विज्ञान परिषद प्रयाग के सभागार में गुरुवार को डाॅ. विभा मिश्रा स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। इलाहाबाद संग्रहालय के क्यूरेटर डाॅ.राजेश मिश्रा ने वैदिक वांग्मयः ऐतिहासिक दृष्टि एवं व्याख्या का संकट विषय पर व्याख्यान दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग की अध्यक्षा प्रोफेसर अनामिका राय ने की। प्रोफेसर अनामिका ने डाॅ. विभा मिश्रा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके साथ अपने दीर्घ काल के सम्बन्धों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि विदेशी विद्वानों ने वेदों की व्याख्या अपने स्वार्थ के अनुसार की है।
डाॅ. राजेश मिश्रा ने कहा कि वेद अनादि और अपौरुषेय है। ऐतिहासिक व्याख्या के प्रकरण में वैदिक ऋषियों की मूल ऐतिहासिक दृष्टि को समझने की आवश्यकता है।.धर्म का साक्षात्कार करने वाले ऋषियों ने मानव इतिहास का मूल्य शक्ति अथवा संपत्ति की उपलब्धि में नहीं अपितु आत्मोत्कर्ष तथा आध्यात्मिक अनुभूतियों में देख। आज वैदिक ऋषियों की मूल दृष्टि और आधुनिक इतिहासकारों की दृष्टि पर तुलनात्मक अध्ययन की आवश्यकता है।
राधिका मिश्रा को उमा प्रसाद व डाॅ. गोरख प्रसाद पुरस्कार
डाॅ. शिव गोपाल मिश्र ने डाॅ. विभा मिश्रा को श्रद्धांजलि अर्पित की। डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद मिश्र ने अतिथियों का स्वागत करते हुए वक्ता का परिचय दिया। प्रोफेसर कृष्ण बिहारी पांडेय ने धन्यवाद ज्ञापित किया और देवव्रत द्विवेदी ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर राधिका मिश्रा को उमा प्रसाद पुरस्कार और डाॅ गोरख प्रसाद पुरस्कार प्रदान किया गया। कार्यक्रम में प्रेम चंद्र श्रीवास्तव, विजय चितौरी, रामनरेश तिवारी पिंडीवासा, डाॅ. बबिता अग्रवाल, डाॅ. केशव कुमार सहित अन्य रहे।
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