मानसिक रोग विशेषज्ञ भी इस बात को बात को मानते हैं कि मानसिक रोगी इलाज कराने से कतराते हैं। भाेपाल की मानसिक रोग विशेषज्ञ डा.रूमा भट्टाचार्य कहती हैं कि हमारे देश में 90 फीसद मानसिक रोगी इलाज नहीं कराते हैं। इसके प्रमुख कारण हैं शर्म, जागरूकता की कमी व अंधविश्वास। डा. रूमा प्रयागराज में आयोजित तीन दिवसीय मानसिक रोग विशेषज्ञों की वर्कशाप में शामिल रहीं। उन्होंने कहा कि 10 फीसद मरीज मानसिक रोग विशेषज्ञ तक पहुंचते हैं बाकी जादू, टोना या अन्य डाक्टर के पास जाकर इलाज कराते हैं।
मानसिक रोगियों को मिले उनका अधिकार
बीएचयू वाराणसी की मानसिक रोग विभाग की पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर डा. इंदिरा शर्मा कहती हैं कि मानसिक रोगियों के लिए 13 अधिकार दिए गए हैं लेकिन इसका उनका अधिकार उन्हें नहीं मिल पाता। 2017 में मानसिक रोगियों के लिए कानून बने थे उसके इरादे तो नेक थे लेकिन यह वास्तव में मूर्त रूप नहीं ले सकी। इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
किशोरावस्था में ही दिखने लगते मानसिक रोग के लक्षण
दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान डा. रूमा भट्टाचार्या बताती हैं कि किशोरावस्था में ही मानसिक रोग के लक्षण दिखने लगते हैं। यदि शिक्षक या अभिभावक इस पर ध्यान दें तो किशोरावस्था में ही इस पर नियंत्रण किया जा सकता है। इसे नजरअंदाज करने पर आगे चलकर यह और बढ़ जाता है और फिर मरीज की स्थिति बिगड़ने लगती है। यदि बच्चा घर में शांत रहता है, हमेशा डरता रहता है, चिड़चिड़ापन रहता है तो यह सब मानसिक बीमारी के लक्षण हैं। इसके लिए बच्चे को मानसिक रोग विशेषज्ञ को दिखाने की जरूरत होती है।
नशा करने वालों में मानसिक बीमारी होने का खतरा ज्यादा
मध्य प्रदेश के सतना की मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. संगीता कहती हैं कि हमने यह देखा है कि नशा करने वालों में मानसिक बीमारी होने का खतरा ज्यादा रहता है। तंबाकू, अल्कोहल आदि के सेवन से लोग नशे में खो जाते हैं और धीरे धीरे वह मानसिक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।
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