पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान देने वाली पूर्व बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा के खिलाफ शुक्रवार को यूपी में प्रदर्शन हुआ। नमाज के बाद निकली भीड़ ने नूपुर की गिरफ्तारी की मांग की। इसके बाद प्रदर्शन हिंसक हो गया। प्रयागराज के अटाला में विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया। प्रशासन का सूचना तंत्र पूरी तरह से फेल हो गया।
दो दिन पहले ही जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरसद मदनी का फोटो लगाकार विरोध प्रदर्शन की अपील की थी। पुलिस ने इसे देखते हुए 9 जून की सुबह से ही भीड़ वाले इलाके में गश्त बढ़ा दी थी। लेकिन पुलिस का सूचना तंत्र पूरी तरह से फेल हो गया।
प्रशासन धर्म गुरुओं की तरफ से हिंसा न होने के आश्वासन के भरोसे था। लेकिन जैसे ही सहारनपुर जामा मस्जिद में विरोध प्रदर्शन की खबर चली। प्रयागराज, मुरादाबाद में भी प्रदर्शन शुरू हो गया। सहारनपुर में पुलिस ने भीड़ को दौड़ा दौड़ाकर पीटा। प्रयागराज में भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया।
क्या पहले से थी तैयारी, सहारनपुर पुलिस को भनक नहीं?
जुमे की नमाज सहारनपुर में शांति से हुई। लेकिन जामा मस्जिद से निकले 'नारा-ए-तकबीर', 'अल्लाह-हू-अकबर' के नारे ने लोगों को सड़क पर ला दिया। मस्जिद में संख्या से ज्यादा भीड़ को देखकर भी जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन बवाल की मंशा को समझ नहीं सका। LIU तंत्र भी पूरी तरीके से फेल दिखाई दिया। जामा मस्जिद से निकलकर नमाजी उग्र हो गए और नारेबाजी करने लगे। उस समय जामा मस्जिद पर कुछ ही पुलिसकर्मी तैनात थे। पुलिस नमाजियों के नारों को नहीं समझ सकी। पुलिस समझ रही थी कि नारे लगाकर नमाजी निकल जाएंगे। लेकिन हुआ उसका उलटा।
जामा मस्जिद से घंटाघर चौक तक जाम
गुस्साई भीड़ नूपुर शर्मा मुर्दाबाद और फांसी दो के नारों के साथ जामा मस्जिद से निकलकर घंटाघर तक पहुंच गई। देखते ही देखते सैकड़ों लोगों की भीड़ हजारों की संख्या में बदल गई। डीएम अखिलेश सिंह, एसएसपी आकाश तोमर देवबंद में मोर्चा संभाले हुए थे। ज्यादातर पुलिस फोर्स भी उनके साथ थी। जबकि सहारनपुर नगर में मंडलायुक्त डॉ. लोकेश एम और आईजी डॉ. प्रीतिंदर सिंह मुस्तैद थे। लेकिन नगर में दोनों अधिकारियों का मोर्चा संभालना बेकार साबित हुआ है।
आईजी से उग्र भीड़ की नोकझोंक
घंटाघर पर उग्र भीड़ को शांत करने के लिए आईजी प्रीतिंदर सिंह सहित 20 से ज्यादा जवान करीब हजार लोगों की भीड़ को संभालने में लगे हुए थे। लेकिन भीड़ पुलिस के संभालने और समझाने से भी नहीं मान रही थी। ऐसे में पुलिस प्रशासन को थोड़ी सख्ती दिखानी पड़ी। तभी भीड़ ने पत्थरबाजी शुरू कर दी और पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। उग्र भीड़ नेहरू मार्केट की ओर दौड़ी और खुली दुकानों में लूटपाट की। दुकान के बाहर खड़ी बाइकों और सामान को भी तोड़ दिया।
डीएम ने जिम्मेदारी लेने वालों को लगाई फटकार
जुमे की नमाज को लेकर जिला प्रशासन लगातार धर्म गुरुओं और मुस्लिम समाज के लोगों के साथ मीटिंग कर रहा था। धर्मगुरु और मोजिज लोग भी कोई भी अप्रिय घटना होने की जिम्मेदारी ले रहे थे। लेकिन जुमे की नमाज के बाद भीड़ ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। डीएम ने सबसे पहले मुस्लिम समाज की जिम्मेदारी लेने वाले मोजिज लोगों को फटकार लगाई। डीएम बोले, क्या यह जिम्मेदारी निभाई। तुम तो बोल रहे थे कुछ नहीं होगा। ये क्या हुआ। गेट आउट, यहां दोबारा नहीं दिख जाना, नहीं तो इलाज कर दूंगा।
अरबी भाषा में कौन सा फरमान पढ़ा गया?
जुमे की नमाज के बाद जामा मस्जिद से अरबी भाषा में कोई फरमान पढ़ा गया। लेकिन कोई भी इस अनाउंसमेंट को समझ नहीं सका। लोगों ने कहा भी यह क्या बोला जा रहा है, जिस पर एक पुलिस अधिकारी ने जवाब दिया, होगा कुछ इनका। लेकिन किसी की समझ में न आए ऐसा क्या बोला गया। यह भी जांच का विषय है। क्योंकि इसके बाद ही भीड़ उग्र होकर सड़कों पर आ गई।
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