अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत ने एक बार फिर बाघंबरी गद्दी मठ को चर्चा में ला दिया है। 2 साल पहले निरंजनी अखाड़े के सचिव रहे महंत आशीष गिरि की भी रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हुई थी। 2 साल बीत जाने के बाद भी इस मौत से पुलिस पर्दा नहीं उठा सकी है।
दो साल में दूसरी मौत गहरी साजिश की ओर कर रही इशारा
दो साल में दूसरी मौत ने मठ और मंदिरों में संपत्ति विवाद के पीछे गहरी साजिश की ओर इशारा कर रही है। 2019 के कुंभ तक निरंजनी अखाड़े और बाघंबरी गद्दी मठ में सब कुछ सामान्य दिख रहा था। अखाड़े के सचिव आशीष गिरी और नरेंद्र गिरि हमेशा एक दूसरे के साथ दिखते थे। चाहे सार्वजनिक मंच की बात हो चाहे मठ मंदिर के कार्यक्रमों में दोनों की सहभागिता की बात, दोनों बढ़-चढ़कर शामिल होते थे। कहीं से नहीं लगता था कि दोनों के बीच किसी भी प्रकार का मनमुटाव या विवाद की स्थिति है।
कुंभ खत्म होने के बाद आशीष गिरी अचानक अल्लापुर स्थित बाघंबरी गद्दी मठ में मृत पाए गए। पुलिस की जांच में पता चला कि उन्होंने खुद को गोली मार ली है। बेहद शातिराना तरीके से हुए इस वाकए के पीछे सारी परिस्थितियां हत्या की ओर इशारा कर रही थीं। इस मामले की जांच भी कराई गई पर जांच में पुलिस को हत्या का कोई सुबूत नहीं मिला। सवाल उठता है कि निरंजनी अखाड़े के सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहने वाला व्यक्ति खुदकुशी कैसे कर सकता है और क्यों करेगा?
यूं चर्चा में आया था आशीष गिरि की मौत का मामला
छोटे महंत के नाम से जाने जाने वाले आनंद गिरि और उनके गुरु नरेंद्र गिरि के बीच जब विवाद बढ़ा तो एक बार फिर आशीष गिरि की आत्महत्या का मामला उठा था। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से निष्कासन के बाद अपने गुरु नरेंद्र गिरि पर हमलावर हुए आनंद गिरि ने इसे आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या करार दिया था। आशीष गिरि की आत्महत्या के मामले में उन्होंने सीबीआई जांच कराने की मांग की थी। यह भी कहा था कि अगर इस मामले की ठीक से जांच कराई जाए तो बाघंबरी गद्दी मठ में बहुत बड़ी साजिश उजागर हो जाएगी।
उन्होंने कहा था कि आशीष गिरि ने आत्महत्या नहीं की उसकी हत्या की गई थी। इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए। उनका इशारा अपने गुरु नरेंद्र गिरि की तरफ था। उनका कहना था कि आशीष गिरि ने भी संपत्ति के दुरुपयोग का मामला उठाया था और नरेंद्र गिरि का कई मौकों पर विरोध किया था जिसको लेकर उनकी हत्या की साजिश की गई।
आशीष गिरि ने भी अखाड़े की जमीनों का मामला उठाया था
आनंद गिरि का कहना था कि अखाड़े की जमीनों को बड़े पैमाने पर बेचा जा रहा है। आशीष गिरि ने इसका विरोध किया तो ऐसा माहौल तैयार कर दिया गया। कुछ दिन बाद उनकी खून से लथपथ लाश बाघंबारी गद्दी मठ के अंदर मिली थी। आनंद गिरि ने इस मामले की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर सीबीआई जांच कराने की मांग की थी। फिलहाल अगर महंत आशीष गिरी ने खुदकुशी की थी तो क्यों की थी? क्या वजह थी उसके पीछे? यह रात आज भी बाघंबरी गद्दी में मठ में दफन है। आनंद गिरि ने कहा था कि इस मामले की जांच हो जाए तो अखाड़ा परिषद के बड़े-बड़े नाम मिट्टी में मिल जाएंगे।
इसी मामले को लेकर बड़ी थी आनंद और नरेंद्र गिरी के बीच तल्खी
आशीष गिरि की आत्महत्या मामले को हत्या कर दिए जाने के बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी और आनंद गिरि के बीच तल्खी और बढ़ गई थी। इसके बाद आनंद गिरि का पत्ता बाघंबरी गद्दी व बंधवा वाले लेटे हनुमान मंदिर से साफ कर दिया गया था। उन्हें अखाड़े से भी निष्कासित कर दिया गया था। वह ज्यादातर हरिद्वार रहने लगे थे। निष्कासन के बाद आनंद गिरी अपने गुरु नरेंद्र गिरि पर और हमलावर हो गए थे उन्होंने अपने गुरु पर न सिर्फ अखाड़ों व मठ की जमीन बेचकर करोड़ों का वारा न्यारा करने का आरोप लगाया था, बल्कि वीडियो जारी कर चरित्र पर भी उनके सवाल उठाए थे।
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