रायबरेली के ऊंचाहार क्षेत्र अंतर्गत शहजादपुर गांव के किसानों के लिए तो विदेशी नस्ल की सरस्वती व आयुष बॉक्स तरबूज ने जन्नत के द्वार खोल दिए हैं। ताइवानी मूल के तरबूज और खरबूज क्षेत्र के किसानों के लिए आमदनी दुगुना करने का जरिया बन गई है।
बेहतर स्वाद और मिठास की बदौलत सुल्तानपुर से लेकर बनारस तक की मंडियों में शहजाद पुर गांव के खरबूज व तरबूजे अपना जलवा बिखेर रहे हैं। इसके सिवा पास की मंडियों में भी यहां के तरबूज की जबरदस्त खपत है। इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए क्षेत्र के किसानों का रुझान तरबूज की खेती की ओर तेजी से बढ़ा है।
शहजाद पुर गांव में जिला सहकारी बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त हुए प्रदीप कुमार सिंह ने करीब दस साल पहले ताइवानी मूल के तरबूज की खेती करनी शुरू की थी। जिनसे सीख लेकर आज करीब 50 एकड़ भू-भाग पर तीन दर्जन से अधिक किसान तरबूज व तरबूज की खेती करने लगे हैं।
किसानों का कहना है कि गर्मी के मौसम में इसकी मांग अधिक होती है। जिसकी वजह से मुनाफा भी अधिक होता है। क्षेत्र से प्रतिदिन लगभग सौ कुंटल से अधिक खरबूजा व तरबूज का उत्पादन हो रहा है। इसे स्थानीय मंडी के अलावा रायबरेली, सलोन, कुंडा तथा सुल्तानपुर व बनारस भेजा जाता है।
गांव के किसान शारदा प्रकाश सिंह, पुष्पराज सिंह, सोनू सिंह, शत्रुघन सिंह, अतिन शर्मा, प्रकाश वर्मा, बच्चा मिश्र, हंसराज सिंह, पप्पू सिंह, रनबहादुर सिंह, मनीष मिश्र आदि का कहना है कि यह ढाई से तीन महीने की सबसे कम लागत वाली फसल है। जनवरी माह में इसकी नर्सरी डाल फरवरी माह के पहले सप्ताह में रोपाई का कार्य शुरू कर दिया जाता है। मंडियों में इसकी अच्छी मांग है। किसानों ने बताया कि दो हजार रुपए प्रति क्विंटल की दर से व्यापारी खेतों से ही तरबूज खरीद ले जाते हैं।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.