श्रावस्ती धान की कटाई के बाद ज्यादातर किसान अपने खेतों में बचे फसल अवशेष पराली को खेतों में ही जला देते हैं। जिसको लेकर प्रशासन सख्त हो गया है। प्रशासन के द्वारा अब नोडल अधिकारियों की तैनाती की गई है। जो फसल अवशेष प्रबंधन जलाने वाले किसानों पर निगरानी रख रहे हैं।
इसके साथ-साथ किसानों को जागरूक भी कर रहे हैं कि फसल अवशेष को ना जलाएं और फसल अवशेष को स्थानीय गौशाला में ले जाएं। जहां से गोबर की देसी खाद लाएं जिससे फसल में पैदावार भी बढ़ेगी और भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ेगी। फिर भी बावजूद इसके जो किसान अपने खेतों में फसल अवशेष पराली को जलाएंगे उन पर दंडात्मक कार्रवाई करने के भी निर्देश जारी किए गए हैं।
जिलाधिकारी ने नामित नोडल अधिकारियों को निर्देशित किया है कि फसल के अवशेष प्रबन्धन की जानकारी के लिए जनपद स्तरीय गोष्ठी प्रशिक्षण में दिए गए निर्देशों का प्रचार-प्रसार भी करे। आवंटित न्याय पंचायत के समस्त ग्राम पंचायतों में स्थानीय जन प्रतिनिधि एवं ग्राम प्रधानों के साथ बैठक कर फसल अवशेष प्रबन्धन के बारे में जागरूक करें।
कृषि विभाग द्वारा वितरित किये जाने वाले वेस्ट डी-कम्पोजर के प्रयोग हेतु कृषकों को प्रशिक्षण दें ताकि कृषक वेस्ट डी-कम्पोजर का प्रयोग करके फसल अवशेष को खाद में परिवर्तित कर अपने खेतों में उसका प्रयोग कर सके।
आवंटित न्याय पंचायत में पराली जलने की घटनाओं की निगरानी सैटेलाइट द्वारा भी की जा रही है। वही जनपद के समस्त किसानों से अपील करते हुए कहा गया है कि खेतों में पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषित भी होता है। जिससे मानव के साथ साथ अन्य जीव जंतुओं के स्वास्थ्य पर अत्यंत विपरीत प्रभाव पड़ता है।
धान की पराली जलाने से खेतों की उर्वरक क्षमता भी घटती है। इससे फसल उपज में उनकी ही हानि होती है। इसलिए वे अपने खेतों में धान की पराली कदापि न जलायें । इस सम्बंध में व्यापक प्रचार प्रसार के जरिये सभी को अवगत कराया जा चुका है। अब भी यदि किसान पराली जलाते हैं तो यह माना जायेगा कि वे जानबूझकर अपराध कर रहे हैं और उनको प्राप्त होने वाली सरकारी सुविधाएं रोकी जा सकती हैं।
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