संभल में दरगाह हुजूर गौसे पाक का झंडा मुबारक के सालाना उर्स के दौरान मन्नत मांगने को हज़ारो लोगों का हुजूम आता जाता रहा। बच्चों को मन्नती दूल्हा बनाकर झंडा शरीफ पर सलाम कराने लाया गया। इस साल धूमधाम से उर्स का मेला लगा। 17वीं शरीफ की फातहा दिलाकर महफिलें सजाई गईं।
मौहल्ला फतेहउल्ला सराय स्थित दरगाह हुजूर गौसे पाक पर उर्स का तीन दिवसीय आयोजन हुआ। माहे रबी उल आखिर की ग्यारह तारीख से अठ्ठारह तारीख तक अकीदतमंदों ने हजरत शेख अब्दुल कादिर जिलानी गौसे ए आज़म के नाम की महफिल सजाकर कुरान ख्वानी, फातिहा कर लंगर तस्कीम किया गया। माहे रबी उल आखिर का महीना सिय्यदना गौसे आजम अब्दुल कादिर जिलानी रजीयल्लाहु ताआला अन्हु से मनसूब है। उर्स में संभल के अलावा दूर-दराज से जायरीन आकर हाजरी देते हैं। उर्स के मौके पर लंगर चलता है जो सभी के लिए होता है और उर्स आपसी भाईचारे का प्रतीक है। आखिर में 18वीं शरीफ को मुल्क और कौम की तरक्की के लिए दुआ के साथ उर्स का समापन किया गया।
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बुजुर्ग बगदाद शरीफ गए थे
नबील अहमद बताते हैं कि हर साल की तरह इस साल भी परंपरागत तरीकों से चांद की 11 तारीख से लेकर 17 तारीख तक यह उस मनाया जाता है। चांद की 18 तारीख को कुल शरीफ पर इसका समापन होता है। इस उसको हम हजारों सालों से मनाते आ रहे हैं किसी दौर में हमारे बुजुर्ग बगदाद शरीफ गए थे। वहां से यह झंडा लेकर आए थे, बगदाद शरीफ का यह झंडा है।यहां दूरदराज से लोग आते हैं, मन्नते मांगते हैं और उनकी मन्नते पूरी होती है।
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