उमेश पाल हत्याकांड में रोजाना नए-नए खुलासे हो रहे हैं। अब STF की पड़ताल में सामने आया है कि अतीक अहमद के बेटे असद ने घटना से पहले 16 मोबाइल और 16 सिम कार्ड खरीदे थे। सभी शूटर्स को तीन-तीन सिम और मोबाइल दिए गए थे। साथ में यह भी निर्देश दिया गया था कि कोई भी शूटर सीधे कॉल ना करके व्हाट्सएप कॉल से ही बात करेगा। एसटीएफ मोबाइल और सिम कार्ड देने वाले दुकानदार को उठाकर पूछताछ कर रही है।
शाइस्ता ने सभी शूटर्स को दिए थे एक-एक लाख रुपए
STF की पूछताछ और व्हाट्सएप चैटिंग से यह बात सामने आई है कि अतीक की फरार पत्नी शाइस्ता परवीन ने सभी शूटर्स को घटना से पहले 1-1 लाख रुपये बतौर पेशगी दिया था। शूटरों को रुपए देने की वजह से ही शाइस्ता पर पुलिस ने 25 हजार रुपए इनाम घोषित किया है। तभी से शाइस्ता परवीन फरार चल रही है।
फर्जी नाम-पते पर असद ने खरीदे थे मोबाइल, सिमकार्ड
सूत्रों के मुताबिक, जो 16 सिम कार्ड खरीदे गए उसे फर्जी नाम और पते पर खरीदा गया है। एसटीएफ उस दुकानदार तक पहुंच गई है जहां से ये मोबाइल और सिम कार्ड खरीदे गए थे। एसटीएफ ने उस दुकानदार से पूछताछ की है। पूछताछ के आधार पर एसटीएफ ने शूटर्स की धरपकड़ के लिए अपना जाल बिछा दिया है। हालांकि अभी तक मुख्य आरोपी अतीक का तीसरे नंबर का बेटा असद, मुस्लिम गुड्डू, साबिर, गुलाम और शूटर अरमान फरार चल रहा है। प्रयागराज एसटीएफ एक सप्ताह से संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है।
बरेली सेंट्रल जेल के VIP स्पेस में होती थी अशरफ से गुर्गों की मुलाकात
उमेश पाल हत्या की पूरी प्लानिंग बरेली सेंट्रल जेल में हुई। जेल में अतीक अहमद के भाई अशरफ वॉट्सऐप कॉल के जरिए पूरा मर्डर ऑपरेशन डील करता रहा। जेल में सिपाही से लेकर अधिकारी तक इसमें शामिल निकले। बिना आईडी पर अशरफ से गुर्गे जेल के VIP स्पेस में मिलते रहे। इसके बाद 24 फरवरी को प्रयागराज में उमेश पाल और 2 सिपाहियों का मर्डर किया जाता है।
बरेली जेल कैसे 450 किमी दूर हुए उमेश हत्याकांड की धूरी बन गया, आइए आपको सिलसिलवार बताते हैं...
