प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद के जिस 100 करोड़ की बिल्डिंग में पुलिस ने मंगलवार को रेड मारी थी, उसकी जांच में कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं। कभी माफिया के आर्थिक साम्राज्य का अहम हिस्सा रही इस बिल्डिंग में अतीक ने अपने दुश्मनों के लिए टॉर्चर रूम बनवा रखा था, तो वहीं दोस्तों के मनोरंजन के लिए रंगमहल।
यही वो दफ्तर है, जिसमें अतीक ने 2006 में उमेश पाल को किडनैप कर 3 दिनों तक रखा था। उमेश को भूखा रखा था। बिजली के शॉक दिए थे। इतना ही नहीं, अपने पक्ष में उमेश से बयान भी लिखवा लिया था। इस बिल्डिंग में पुलिस को क्या कुछ खास मिला? गुर्गों ने हथियार और कैश कहां छुपाया था? आपको सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं..
पानी के पंप के चैंबर में छिपाए थे हथियार
प्रयागराज के चकिया क्षेत्र में अतीक की बिल्डिंग है। इसमें घर और दफ्तर हैं। शहर के केंद्र सिविल लाइन्स से अतीक के दफ्तर की दूरी करीब 6 किलोमीटर है। प्रयागराज जंक्शन से केवल 2 किलोमीटर की दूरी पर चौफटका फ्लाईओवर के पास यह स्थित है। दैनिक भास्कर की टीम बुधवार दोपहर करीब दो बजे अतीक के दफ्तर पहुंची।
दफ्तर के आगे का हिस्सा एक बार मायावती की सरकार में 2006 में और दूसरी बार भाजपा की सरकार में 2020 में गिराया जा चुका है। आगे से तो यह तीन मंजिला भवन किसी भूत बंगले से कम नहीं लगता। चारों तरफ मलबा गिरा है। भवन के सामने सड़क तो दूसरी ओर कब्रिस्तान है।
अतीक के दफ्तर में पोर्च का एरिया पार करते हम उस जगह पहुंचे, जहां अतीक के मंगलवार को गिरफ्तार किए गए गुर्गों ने हथियार छिपा रखे थे। यह पानी के पंप का एक चैंबर है, जिसके अंदर शातिरों ने गन छिपा रखे थे। इस चैंबर के सामने एक मजार है। मजार के पास पीपल का एक बहुत बड़ा पेड़ है। इसी मजार के बगल में अतीक के मंगलवार को गिरफ्तार किए गए गुर्गे मोहम्मद कैश की निशानदेही पर प्रयागराज पुलिस ने जब खुदाई शुरू की, तो 10 वेपन मिले। इनमें एक कोल्ट पिस्टल भी थी।
फॉल सीलिंग तोड़ने पर भरभराकर गिरीं नोटों की गडि्डयां
इसी बरामदे के बगल में ग्राउंड फ्लोर पर ही एक कमरा मिला, जिसमें सेंट्रलाइज AC लगा था। इसमें आलीशान सोफा, फ्रिज भी रखा था। दफ्तर के इसी कमरे की फॉल सीलिंग में शातिरों ने 72 लाख 37 हजार रुपए छिपा रखे थे। पुलिस ने जब फॉल सीलिंग तोड़ी तो नोटों की गड्डियां भरभराकर गिरीं। बाकी 2 लाख 25 हजार रुपए पुलिस को पांचों गुर्गों की तलाशी में उनके पास से मिले थे। कुछ हथियार पुलिस को फॉल सीलिंग में भी रखे हुए मिले हैं।
अतीक ने 2006 में उमेश पाल को इसी टॉर्चर रूम में 3 दिन रखा था
मकान के ग्राउंड फ्लोर पर यह अतीक का टॉर्चर रूम है। बताया जा रहा है कि अतीक जिसे उठवाता था, उन पर इसी रूम में जुल्म किए जाते थे। इसमें न पंखा मिला और न ही कोई और साधन। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अतीक ने 2006 में उमेश पाल को गन पॉइंट पर अगवा कर लिया था। उसे 3 दिन तक इसी रूम में टॉर्चर किया गया था।
उमेश को बिजली के शॉक दिए थे
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, उमेश पाल को मारा-पीटा गया था। भूखा रखा गया था। बिजली के शॉक दिए गए थे। कहा जाता है कि अतीक ने उमेश को इतनी यातनाएं दीं कि वह डर गया। अतीक ने उमेश से जबरन हलफनामे पर अपने पक्ष में बयान लिखवा लिए थे। इसके बाद धमकी देकर छोड़ा था कि हमारे खिलाफ गवाही दी, तो अगली बार जिंदा नहीं छोड़ेंगे।
बाद में उमेश ने 2006 में ही अतीक और उसके भाई अशरफ के खिलाफ अपहरण और मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया था। 24 फरवरी को जब शूटरों ने उमेश को मौत के घाट उतार दिया, तो वह कचहरी से इसी केस की आखिरी गवाही देकर लौटे थे। इस मामले में अतीक और उसके भाई अशरफ को सजा मिलनी तय मानी जा रही है। उमेश अपहरण केस का फैसला 28 मार्च को आ सकता है।
सीढ़ी से ऊपर बेहद खास लोगों को ही जाने की अनुमति थी
अब आपको ग्राउंड फ्लोर के उस हॉल तक ले चलते हैं, जहां से ऊपर एक सीढ़ी जाती है। इस सीढ़ी से ऊपर माफिया के बेहद खास और VVIP गेस्ट को ही जाने की अनुमति थी। आम आदमी को केवल हॉल और उसमें बने अतीक के ऑफिस तक ही एंट्री मिलती थी। इस हॉल में अतीक अपनी चुनावी मीटिंग्स किया करता था।
