सीएमओ आफिस में सोमवार को दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनवाने के लिए दिव्यांगों की भीड़ लग गई। सुबह आठ बजे से ही यहां पूरे जिले भर से दिव्यांग पहुंचने लगे लेकिन दिव्यांगों की सहूलियत के लिए यहां व्यवस्था के नाम पर कुछ नहीं है। मेडिकल बोर्ड की टीम सभागार में तो मौजूद रही लेकिन दिव्यांग सभागार तक कैसे पहुंचें यह किसी ने सुधि नहीं ली। चलने में असमर्थ दिव्यांग को उसके स्वजन खुद उठाकर सभागार तक ले गए। पैर से दिव्यांग एक युवती के स्वजन पहले व्हीलचेयर की खोजबीन किए लेकिन पता चला कि व्हील चेयर नहीं है फिर परिवार के दो लोगों ने हाथ से सहारा दिया। यहां न तो व्हील चेयर की व्यवस्था की गई है और न ही उनके बैठने के लिए कोई व्यापक प्रबंध। इससे दिव्यांगों को ज्यादा परेशानी होती है।
प्रमाण पत्र के लिए करना होता है दिन भर इंतजार
जो दिव्यांग जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर की दूरी तय करके सीएमओ आफिस आते हैं उसे प्रमाण पत्र के लिए पूरे दिन भर का इंतजार करना होता है। यहां पहले सभी दिव्यांगों का परीक्षण किया जाता है उसके बाद शाम को अन्य कागजी कार्रवाई के बाद उसे प्रमाण पत्र दिया जाता है।
नेत्र दिव्यांग निराश होकर लौटे
सीएमओ आफिस में मौजूद मेडिकल बोर्ड में नेत्र संबंधित दिव्यांगों का प्रमाण पत्र नहीं बन सका, वह निराश होकर लौटे। उन्हें अगले सोमवार को बुलाया गया। करीब 50 दिव्यांगों को वापस जाना पड़ा । पूछने पर बताया गया कि जसरा सीएचसी के नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. राजेश कुमार को मेडिकल बोर्ड में आना था लेकिन उनकी मां का स्वास्थ्य खराब हो गया और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, इसलिए वह नहीं आ सके।
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