। उनके बड़े भाई मेरे पास आते थे। जांच बंद करने के लिए मुंह मांगी रकम देने का ऑफर दिया करते थे। इन सब के बावजूद मैं अपने काम से पीछे नहीं हटा।"

अतीक का नेटवर्क प्रयागराज से सटे कौशांबी जिले में भी फैला था। जब उमेश पाल की हत्या हुई तो पुलिस ने कौशांबी जाकर गनर करीम बाबा के घर छापा मारा था।
अतीक का नेटवर्क प्रयागराज से सटे कौशांबी जिले में भी फैला था। जब उमेश पाल की हत्या हुई तो पुलिस ने कौशांबी जाकर गनर करीम बाबा के घर छापा मारा था।

"दिसंबर 2007 या जनवरी 2008 का महीना था। अतीक पर मैंने गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करवाया। इसकी जांच IO नारायण सिंह परिहार को मिली। मामले की विवेचना के दौरान अतीक के उन करीबियों का नाम भी सामने आया जो उसे पर्दे के पीछे से बचा रहे थे।"

SI एनएस परिहार ने गैंगस्टर एक्ट में अतीक की प्रॉपर्टी को कुर्क करना शुरू किया। एक के बाद एक कड़ी कार्रवाई होने पर अतीक के गुर्गों ने उन्हें धमकी देना शुरू किया। यहां तक उन्हें रेप के मामले में फंसाने की धमकी दी गई। लगातार मिल रही धमकियों के बावजूद परिहार ने हाईकोर्ट के नाम एक लेटर लिखा। उसमें लिखा था- अगर किसी सड़क हादसे में भी उनकी मौत होती है, तो इसका जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ अतीक अहमद होगा।

घर में घुसकर कुत्ते को मारने का लगाया आरोप
अतीक खुद को बचाने के लिए भागा-भागा फिर रहा था। जब उसे लगा कि उसका बचना मुश्किल है, तो उसने SI कृष्ण कुमार के खिलाफ एक चाल चली। कृष्ण कुमार कहते हैं, "अतीक जितना चालाक है, उससे कहीं ज्यादा उसका क्रिमिनल माइंड चलता है। मैंने उसके गुर्गों की बात नहीं मानी, तो वह मेरे खिलाफ साजिश रचने लगा।"

"एक दिन अतीक का कुत्ता बीमारी से मर गया। कुत्ते की मौत के बाद उसने उसको गोली मरवा दी। फिर हाईकोर्ट में केस किया कि मामले की जांच कर रहे केके मिश्रा ने मेरे घर में दबिश दी थी और कुछ न मिलने पर मेरे कुत्ते की गोली मारकर हत्या कर दी। मजे की बात ये रही कि उसकी शिकायत में जिन तारीखों का जिक्र था। उन-उन दिनों में मैं छुट्टी पर बाहर गया हुआ था। इसी आधार पर कोर्ट ने मेरे खिलाफ सभी आरोपों को खारिज कर दिया।"

कसारी-मसारी रोड पर अतीक के मकान में उसके पसंदीदा डॉग आज भी पाले जाते हैं। मार्च में डॉग ब्रूनो और टाइगर की मौत हो गई थी।
कसारी-मसारी रोड पर अतीक के मकान में उसके पसंदीदा डॉग आज भी पाले जाते हैं। मार्च में डॉग ब्रूनो और टाइगर की मौत हो गई थी।

“उमेश पाल किडनैपिंग केस में उसे गिरफ्तार कर लिया गया, तो मैं जेल में उसका बयान लेने जाता था। जेल में जब अतीक से कुछ पूछता तो वह कहता - जो तुम्हारे अधिकारी ने कहा है, उसे मेरे बयान में दर्ज कर लो। सत्ता बदलते ही सरकार ये मुकदमा वापस ले लेगी।”

अतीक के घर कुर्की में 15 ट्रक सामान निकला
अतीक को बचाने के लिए उसके पिता हाजी फिरोज ने भी एड़ी चोटी का जोर लगा दिया। उन दिनों जिला कोर्ट के जज आदिब शमीम ने अतीक की प्रॉपर्टी को कुर्क करने का ऑर्डर दिया था। कुर्की की कार्रवाई करने ऑफिसर कृष्ण कुमार अतीक के घर फोर्स लेकर पहुंचे, तो हाजी फिरोज भड़क गए। पुलिस को खूब भला-बुरा सुनाया।

कृष्ण कुमार कहते हैं, "सुबह 11 बजे हमें कुर्की का ऑर्डर मिला। कोई और काउंटर में ऑर्डर न आए इसलिए हमने दोपहर 2 बजे से ही कुर्की शुरू कर दी। कार्रवाई होते-होते शाम हो गई। इस पर हाजी फिरोज गुस्सा गए, उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाया कि आप लोग रात में भी कुर्की कर रहे हैं। ये तो कानून का उल्लंघन है। तब मैंने उनसे कहा कि यहां जनरेटर लगाकर लाइट में कुर्की की जा रही है और सब कुछ मीडिया के सामने हो रहा है। इसमें गलत क्या है। मेरी बात सुनकर वे चुपचाप वहां से चले गए। उस दिन कुर्की की कार्रवाई में 15 ट्रक सामान आया था।"

ये तस्वीर नवंबर 2022 की है। जब पुलिस ने अतीक की 128 करोड़ की बेनामी संपत्तियों को कुर्क किया। ये 36 बीघा जमीन झूंसी इलाके की थी।
ये तस्वीर नवंबर 2022 की है। जब पुलिस ने अतीक की 128 करोड़ की बेनामी संपत्तियों को कुर्क किया। ये 36 बीघा जमीन झूंसी इलाके की थी।

अतीक पर कार्रवाई के बदले मिला डिमोशन
SI कृष्ण कुमार ने बताया कि अतीक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने पर मुझे सर्विस में डिमोशन भी झेलना पड़ा। कुर्की के कुछ दिन बाद इलाहाबाद के SP बदल दिए गए। नए कप्तान साहब ने हमें बुलाया और कहा कि आप अतीक के घर जाकर दरवाजा उखाड़ते हैं। चीजें खराब करते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए...वह सांसद हैं। उनके हाव-भाव से लगा कि वे मेरी जांच से खुश नहीं थे। यहां तक कि उन्होंने मेरा डिमोशन कर मुझे धूमनगंज थाने भेज दिया।

"इन 17 वर्षों में मेरे पास कई थ्रेट कॉल्स भी आईं। फोन पर कहा गया कि अतीक के शूटर्स आपको फॉलो कर रहे हैं। बचकर रहिए। मैं रिप्लाई में यही कहता कि शूटरों को पीछा करने दीजिए। मैं भी पूरे इंतजाम से चल रहा हूं। आज तक मुझ पर किसी ने हमला नहीं किया।"

  • 17 साल पुराने उमेश पाल किडनैपिंग केस की जांच दरोगा केके मिश्रा और गैंगस्टर मामले की जांच IO नारायण सिंह परिहार ने की थी। जांच के दौरान उन्हें न केवल जान से मारने की धमकी दी गई बल्कि गाड़ी और बंगला दिलाने तक का लालच दिया गया। सुरक्षा को देखते हुए खबर में SI कृष्ण कुमार मिश्रा की तस्वीर नहीं दी गई है।

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