यूपी सरकार दो सालों में मुफ्त का राशन खाने वालों के खिलाफ सख्त है। उन परिवारों से राशन कार्ड सरेंडर करने की अपील की गई है, जो अपात्र है। सहारनपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है जो करोड़ों की संपत्ति का मालिक है। जो सरकार का राशन को मुफ्त में डकार रहा था। यह और कोई नहीं पूर्व एमएलसी और खनन माफिया हाजी इकबाल का मुंशी नसीम अहमद है। जिसका जिला पूर्ति विभाग में राशन कार्ड बना हुआ है।
कार्ड में पति-पत्नी के साथ आठ बच्चे भी दर्शाए गए है। दैनिक भास्कर को अरबों की संपत्ति के स्वामी नसीम अहमद का राशन कार्ड हाथ लगा है। जिससे पता चला कि अरबों की संपत्ति का स्वामी गरीबों के हिस्से का राशन डकार रहा है। लेकिन जिला पूर्ति विभाग को इसकी भनक तक नहीं है।
100 किलो राशन लेता था मुफ्त
यूपी सरकार ने कोरोना काल में प्रभावित लोगों के लिए मुफ्त राशन स्कीम चलाई थी। जिसमें कार्ड में प्रत्येक यूनिट के सदस्य को निशुल्क पांच किलोग्राम राशन दिया जाता है। लेकिन हाजी इकबाल का करीबी अरबों रुपये की संपत्ति का मालिक मुंशी नसीम अहमद इस योजना का लाभ उठा रहा है। राशन कार्ड नसीम की पत्नी अनवरी के नाम है। जिसमें उसका नाम भी है।
राशन कार्ड में नसीम के आठ बच्चों हीना, मोहम्मद अली, इकरा, मो.आमिर, मो.उमर, शहबान, फिरदौस और सना का नाम भी है। कोरोना काल में मुफ्त राशन महीने में दो बार दिया जाता है। प्रत्येक माह 100 किलो राशन सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान से ले रहा था। यह राशन कार्ड नया नहीं है, बल्कि 15 साल पुराना है।
600 बीघा जमीन और तीन चीनी मिल का है मालिक
हाजी इकबाल ने अपनी अवैध संपत्ति अपने परिवार, रिश्तेदार और नौकरों के नाम कर रखी है। जिसमें हाजी का खास मुंशी नसीम भी है, जिसके नाम 600 बीघा जमीन है। यहीं नहीं तीन चीनी मिल का मालिक भी है। हालांकि SIT जांच में मुंशी नसीम का सारा ब्यौरा निकालकर आधे से ज्यादा संपत्ति की कुर्की कर ली गई है। वहीं मुंशी नसीम को पिछले दिनों जेल भी भेजा जा चुका है।
विभाग की पकड़ में क्यों नहीं आया मामला?
नौकर नसीम का राशन कार्ड भी एक तरह से फर्जीवाड़े के तहत ही माना जा रहा है। राशन कार्ड जारी करने से पहले राशन डिपो संचालक और जिला पूर्ति निरीक्षक जांच पड़ताल करते हैं। प्रार्थना पत्र देने वाले की हैसियत के साथ सरकारी नौकरी, 4 पहिया वाहन, खेती की जमीन, घर में एसी, फैक्ट्री या फिर परिवार के मुखिया की आमदनी एक लाख रुपये से ऊपर तो नहीं, की जांच की जाती है। जिसके घेरे में सरकार विभाग के अधिकारी और कर्मचारी के साथ राशन डिपो होल्डर भी आ सकता है।
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