सहारनपुर में तीन दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश के चलते एक मकान की छत गिर गई। मलबे में मां-बेटी दबकर घायल हो गई थी। जिसमें किशोरी की मौत उपचार के दौरान हो गई। जबकि महिला के पैरों में गंभीर चोट आई है। आसपास के लोगों ने दोनों को मलबे से निकालकर अस्पताल पहुंचाया। मकान 70 साल पुराना था। मौके पर जिला प्रशासन की टीम पहुंची थी।
जर्जर अवस्था में पूरी बिल्डिंग
शहीद गंज बाजार की कर्णवाल मार्किट है। मार्किट के ऊपर मनोज कर्णवाल का मकान है। वह अपनी पत्नी मोनिका (52) और दो बेटियों वैष्णवी उर्फ कान्हा (16) व राधिका (21) के साथ रहते हैं। आसपास उन्हीं के अन्य परिवार के लोग भी रहते हैं। तीन दिनों से हो रही मसूलाधार बारिश के कारण मकान की छत गिर गई।
जिसमें मोनिका और वैष्णवी दब गई। मकान गिरने से आसपास चींख पुकार मच गई। आसपास के मार्किट के लोग ने पहुंचकर बमुश्किल दोनों को मलबे से बहार निकाला और हॉस्पिटल पहुंचवाया। जहां पर उपचार के दौरान वैष्णवी की मौत हो गई। किशोरी की मौत पर परिजनों में कोहराम मचा हुआ है।
बड़ी बेटी गई थी कंप्यूटर कोचिंग
मनोज रोजमर्रा की तरह अपनी रेडिमेंट की दुकान पर गया था। जो कर्णवाल मार्किट में ही है। बड़ी बेटी राधिका कंप्यूटर कोचिंग गई थी। घर में मनोज की पत्नी राधिका और वैष्णवी थी। वैष्णवी पलंग पर सो रही थी। वैष्णवी दिल्ली रोड के रेनबो स्कूल की दसवी कक्षा की छात्रा थी। जबकि महिला पास ही कुर्सी पर बैठी थी। अचानक से मकान की छत गिर गई।
छुट्टी नहीं होती तो बच सकती थी जान
बारिश के कारण डीएम अखिलेश सिंह ने सभी स्कूलों की छुट्टी घोषित कर दी थी। जिस कारण वैष्णवी भी छुट्टी पर थी। परिजनों ने बताया कि उसका 24 तारीख को पेपर था। लेकिन छुट्टी होने के कारण कैंसिल कर दिया गया था। जिस कारण वह घर पर ही थी। मां रोते-बिलखते बोली, 'यदि स्कूल खुले होते तो मेरी बेटी की जान बच जाती। उसका आज पेपर था।'
70 साल पुरान था मकान
कर्णवाल मार्किट 70 साल पुरानी है। जो चूना और ईंटों से बनी हुई है। जिसमें करीब 40 दुकानें है। मार्किट के ऊपर तीन परिवार रहते हैं। जिला प्रशासन और नगर निगम की लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ है। क्योंकि जर्जर भवनों का चार साल पहले सर्वे कराया गया था। जिसमें 150 जर्जर भवनों को चिन्हित किया गया था। प्रशासन ने उन्हें भवन खाली कराने के नोटिस भी दिए थे। लेकिन आज तक भी वह मकान खाली नहीं हुए है।
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