संभल में किसानों ने अपनी 4 हजार हेक्टेयर में बोई हुई आलू की फसल पर ट्रैक्टर चलाकर उसको जोत डाला। किसानों ने अपने हाथों से अपनी मेहनत को उजाड़ दिया। किसानों का कहना है कि अक्टूबर के पहले हफ्ते में फसल की बुवाई की गई थी। 18 से 20 अक्टूबर के बीच बेमौसम बरसात हुई, जिससे लगभग 30 से 40% फसल को नुकसान पहुंचा है। इसमें लगभग 2 करोड़ का नुकसान झेल रहे हैं।
किसानों को हुआ नुकसान
उद्यान विभाग के अनुसार, इस साल अक्टूबर महीने के पहले हफ्ते में किसानों ने 8 हजार हेक्टेयर भूमि में आलू की फसल बोई थी। बागड़पुर निवासी राम बहादुर कहते हैं कि आलू की फसल बोते ही 15 दिन बाद कई दिन तक तेज मूसलाधार बारिश होती रही। बारिश ने आलू की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया था। इससे किसान परेशान थे। आलू की फसल बर्बाद हुई तो किसानों ने ट्रैक्टरों से आलू की 70 से 80 प्रतिशत फसल को जोत दिया है। अजरा निवासी अनिल कुमार, बसला की मढ़ैय्या निवासी राजेश सैनी, अझरा निवासी वीर सिंह और खिरनी निवासी छत्रपाल सिंह ने भी अपने खेतों पर आलू की फसल पर टैक्टर चला दिया।
बारिश ने खराब की मेहनत
अजरा निवासी अनिल कुमार ने बताया कि एक तरफ बारिश के कारण आलू की फसल बर्बाद हो चुकी है, दूसरी तरफ आलू का बीज भी महंगा हो गया है। इससे किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। जिला उद्यान अधिकारी सुघर सिंह का कहना है कि बारिश से संभल तहसील क्षेत्र में किसानों को आलू की फसल में काफी नुकसान हुआ है। इसकी एक रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
8 से 10 हजार रुपए प्रति बीघा आया था खर्च
कोरोना काल के बाद किसानों ने अपनी जमा पूंजी से आलू की फसल बोई थी। यहां किसानों को प्रति बीघा आलू की फसल बोने में 8 से 10 हजार बीघा का खर्चा आया था। बारिश के बाद दोबारा आलू की फसल लगाना मुमकिन नहीं है। ऐसे में आलू किसान पूरी तरह बर्बाद हो गया है।
बागड़पुर निवासी राम बहादुर, अजरा निवासी अनिल कुमार, बसला की मढ़ैय्या निवासी राजेश सैनी, अझरा निवासी वीर सिंह और खिरनी निवासी छत्रपाल सिंह ने अपने खेतों पर आलू की फसल पर टैक्टर चला दिया।
इस बार लगाई थी कम फसल
किसानों ने पिछले साल 19 हजार हेक्टेयर जमीन पर आलू की फसल लगाई थी। वहीं, इस बार किसानों ने 8 हजार हेक्टेयर पर आलू को लगाया था। उसमें से भी किसानों की आधी से ज्यादा फसल बर्बाद हो गई। जिला उद्यान अधिकारी सुघर सिंह ने बताया कि पिछले साल 19000 हेक्टेयर भूमि से 65000 मीट्रिक टन आलू का उत्पादन हुआ था। यह काफी अच्छा उत्पादन था और किसानों के लिए राहत भरा था।
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