उत्तर प्रदेश सरकार ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व बाघंबरी अखाड़े के महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हालात में हुई मौत की जांच CBI से कराने की सिफारिश की है। राज्य सरकार ने बुधवार को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।
राज्य के गृह विभाग ने ट्वीट में लिखा- प्रयागराज में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि जी की दुखद मृत्यु से जुड़े प्रकरण की जांच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर CBI से कराने की सिफारिश की है।
इससे पहले कई मठों के साधु-संतों और राजनीतिक दलों ने महंत नरेंद्र गिरि के मौत की जांच केंद्रीय एजेंसी से करवाने की मांग की थी। राज्य सरकार ने फिलहाल मामले की जांच एसआईटी को सौंपी है। हालांकि केंद्र सरकार से अनुमति मिलते ही CBI संदिग्ध मौत की जांच शुरू कर देगी।
इससे पहले बाघंबरी मठ में महंत नरेंद्र गिरि को भू-समाधि दे दी गई है। अंतिम क्रिया नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट में घोषित उत्तराधिकारी बलवीर ने संपन्न कराई। इससे पहले उनके पार्थिव शरीर का स्वरूप रानी नेहरू हॉस्पिटल में 5 डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमॉर्टम किया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट CM को बंद लिफाफे में भेजी जाएगी। शुरुआती रिपोर्ट में फांसी लगाने की बात सामने आई है।
वहीं, सुसाइड नोट में आरोपी आनंद गिरि और आद्या को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। कोर्ट पहुंचने पर नरेंद्र गिरि के समर्थकों ने दोनों से हाथापाई की है। इसके चलते पुलिस दोनों को नैनी सेंट्रल जेल ले जा रही है। उधर, 13 अखाड़ों ने सुसाइड नोट की बात को सिरे से नकार दिया है। इसके चलते उत्तराधिकारी के लिए होने वाली पंच परमेश्वर की बैठक टल गई है।
उधर, समाधि प्रक्रिया के बाद नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट में घोषित उत्तराधिकारी बलवीर से पूछताछ शुरू हो गई है। SIT मठ के अंदर ही पहुंची हुई है। एसपी, डीएम भी साथ में हैं। दरअसल, कल तक खुद को गद्दी का अगला उत्तराधिकारी बता रहे बलवीर अपने बयान से पलट गए। अब उनका कहना है कि उत्तराधिकारी कौन होगा, ये निर्णय पंच परमेश्वर लेंगे। इससे पहले बलवीर कह रहे थे कि सुसाइड लेटर में गुरुजी नरेंद्र गिरि की ही राइटिंग है और उत्तराधिकारी बनने को तैयार हूं। अब बोल रहे हैं कि मैं उनकी राइटिंग नहीं पहचानता हूं।
पोस्टमॉर्टम के बाद महंत की पार्थिव देह को प्रयागराज शहर में घुमाते हुए संगम पर गंगा में स्नान कराया गया। फिर देह को लेटे हनुमान मंदिर ले जाया गया। इसी मंदिर के नरेंद्र गिरि महंत थे और रोज एक बार मठ से मंदिर दर्शन के लिए जाते थे। फिर बाघंबरी मठ में ही भू-समाधि देने की प्रक्रिया का अंतिम चरण शुरू किया गया। वैदिक मन्त्रोच्चारण और शिव उद्घोष किया गया। फूल के साथ मिट्टी डाली गई। इस दौरान 13 अखाड़ों के साधु-संत मौजूद रहे। आखिर में शुद्धिकरण की प्रक्रिया शुरू हुई।
अंतिम प्रक्रिया में एक क्विंटल फूल, एक क्विंटल दूध, एक क्विंटल पंच मेवा, मक्खन समेत 16 चीजें समाधि में डाली गईं। अंतिम प्रक्रिया को कुछ देर के लिए परदे से भी ढंका गया। मीडिया को इससे दूर रखा गया। संतों ने बताया यह गोपनीय प्रक्रिया होती है, इसलिए ऐसा किया गया।
