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  • Allahabad High Court; The Government Should Present The Missing Patient From The Hospital, Otherwise The Officials Will Be Summoned And Will Face Heavy Damages.

इलाहाबाद हाईकोर्ट की बड़ी खबरें:अस्पताल से लापता मरीज को पेश करे सरकार, नहीं तो अधिकारियों को तलब कर भारी हर्जाना लगेगा

प्रयागराजएक वर्ष पहले
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तेज बहादुर सप्रू अस्पताल (बेली अस्पताल), प्रयागराज में भर्ती कोरोना मरीज 8 मई, 2021 से लापता रामलाल यादव को हर हाल में 25 अप्रैल को पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर पेश नहीं किया गया, तो अपर मुख्य सचिव गृह, SSP, प्रयागराज सहित विपक्षियों को तलब कर भारी हर्जाना लगाएंगे।

कोर्ट ने कहा कि अस्पताल में भर्ती मरीज लापता है। न उसे डिस्चार्ज किया गया और न ही परिवार वालों को सौंपा गया। 82 साल का कोरोना मरीज चलने-फिरने में असमर्थ था। इसके बावजूद लापता है। पुलिस महकमा पिछले 11 महीने से कोर्ट के आदेश के बावजूद लापता मरीज को कोर्ट में पेश नहीं कर सकी है। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने राहुल यादव की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।

रामलाल यादव 4 मई, 2021 को बेली अस्पताल, प्रयागराज में भर्ती हुए। 8 मई से उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है। कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों और अपर मुख्य सचिव गृह को लापता मरीज को पेश करने का कई बार निर्देश दिया। कोर्ट ने पुलिस द्वारा गंभीर प्रयास न करने पर नाराजगी जताई। मामले की जांच SIT कर रही है। SSP, प्रयागराज सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि SIT रिपोर्ट के अनुसार मरीज का आक्सीजन 68 फीसदी हो गया था, जिससे उसे इमर्जेंसी वार्ड से ट्रामा सेन्टर शिफ्ट किया गया। जहां से डिस्चार्ज नहीं किया गया और न ही परिवार के हवाले किया गया है। पुलिस लापता मरीज को पेश नहीं कर सकी। इस पर कोर्ट ने कहा कि मरीज को पेश करें, नहीं तो कोर्ट सभी विपक्षियों को तलब कर भारी हर्जाना लगाएगी।

# लोक निर्माण विभाग व पंचायती राज में संविदा पर काम कर रहे जूनियर अभियंताओं को समान कार्य समान वेतन की मांग ठुकराई

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मनरेगा के तहत लोक निर्माण विभाग व पंचायती राज विभाग में समान कार्य समान वेतन की तर्ज पर संविदा पर कार्यरत कनिष्ठ अभियंताओं को स्थायी अभियंताओं के बराबर वेतन देने की मांग अस्वीकार कर दी है। मगर, कोर्ट ने कहा कि याचियों को दिए जा रहे प्रतिमाह 8 हजार रुपए मानदेय में बढ़ोतरी की जानी चाहिए।

कोर्ट ने प्रमुख सचिव ग्रामीण विकास विभाग, यूपी को मानदेय बढ़ाने पर विचार करने के लिए नई कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा कि कमेटी 6 हफ्ते में निर्णय ले और 8 हफ्ते में कोर्ट में रिपोर्ट पेश करें। कमेटी की रिपोर्ट पर कोर्ट 27 मई को विचार करेगी। कोर्ट ने प्रमुख सचिव को उस समय कोर्ट में हाजिर रहने का भी निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने सोनभद्र के विमल तिवारी और 14 अन्य सहित दो अन्य याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करते हुए दिया है। याचियों की नियुक्ति मनरेगा के अंतर्गत संविदा पर कनिष्ठ अभियंता और तकनीकी सहायक पद पर की गई। पहले प्रतिमाह 4 हजार मानदेय था, जो बढ़कर 8 हजार रुपए हो गया है।

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