योगी मंत्रिमंडल के मंत्री रविंद्र जायसवाल को कोर्ट से झटका लगा है। स्पेशल कोर्ट एमपी एमएलए इलाहाबाद ने जायसवाल के खिलाफ कोर्ट में विचाराधीन मुकदमा वापस लिए जाने की मांग नामंजूर कर दी है। रविंद्र जायसवाल पर सड़क जाम करने, गाली गलौच और जान से मारने की धमकी देने का आरोप है। इस मामले में वाराणसी के चेतगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज है। कोर्ट ने मुकदमा को वापस लेने की शासन की अर्जी को खारिज कर दिया है।
शासन के निर्देश पर मुकदमा वापसी की दी थी अर्जी
अभियोजन पक्ष की ओर से शासन के निर्देश पर जिला शासकीय अधिवक्ता गुलाब चंद्र अग्रहरि ने तीन दिसंबर 2019 को वाद वापसी की अर्जी कोर्ट में दाखिल की थी। अभियोजन का कहना था कि अभियुक्त जनप्रतिनिधि है। वह सरकार में मंत्री है। इस मुकदमे में साक्ष्य ऐसे नहीं है कि अभियुक्त को सजा दी जा सके। लिहाजा वाद वापसी जनहित में है।
11 अक्टूबर को आरोपी मंत्री को कोर्ट में उपस्थित होने के आदेश
इसपर विशेष न्यायाधीश आलोक कुमार श्रीवास्तव ने बुधवार को वाद वापसी की अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि मुकदमे में आरोपित जमानत पर है। मामले में अभी आरोप सृजित नहीं हुआ है। 11 अक्टूबर को आरोपित उपस्थित हों, उसी दिन मामले में कोर्ट आरोप तय करेगी।
थानाध्यक्ष चेतगंज बुध सिंह चौहान ने 12 सितंबर 2007 को रविंद्र जायसवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोप था कि ज्योत्सना श्रीवास्तव विधायक कैंट और शहर उत्तरी विधायक रविंद्र जायसवाल जो उस समय प्रत्याशी थे, अपने समर्थकों के साथ अंधरा पुल पर घंटों जाम लगा दिए थे। इसके बाद केंद्र सरकार के विरुद्ध नारेबाजी कर रहे थे। जाम खुलवाने के लिए बातचीत करने पर गाली-गलौच किए और पुलिस अधिकारी को जान से मारने की धमकी दी। इस मामले में 23 नामजद और 50 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है।
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