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ऐसी है भू-समाधि की परंपरा
साधु परंपरा के अनुसार पहले पार्थिव देह का संगम में स्नान कराया गया। इसके बाद में नए वस्त्र पहनाए गए। जैसे एक संत का शृंगार होता है, उसी तरह से शृंगार किया गया। फूल मालाएं पहनाई गईं। शिष्यों और अनुयायियों द्वारा उन्हें दक्षिणा दी गई।
उसके बाद विधिवत संत परंपरा के अनुसार उन्हें समाधि दी गई। समाधि देने के अगले दिन से ही बाकायदा धूप दीप और दोनों समय उन्हें भोग लगाया जाएगा। एक वर्ष पूरा होने के बाद समाधि के ऊपर शिवलिंग स्थापित किया जाएगा, जिस पर सुबह और शाम जलाभिषेक होगा और धूप, दीप व अगरबत्ती और पूजन अर्चन किया जाएगा।
नीबू के पेड़ के नीचे समाधि बनाने की जाहिर की थी इच्छा
महंत नरेंद्र गिरि की अंतिम इच्छा थी कि उनकी समाधि बाघंबरी मठ में नीबू के पेड़ के पास दी जाए। यह बात उन्होंने अपने सुसाइड नोट में भी लिखी है। महंत नरेंद्र का 20 सितंबर को मठ के कमरे में फंदे से शव लटका मिला था। शव के पास ही कई पेज का वसीयतनुमा सुसाइड नोट मिला था।
अभी भी उलझी हुई है मौत की गुत्थी
महंत नरेन्द्र गिरि की मौत की गुत्थी अब भी उलझी हुई है। लेटे हनुमान मंदिर के व्यवस्थापक अमर गिरि पवन महाराज की ओर से स्वामी आनंद गिरि के खिलाफ आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मुकदमा दर्ज कराया गया है। इस मामले में स्वामी आनंद गिरि समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है और जांच 18 सदस्यीय SIT को सौंपी गई है।
पुलिस ने स्वामी आनंद गिरि से प्रयागराज पुलिस लाइंस में पूछताछ की। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले की गहनता से जांच की जा रही है।
2012 से महंत पर हावी था शिष्य आनंद
महंत की मौत का प्रकरण हाई प्रोफाइल होने के कारण सोमवार शाम से देर रात तक प्रयागराज पुलिस का कोई अफसर खुलकर कुछ कहने को तैयार नहीं हुआ, लेकिन दबी जुबान में पुलिस अफसरों का कहना है कि अब तक की जांच में यही सामने आया है कि महंत नरेंद्र गिरि का शिष्य आनंद गिरि उन पर 2012 से ही हावी हो गया था। इसके पीछे चाल-चरित्र और संपत्तियों से जुड़ा विवाद अहम वजह थी। महंत और आनंद एक-दूसरे के राजदार थे।
धमकी देता था आनंद
महंत ने हाल के वर्षों में ख्याति कुछ ज्यादा ही अर्जित कर ली थी तो उन्हें आनंद की नाराजगी से खुद की प्रतिष्ठा को लेकर डर लगने लगा था। चर्चा यह भी है कि आनंद उन्हें डराता था कि यदि वह उनका उत्तराधिकारी नहीं बन सका तो उनके चाल-चरित्र संबंधी वीडियो उजागर कर देगा। नरेंद्र गिरि ने सुसाइड नोट में भी कंप्यूटर से तैयार की गई एक फोटो का जिक्र किया है।
महंत के बहनोई बोले- दूसरों को ज्ञान देते थे वह आत्महत्या नहीं कर सकते
प्रतापगढ़ के मांधाता स्थित पनियारी गांव से महंत नरेन्द्र गिरि की बहन उर्मिला सिंह और बहनोई भागीरथी सिंह समेत अन्य रिश्तेदार बाघंबरी मठ पहुंचे। बहन उर्मिला सिंह ने बताया कि उनके भाई नरेंद्र गिरि के संन्यास लेने के बाद उनकी कभी उनसे मुलाकात नहीं हुई। वहीं, महंत के बहनोई भागीरथी सिंह ने कहा कि महंत दूसरों को ज्ञान देते थे, वह कभी आत्महत्या नहीं कर सकते हैं।
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