भ्रष्टाचार व धोखाधड़ी के मामले में आरोपी सिंचाई विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता जगदीश मोहन को इलाहाबाद हाईकोर्ट से झटका लगा है। गुरुवार को कोर्ट ने आर्थिक अपराध में अग्रिम जमानत देने से साफ इनकार करते हुए अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है। मामले की सुनवाई जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने किया।
सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के सुशीला अग्रवाल केस के हवाले से कहा कि आर्थिक अपराध केस में अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है। एफआईआर दर्ज हुए 20 साल बीत चुके हैं और याची ने विवेचना में सहयोग नहीं किया। चार्जशीट के बाद कोर्ट में हाजिर नहीं हुए। अब जब गैर जमानती वारंट जारी किया गया है तो कोर्ट में समर्पण के बजाय अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल कर रहे हैं।
प्रयागराज के सिविल लाइंस थाने में 2001 में दर्ज हुई थी एफआईआर
भ्रष्टाचार के इस मामले में प्रयागराज के सिविल लाइन थाने में 9 अगस्त 2001 को आर्थिक भ्रष्टाचार की FIR दर्ज की गई थी। याची जगदीश मोहन पर मेसर्स फ्रंटियर कंस्ट्रक्शन कंपनी की मिलीभगत से भारी वित्तीय अनियमितता का आरोप लगा था। याची सितंबर 1996 में सेवानिवृत्त हो चुका है। इस मामले में जांच के बाद 1998 में विभागीय अनापत्ति भी दी जा चुकी है।
याचिकाकर्ता जगदीश मोहन ने अग्रिम जमानत की मांग में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याची का कहना था कि 82 वर्ष की आयु में बीमारियों से ग्रस्त हैं। ऐसे में उन्हें अग्रिम जमानत दे दी जाए।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.