यहां सीढ़ियों से ऊपर फर्स्ट फ्लोर पर जाने पर एक बेहद खास कमरा मिला। इस कमरे में मोटी कालीन की फर्श मिली। कमरे के तीन कोनों में राउंड बैठकें बनी हैं। इस पर भी बेशकीमती कालीन लगी मिली। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अतीक जब थक जाता था तो यहां आराम फरमाता था और अपने रंगमहल में मुजरा सुनता था।
इस खास तरह के कमरे तक किसी की भी एंट्री नहीं थी। केवल अतीक बेहद खास लोगों के साथ यहीं समय बिताता था। जब कोई खास मेहमान आता था, तब उसके लिए इस कमरे में बैठने की व्यवस्था की जाती थी।
किचन में बनी मिलीं रोटियां
अतीक के दफ्तर से आपराधिक गतिविधियां संचालित होती थीं और आगे का हिस्सा गिराए जाने के बाद भी इसका इस्तेमाल हो रहा था। इसका प्रमाण इस बात से मिलता है कि यहां जिस दिन पुलिस ने रेड मारी, किचन में ताजी रोटियां बनी मिलीं। इसके अलावा किचन में आलू-प्याज और सब्जियां भी पड़ी थीं। ऊपर के कमरे के सोफे साफ-सुथरे थे।
कमरे में महिलाओं के कपड़े भी मिले
एक कमरे में महिलाओं के भी कपड़े मिले हैं। यूज्ड और अनयूज्ड कंडोम भी मिले हैं। इस बात की भी आशंका है कि अतीक के गुर्गे यहां रंगरेलियां मनाते थे क्योंकि इस बिल्डिंग को 2006 में पहली बार गिराया गया था। तब से अधिकृत तौर पर यहां कोई नहीं रहता था। इस दफ्तर का अतीक के गुर्गे अभी भी प्रयोग कर रहे थे। पुलिस अब इस बात का पता लगा रही है कि यहां अभी किन लोगों का आना-जाना था? कहीं उमेश पाल मर्डर केस की प्लानिंग इसी दफ्तर में तो नहीं की गई।
उमेश पाल की हत्या के बाद छिपाए गए कैश और हथियार
माफिया अतीक अहमद के गुर्गे मोहम्मद कैश ने पुलिस को बताया कि 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या के बाद हथियार और कैश मुझसे इसी दफ्तर में छिपाने के लिए कहा गया था। ये रुपए किसको देने थे और यहां क्यों रखवाए गए थे, इस बात की मुझे जानकारी नहीं है। पुलिस इस बारे में मोहम्मद कैश से पूछताछ कर रही है।
पुलिस अतीक के गुर्गों से इस एंगल से भी पूछताछ कर रही है कि कहीं ये रुपए उमेश पाल हत्याकांड में शामिल रहे शूटरों को इनाम में तो नहीं देने थे। इससे पहले पुलिस की पूछताछ में यह बात सामने आ चुकी है कि अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन ने शूटरों को उमेश पाल का काम तमाम करने के एवज में बतौर एडवांस एक-एक लाख रुपए दिए थे।
गिरफ्तार 5 आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा
उमेश पाल की हत्या के मामले में मंगलवार को पुलिस ने जिन 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, उन्हें कोर्ट में पेश किया गया। चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने इन पांचों आरोपियों नियाज अहमद, मोहम्मद सजर, कैश अहमद, राकेश कुमार और अरशद कटरा उर्फ अरशद खान को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
इसी ऑफिस में मिले थे 10 वेपन
गिरफ्तार आरोपियों में कैश अहमद और राकेश कुमार की निशानदेही पर अतीक के ऑफिस पर मंगलवार को छापेमारी हुई थी। यहां हथियारों का जखीरा और 74 लाख 72 हजार रुपए बरामद किए गए। पुलिस ने उमेश पाल हत्याकांड में शामिल पांचों आरोपियों की भूमिका भी बताई है। नियाज अहमद ने रेकी की थी, नियाज के पास से फोन बरामद हुआ है जिसकी छानबीन चल रही है।
असद ने इंटरनेट कॉल पर अतीक अहमद और अशरफ से भी नियाज की बात कराई थी। मोहम्मद सजर ने उमेश पाल की कचहरी से लेकर घर तक की लोकेशन दी थी। ड्राइवर कैश अहमद और मुंशी राकेश कुमार शूटआउट के बाद असलहा और कैश छिपाने में शामिल थे, जबकि अरशद कटरा उर्फ अरशद खान पुलिसकर्मियों की मौत की साजिश में शामिल रहा है। पुलिस ने सभी आरोपियों को धूमनगंज थाना क्षेत्र के जयरामपुर से अरेस्ट किया था।
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उमेश पाल की हत्या के बाद से अतीक अहमद का नाम एक बार फिर चर्चा में है। परिवार दर बदर है, तो अतीक अहमदाबाद की जेल में बेचैन है, क्योंकि यूपी पुलिस उससे पूछताछ करने की तैयारी कर रही है। अतीक के जुर्म की एक लंबी दास्तान है, जो शुरू तो होती है प्रयागराज से, लेकिन मशहूर पूरे देश में है। पूरी खबर पढ़ें-
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