इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रह रही समलैंगिक लड़कियों को पुलिस सुरक्षा देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि वह लिव इन रिलेशनशिप के खिलाफ नहीं है। न्यायमूर्ति डॉ. केजे ठाकर व न्यायमूर्ति अजय त्यागी की खंड पीठ लिव इन रिलेशनशिप में रह रही लड़की अंजू सिंह व उसके लिव इन पार्टनर के सुरक्षा की मांग में दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिका दायर करके मांग की गई थी कि अगर कोर्ट ने उन्हें सुरक्षा मुहैया नहीं करवाई तो वह दोनों साथ-साथ नहीं रह पाएंगे। उनका तर्क था कि परिवार के लोग उन्हें परेशान कर रहे हैं। उन्हें शांति से जीवन-यापन नहीं करने दिया जा रहा है।
हम बालिग हैं, माता-पिता अलग रहने का दबाव बना रहे
याचिका में कहा गया कि वे दोनों समलैंगिक व बालिग हैं। वह एक साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहना चाह रहे हैं। उनके माता-पिता उन पर संबंध खत्म करने का दबाव बना रहे हैं। अगर वह दोनों आपस में संबंध खत्म नहीं करेंगे, तो उनके खिलाफ झूठा केस दर्ज कराकर उन्हें फंसा दिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट की विधि व्यवस्था का भी उल्लेख किया
याचिका में उठाए गए इन तथ्यों पर विचार करके कोर्ट ने कहा कि वह लिव इन रिलेशनशिप के खिलाफ नहीं है। इस कारण कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया है कि वह याचिकाकर्ताओं को सुरक्षा मुहैया कराए। हाईकोर्ट ने पारित अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के ग्यानी देवी बनाम सुपेरिटेंडेंट, नारी निकेतन दिल्ली और लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के केस में दी गई विधि व्यवस्था का भी उल्लेख किया है।
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