देवबंद के मुस्लिम नेता बोले-मस्जिद के इमाम छेड़छाड़ करते थे:चेले-चपाटों ने बलात्कार का प्रयास किया, इसलिए महिलाओं ने जाना छोड़ा

सहारनपुर4 महीने पहले
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अहमदाबाद में जामा मस्जिद के शाही इमाम शब्बीर अहमद सिद्दीकी ने कहा," इस्लाम में चुनाव में एमएलए, एमएलसी के टिकट औरतों को देना जायज नहीं। मस्जिद में नहीं आना चाहिए।" इस बयान पर देवबंद के मुस्लिम नेता नाराज हो गए हैं। राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के जिला संयोजक राव मुशर्रफ अली ने विवादास्पद बयान दिया। उन्होंने कहा, "इस्लाम में महिलाओं का मस्जिद में जाने की मनाही नहीं है। मुस्लिम महिलाओं ने मस्जिद में जाना इसलिए बंद कर दिया था, क्योंकि, वहां उनके साथ महिलाओं के साथ छेड़छाड़ करते थे और उनके चेले चपाटे महिलाओं के साथ बलात्कार करने का प्रयास करते थे।"

'इस्लाम में औरतों का बराबरी का मुकाम'

अहमदाबाद में जामा मस्जिद के शाही इमाम शब्बीर अहमद सिद्दीकी का फोटो।
अहमदाबाद में जामा मस्जिद के शाही इमाम शब्बीर अहमद सिद्दीकी का फोटो।

भाजपा की मुस्लिम विंग के नेता राव मुशर्रफ ने कहा, "इस्लाम में औरतों का बराबरी का हुक्म है। जब औरतें हज करने के लिए जाती है, तो कोई रुकावट नहीं है। इस्लाम का हुक्म है, औरत और मर्द दोनों हज करने के लिए जाते हैं। इस्लाम में महिलाओं की मस्जिद में जाने की कोई पाबंदी नहीं है।"

'इमामों की वजह से नहीं जाती थीं महिलाएं'
मुशर्रफ यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा," इस्लाम में महिलाएं पहले मस्जिद जाती थी। लेकिन मस्जिद के इमाम महिलाओं से गलत व्यवहार करते थे। उनके चेले चपाटे बलात्कार का प्रयास करते थे। इसलिए औरतों ने मस्जिदों में जाना बंद कर दिया।"

उन्होंने आगे कहा कि जब बांग्लादेश में शेख हसीना प्रधानमंत्री बन सकती है। पाकिस्तान में बेनजीर भूट्‌टो प्रधानमंत्री बन सकती हैं, तो भारत में क्यों नहीं? जबकि भारत में सबको आजादी मिली हुई। किसी पर कोई पाबंदी नहीं है। सबको वोट डालने और चुनाव लड़ने का अधिकार है। राव मुशर्रफ ने कहा कि यह मौलाना लोग कट्‌टवाद फैलाने के लिए ऐसी बयानबाजी करते हैं। यह रुढ़िवादी और अलगाववादी है। ऐसे मौलानाओं के बयानों पर प्रतिबंध लगना जरूरी है।

यह पहली बार नहीं है जब राव मुर्शरफ ने ऐसा बयान दिया है। पढ़िए...उनके पहले के कुछ बयान

  • 20 अक्टूबर 2021 को राव मुशर्रफ ने देवबंद में आतंकवादियों पर बड़ा बयान दिया। मुशर्रफ ने आतंकवादियों को शैतान की औलाद बताते हुए कहा था इन्हें दफनाना नहीं बल्कि ऐसे शैतानों को जलाना चाहिए अगर कोई उनके जनाजे में भी शामिल होता है तो वह कहीं न कहीं इनका समर्थक है।
  • 10 सितंबर 2022 को राव मुशर्रफ ने विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्थान द्वारा मदरसा संचालकों के सम्मेलन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। उनका कहना था देवबंद में जब भी उलेमाओं का बड़ा सम्मेलन होता है तो देश और प्रदेश की मौलानाओं को बुलाकर देवबंद में जहरीले और नफरत भरे बयान दिए जाते हैं।
  • 14 मई 2022 को राव मुशर्रफ ने कहा था दिल्ली के अंदर जो सड़कों के नाम औरंगजेब या मुगलों के नाम से हैं। उनके नाम बदलकर महाराणा प्रताप छत्रपति शिवाजी अब्दुल कलाम जैसे महापुरुषों के नाम पर होना चाहिए। क्योंकि, यह मुगल बादशाह हिंदुस्तान पर हमलावर रहे हैं। उन्होंने हमारे देश को लूटने का काम किया है।

'इस्लाम में औरतों का एक मुकाम'
दरअसल, गुजरात विधानसभा चुनाव के बीच अहमदाबाद में जामा मस्जिद के शाही इमाम शब्बीर अहमद सिद्दीकी ने कहा था, "नमाज के दौरान मस्जिद में एक भी औरत आपको नजर नहीं आई होगी। इस्लाम में सबसे ज्यादा अहमियत नमाज की होती है। अगर औरतों का इस तरह से लोगों के सामने आना जायज होता तो उन्हें मस्जिद आने से नहीं रोका जाता। मस्जिद से रोक दिया गया, क्योंकि इस्लाम में औरत का एक मुकाम है।"

शाही इमाम शब्बीर अहमद सिद्दीकी ने मुस्लिम महिलाओं के राजनीति में भाग लेने को गलत ठहराया था। उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को चुनावी टिकट देने वाले इस्लाम के खिलाफ हैं। इससे वे धर्म को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।