अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि की मौत मामले के आरोपी आनंद गिरि की जमानत अर्जी पर बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं हुई। CBI की तरफ से हाईकोर्ट में जवाब दाखिल किया गया। ऑनलाइन दाखिल जवाब हाईकोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड नहीं हो पाया था। इस वजह से कोर्ट ने अगली सुनवाई तक आनंद गिरि के वकीलों से CBI के इस जवाब का जवाब (री-ज्वाइंडर) दाखिल करने के लिए कहा है। हाईकोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 18 जनवरी को करेगी।
आनंद गिरि पर महंत नरेंद्र गिरि को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। निचली अदालत ने महंत आनंद गिरि की जमानत पहले ही खारिज कर दी है। इसके खिलाफ आनंद गिरि ने हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की है।
CBI कर रही मामले की जांच
20 सितंबर को अल्लापुर स्थित बाघंबरी मठ में नरेंद्र गिरी की संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी। इस मामले में आनंद गिरी, मंदिर के पूर्व पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी और उसके बेटे संदीप तिवारी को गिरफ्तार कर नैनी सेंट्रल जेल भेजा गया था। इस मामले की जांच-पड़ताल CBI मुख्यालय से आई टीम कर रही है।
CBI ने आनंद गिरी समेत 3 आरोपियों को जांच के लिए रिमांड पर भी लिया था। इसके साथ ही CBI ने बाघंबरी गद्दी के महंत बलबीर गिरी महाराज और सेवादारों से भी कई बार पूछताछ की थी। CBI ने आनंद गिरी के लाई डिटेक्टर टेस्ट और पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए सीजेएम कोर्ट में आवेदन किया था। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
महंत नरेंद्र गिरी ने ही लिखा था सुसाइड नोट
CBI ने इस मामले में दाखिल चार्जशीट में कहा था कि महंत नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या की थी। इसीलिए CBI ने तीनों आरोपियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने (धारा 306) और साजिशकर्ता (120 बी) की धाराएं लगाई हैं। CBI ने आनंद गिरी, आद्या प्रसाद तिवारी और उसके बेटे संदीप तिवारी को मौत के लिए जिम्मेदार माना है।
करीब 2 महीने तक चली जांच पड़ताल में सुसाइड नोट की हैंड राइटिंग की फॉरेंसिक जांच कराई गई। इसमें पाया गया कि सुसाइड नोट महंत नरेंद्र गिरी ने ही लिखा था। CBI की चार्जशीट के मुताबिक, अभी विवेचना पेंडिंग है। यानी आने वाले दिनों में कुछ और लोगों के नाम भी इस मामले में सामने आ सकते हैं।
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