अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत मामले में CBI अब साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी की मदद ले रही है। इसमें CBI मौत से पहले महंत की मनोदशा, उनके व्यवहार को समझना चाहती है। यानी मौत से कुछ दिन या कुछ घंटे पहले तक महंत की मानसिक स्थिति कैसी थी।
मंगलवार को बाघंबरी गद्दी मठ में सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (CFSL) के विशेषज्ञों ने सेवादारों से कई घंटे तक महंत की मनोस्थिति से जुड़े सवाल पूछे। सूत्रों ने बताया कि ज्यादातर सेवादारों ने बताया कि मौत से एक सप्ताह पहले से महंत काफी चिड़चिड़े हो गए थे। बात-बात पर वे सेवादारों पर चिल्ला उठते थे।
पहनावे, बोलचाल और व्यवहार पर भी पूछे सवाल
CBI की साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी की यह एक्सरसाइज एक तरह से दिमाग का पोस्टमॉर्टम करने जैसी है। CBI की टीम ने सेवादारों से नरेंद्र गिरि के पहनावे, बोलचाल, व्यवहार के बारे में सवाल किए। उनके खानपान के तरीके में किसी प्रकार का अगर कोई बदलाव आया हो तो उसे नोट किया।
CBI ने पूछे ये 7 अहम सवाल
क्या है साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी?
नई दिल्ली के ब्रेन बिहेवियर रिसर्च फाउंडेशन ऑफ इंडिया की चेयरपर्सन डॉ. मीना मिश्रा ने बताया कि आमतौर पर पोस्टमॉर्टम शव का किया जाता है। साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी अधिकतर सुसाइड केस में की जाती है। इससे यह पता किया जाएगा कि मरने वाले की मनोदशा कैसी थी। इस जांच में उसके सोचने का तरीका, उसने मरने के कुछ दिनों पहले क्या किया था? उसका बिहेवियर कैसा था? यह सब कुछ जानने की कोशिश की जाती है।
मौत से पहले के दो हफ्ते काफी अहम
डॉ. मीना ने बताया कि सुसाइड के दिन से पिछले दो हफ्ते काफी अहम होते हैं। मरने के एक से दो हफ्ते पहले की कहानी तैयार की जाती है। यह कहानी जांच में इकट्ठा की गई जानकारी के आधार पर तैयार की जाती है। अलग-अलग जानकारी के आधार पर एक्सपर्ट यह तय करते हैं कि यह आत्महत्या है या हत्या या एक्सीडेंट।
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