आतंकी हमले में शाहजहांपुर का जवान शहीद हो गया है। थाना बंडा के अख्तियारपुर धौकल के रहने वाले सराज सिंह की तैनाती जम्मू कश्मीर के पुंछ सेक्टर में थी। सोमवार को वह सर्च ऑपरेशन में गए थे। जहां पहले से घात लगाए बैठे आतंकियों ने हमला कर दिया। जिसमें शाहजहांपुर के जवान समेत 5 जवान शहीद हो गए। परिजनों को सूचना मिलने के बाद सभी का रो-रोकर बुरा हाल है। गांव में मातम पसरा हुआ है।
सराज सिंह के पिता के नाम विचित्र सिंह है। वह तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। उनके भाई गुरप्रीत और सुखबीर भी सेना में हैं। सुखबीर छुट्टी में घर आए हुए हैं। उन्होंने बताया कि छोटा भाई सराज सिंह सभी का लाडला था। सेना के उनको सराज सिंह के शहीद होने की सूचना मिली है। लेकिन अभी ये नहीं बताया गया कि आखिर उनका पार्थिव शरीर कब तक घर आएगा। सराज की एक साल पहले ही शादी हुई थी। उधर, सराज सिंह के शहीद होने की सूचना पर ग्रामीणों और रिश्तेदारों का आना शुरू हो गया है।
क्या है मामला?
आतंकवाद से जंग के दौरान भारतीय सेना को बड़ा झटका लगा है। सोमवार को पुंछ में आतंकवादियों के खिलाफ एक ऑपरेशन के दौरान एक जेसीओ समेत 5 सैनिक शहीद हो गए हैं। सूत्रों के मुताबिक सैनिकों की यह शहादत उस वक्त हुई, जब एक टुकड़ी आतंकवादियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन कर रही थी। इसी दौरान आतंकवादियों ने घात लगाकर सैनिकों की टुकड़ी पर हमला कर दिया, जिसमें एक जेसीओ समेत 5 सैनिक शहीद हो गए। फिलहाल भारतीय सेना की ओर से अतिरिक्त फोर्स को मौके पर भेजा गया है और इलाके की घेराबंदी कर ली गई है। हमलावर आतंकियों से मुठभेड़ जारी है।
इसलिए बढ़ रहा आतंक
जम्मू कश्मीर के पुंंछ में सोमवार को पांच सैनिक शहीद हो गए। इससे पहले पिछले कुछ महीनों से लगातार आम लोग आतंकियों के निशाने पर हैं, उनकी हत्या की जा रही हैं। ऐसे सवाल में उठ रहा है कि अचानक पिछले एक महीने के दौरान कश्मीर और LOC पर आतंक कैसे और क्यों बढ़ रहा है? सिक्योरिटी एक्सपर्ट इसकी दो प्रमुख वजह बता रहे हैं। पहली- अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद पाकिस्तान में बैठे आतंकियों की हिम्मत बढ़ी हुई है। उनका मानना है कि जब वो सुपर अमेरिका को हरा सकते हैं तो कश्मीर भारतीय सुरक्षा बलों को भी मात दी जा सकती है। दूसरी- घाटी में पिछले कई सालों यह ट्रेंड रहा कि सर्दी आने से आतंकी घटनाएं और घुसपैठ दोनों बढ़ जाती है, क्योंकि एक महीने बाद बर्फबारी के चलते सीमा पार से आना बेहद मुश्किल हो जाता है।
आतंकी घटनाएं बढ़ने का अनुमान
जम्मू-कश्मीर के पूर्व DGP और सिक्योरिटी एक्सपर्ट एसपी वेद कहते हैं कि एक तरफ माहौल बन रहा है कि आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं में कमी आई है, पत्थरबाजी की घटनाएं कम हुई हैं, आतंकियों की संख्या भी कम हुई है। दूसरी तरफ तालिबान के आने के बाद से आतंकियों का मनोबल बढ़ा हुआ है। पाकिस्तान की आर्मी और ISI को लग रहा है कि उन्होंने दुनिया फतह कर ली है।
'आने वाले दिनों में आतंकी घटनाएं और बढ़ने का अनुमान है। ISI की कोशिश होगी कि अफगानिस्तान से हथियार और आतंकियों को कश्मीर की तरफ डायवर्ट किया जाए। हमें समझना होगा कि सीमा पर पहले जैसे हालात नहीं हैं, अब हमारी सीमा फेंस्ड है, लेकिन सुरक्षाबलों को फुल अलर्ट पर रहने की जरूरत है। कश्मीर ही नहीं बाकी देश में भी सुरक्षाबलों को अलर्ट पर रहना चाहिए।'
एक साल में 25 लोगों की हत्या की जा चुकी है
दरअसल जम्मू-कश्मीर से 370 हटाए जाने के दो साल बाद घाटी में आतंक ने अपना नाम, निशाना और तरीका तीनों बदल लिए हैं। आतंक के नए नाम हैं- द रजिस्टेंस फ्रंट यानी TRF और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट यानी ULF। उनके निशाने पर हैं- ऐसे गैर-मुस्लिम जो पढ़ाने-लिखाने या बाहर से आकर यहां काम कर रहे हैं। उनके निशाने पर वो मुसलमान भी हैं, जो सियासी गतिविधियों का हिस्सा बन रहे हैं या पुलिस में हैं।
अब बात बदले हुए तरीके की। आतंकियों की यह नई पौध AK-47 या ग्रेनेड जैसे हथियारों की जगह अचानक करीब आकर पिस्टल जैसे छोटे हथियारों से अपने शिकार को मार रही है।
पिछले एक साल में इसी तरह 25 लोगों की हत्या की जा चुकी है। पिछले पांच दिनों में ऐसी सात वारदातों में सात लोग मारे गए हैं। गुरुवार को श्रीनगर के एक सरकारी स्कूल में दो गैर मुस्लिम टीचर्स को गोली मार दी गई।
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