3 साल पहले अतीक का भाई बरेली जेल हुआ था शिफ्ट
इस मामले की शुरुआत 1 जनवरी 2019 से हुई, जब अतीक को देवरिया जेल से बरेली सेंट्रल जेल में प्रशासनिक आधार पर लाया गया। 19 अप्रैल 2019 को फिर प्रशासनिक आधार पर प्रयागराज के नैनी जेल भेज दिया गया। अतीक का भाई खालिद असीम उर्फ अशरफ 11 जुलाई 2020 को नैनी जेल से बरेली सेंट्रल जेल लाया गया, जो मौजूदा वक्त में बरेली जेल में बंद है।
हत्या से 13 दिन पहले शूटर मिले, फिर हत्याकांड अंजाम दिया
अशरफ का साला सद्दाम अपने साथी लल्लागद्दी और अन्य साथियों को लेकर बरेली जेल में अशरफ से लगातार मुलाकात करता रहा। 11 फरवरी को बरेली जेल में अतीक के बेटे असद समेत 9 लोग बरेली जेल में अशरफ से मिले। इनमें शूटर विजय उर्फ उस्मान चौधरी, गुड्डू मुस्लिम और गुलाम भी शामिल था।
इसके 13 दिन बाद 24 फरवरी को प्रयागराज में पुलिस सुरक्षा में उमेश पाल की हत्या कर दी। इसमें दो सिपाही भी मार दिए गए। जब SOG ने मर्डर केस की जांच शुरू की, तो शूटर समेत बदमाशों के तार बरेली जेल में बंद अशरफ से जुड़े। सामने आया कि बरेली जेल से वॉट्सऐप कॉल की गई, प्रयागराज में पकड़े गए आरोपी के मोबाइल नंबर से इसकी पुष्टि हुई।
DM-DIG सीसीटीवी देखकर हैरान, अफसर निलंबित
27 फरवरी को बरेली जेल में DM शिवाकांत द्विवेदी और DIG अखिलेश चौरसिया ने छापा मारा, तो पता चला कि अशरफ से अवैध तरह से मुलाकात होती रही है। 6 मार्च को बरेली के बिथरी चैनपुर थाने में अशरफ, जेल अधिकारी, जेल कर्मचारी, सिपाही, सद्दाम ओर अन्य पर केस दर्ज हुआ।
7 मार्च को बरेली पुलिस ने जेल के सिपाही शिवहरि और कैंटीन में सामान पहुंचाने वाले दयाराम को अरेस्ट किया। इसके बाद 10 मार्च को बरेली पुलिस ने अवैध तरह से मिलने पर राशिद और फुरकान को अरेस्ट किया। 13 मार्च को शासन ने बरेली जेल के जेलर, डिप्टी जेलर समेत 5 को निलंबित किया। पीलीभीत जेल का सिपाही मनोज गोड़ भी अरेस्ट किया गया। मनोज तीन माह पहले बरेली जेल से पीलीभीत जेल ट्रांसफर हुआ था।
अशरफ जेल में अफसर और कर्मचारियों को देता था तोहफे
हत्याकांड में पता चला कि जब भी अतीक के गुर्गे जेल में अशरफ से मिलते थे तो कोई रोकता नहीं था। उनकी मुलाकात VIP स्पेस में होती थी। 6 मार्च को बरेली के बिथरी थाने में जेल चौकी इंचार्ज एफआईआर में कहा गया कि अशरफ ने विभिन्न पुलिस अधिकारियों, गवाहों और उमेश की हत्या की योजना बनाई।
सद्दाम और लल्लागिद्दी के साथ मिलकर ये प्लानिंग हुई। जेल के CCTV फुटेज इसके गवाह हैं। जेल में अशरफ से मिलने पर आने के लिए सद्दाम और अन्य लोग जेल के कर्मचारी और अधिकारियों को महंगे तोहफे और रुपए देता था।
अब आपको ये भी बताते हैं कि किस अफसर पर क्या आरोप लगा है...
अतीक-मुख्तार गिरोह के सदस्यों से जेल में मिलना मुश्किल
इधर, यूपी पुलिस और शासन के लिए चुनौती बने जेल में बंद माफियाओं और उनके गुर्गों से मिलने का सिस्टम बदल गया है। अब मुख्तार और अतीक गैंग के सदस्यों से कोई भी ऐसे ही नहीं मिल पाएगा।जेल में मुलाकात के समय लोकल इंटेलिजेंस ( LIU) की टीम भी रहेगी। यही नहीं तय समय सीमा के अंदर ही गुर्गों से जेल में मुलाकात हो सकेगी। मुलाकात करने वालों का एलआईयू रिकॉर्ड भी रखेगी। सरकार ने यह फैसला सुरक्षा कारणों से लिया है।
जेल प्रशासन ने अतीक और मुख्तार के गुर्गों को चिन्हित कर एक लिस्ट भी तैयार की है। चिन्हित गुर्गों से मिलने वालों का रिकॉर्ड मेनटेन किया जाएगा। बार-बार मिलने वाले के नामों की लिस्ट SSP और जिलाधिकारी को भी दी जाएगी। मुलाकात से पहले और बाद में मिलने वाले की सघन तलाशी होगी। यह आदेश पुलिस महानिदेशक कारागार द्वारा प्रदेश की सभी जेलों को भेजा गया है।
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