देवबंद में चल रहे जमीयत सम्मेलन के दूसरे दिन महमूद असद मदनी ने मुसलमानों से सब्र और हौसला रखने की अपील की। उन्होंने कहा, 'अगर वो अखंडता की बात करें तो धर्म है, अगर हम बात करें तो वो तंज माना जाता है। हम तुम्हें बताने की कोशिश कर रहे हैं, डराने की नहीं। तुम डराते हो और हम सिर्फ बता रहे हैं। डराना बंद कर दो। अपनों को भी और जिनको तुम गैर समझते हो उनको भी डराना बंद कर दो।'
मदनी ने कहा, 'हम गैर नहीं हैं। इस मुल्क के शहरी हैं। ये मुल्क हमारा है। अच्छी तरह समझ लीजिए... ये हमारा मुल्क है। अगर तुमको हमारा मजहब बर्दाश्त नहीं है तो कहीं और चले जाओ। वो बार-बार पाकिस्तान जाने को कहते हैं। हमें पाकिस्तान जाने का मौका मिला था, जिसे हमने रिजेक्ट कर दिया था।'
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मदनी ने कहा- पिछले 10 साल से सब्र ही कर रहे हैं
उन्होंने कहा, 'UP में सरकार आने के तीन दिनों बाद देवबंद से एक लड़का रेप केस में जेल गया। हम इसी देवबंद में स्काउट एंड गाइड के साथ मिलकर एक सेंटर बनाना चाहते हैं, जिसे दहशतगर्दी का अड्डा बताया जा रहा है।
6 दिन पहले हापुड़ में बन रही जमीयत की बिल्डिंग को बिना नोटिस सील कर दिया गया। हम यह बताना चाहते हैं कि कितना कुछ सहने के बाद भी हम चुप हैं। पिछले 10 साल से हम सब्र ही कर रहे हैं। फिर भी हमें परेशान होने की जरूरत नहीं है।'
मौलाना नोमानी बोले- मुसलमान अपने मजहबी लॉ में बदलाव मंजूर नहीं करेंगे
प्रोफेसर मौलाना नोमानी शाहजहांपुरी ने कॉमन सिविल कोड पर प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा, 'मुस्लिम पर्सनल लॉ को खत्म करने के लिए सरकार कॉमन सिविल कोड लाना चाहती है, जो बर्दाश्त नहीं होगा। शादी, तलाक जैसी चीजें मजहबी हिस्सा हैं। मुल्क के हर शहरी को आजादी का हक हासिल है। मुसलमान अपने मजहबी लॉ में कोई बदलाव मंजूर नहीं करेंगे। अगर सरकार ऐसा करती है तो हम हर तरह के विरोध को मजबूर होंगे।'
ज्ञानवापी पर उबेदुल्ला बोले- अतीत के मुरदों को उखाड़ने से बचना चाहिए
वाराणसी से आए हाफिज उबेदुल्ला ने ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा ईदगाह पर प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा, 'वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा की शाही ईदगाह और दीगर मस्जिदों के खिलाफ इस समय ऐसे अभियान जारी हैं, जिससे देश में अमन शांति को नुकसान पहुंचा है।
खुद सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद फैसले में पूजा स्थल कानून 1991 एक्ट 42 को संविधान के मूल ढांचे की असली आत्मा बताया है। इसमें यह संदेश मौजूद है कि सरकार, राजनीतिक दल और किसी धार्मिक वर्ग को इस तरह के मामलों में अतीत के गड़े मुरदों को उखाड़ने से बचना चाहिए। तभी संविधान का अनुपालन करने की शपथों और वचनों का पालन होगा, नहीं तो यह संविधान के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात होगा।'
जमीयत का 13 करोड़ का बजट पास
कांफ्रेंस की शुरुआत में जमीयत उलमा–ए–हिंद का सत्र 2022–23 का बजट पेश किया गया। इस सत्र का बजट 13 करोड़ 35 लाख 70 हजार रुपए का रखा गया है। इसमें दीनी तालीम और स्कॉलरशिप पर एक–एक करोड़ रुपए खर्च होंगे। डेढ़ करोड़ रुपए जमीयत फंड रिलीफ के लिए आरक्षित किए गए हैं। पिछले सत्र में करीब 8 करोड़ रुपए का बजट था, जो इस बार करीब 5 करोड़ रुपए बढ़ गया है। जमीयत की नेशनल कांफ्रेंस में इस बजट प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।
पहले दिन तीन प्रस्ताव पारित हुए
इन मुद्दों पर हुई चर्चा...
एक होंगी दोनों जमीयत उलमा-ए-हिंद
जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अधिवेशन में मौलाना महमूद मदनी और अरशद मदनी एक मंच पर दिखाई दिए। दोनों आपस में चाचा-भतीजे हैं। कुर्सी को लेकर फूट पड़ने के बाद दोनों अपनी-अपनी जमीयत के अध्यक्ष बन गए थे। लंबे वक्त बाद ऐसा हुआ, जब दोनों जमीयत प्रमुखों ने मंच साझा किया। दोनों ने ही एकजुटता का पैगाम दिया। मंच से अरशद मदनी ने कहा कि वह दिन दूर नहीं, जब दोनों जमीयत एक हो जाएंगी, क्योंकि दोनों जमातों का मकसद एक है। यहां पढ़ें कब अलग हुईं दोनों जमीयत
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