सुप्रीम कोर्ट ध्वनि प्रदूषण पर अपने फैसले में कह चुका है कि जबरदस्ती ऊंची आवाज यानी तेज शोर सुनने को मजबूर करना मौलिक अधिकार का हनन है। इस आदेश की धज्जियां जिस तरह यूपी के सुल्तानपुर में हो रहे विसर्जन शोभा यात्रा के दौरान उड़ी शायद ही कही उड़ी होगी। स्थिति ये थी कि डीजे की ध्वनि इस कद्र तेज थी कि शोभा यात्रा में आए हुए श्रद्धालुओ तक ने अपने कानो में उंगली और रूई लगा रखा था। माएं गोद के बच्चों के कान अपने हाथों से बंदकर शोभा यात्रा में चलती हुई देखी गई।
दरअस्ल सुल्तानपुर की ऐतिहासिक दुर्गापूजा की विसर्जन शोभा यात्रा को रविवार रात डीएम-एसपी ने ठठेरी बाजार से रवाना किया था। अधिकारियों के नाक के नीचे ही फुल स्पीड में डीजे बजते रहे लेकिन कोई एक अधिकारी साउंड कम करने के लिए केंद्रीय समिति से नहीं कह सका। बस फिर क्या था शहर भर में हर ओर डीजे की धारा प्रवाह आवाजें लोगो को कान बंद कर जीने पर मजबूर करने लगी।
अस्पताल के पास तक तेज गति से बजाया गया डीजे
यही नहीं राहुल चौराहा, बाधमंडी, शाहगंज चौराहा, इलाहाबाद रोड, डाकखाना चौराहा, बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन, गभड़िया इन स्थानो से जितनी बार आसपास के लोग प्रतिमाएं लेकर डीजे बजाते गुजरे सोते लोग जाग उठे। मरीज का सांस लेना दूभर हो गया। इसके अलावा चौक-गंदानाला ये तो वो स्थान रहे जहां रात-दिन पूरे शबाब पर डीजे बजाया गया। हद तो ये हो गई कि जिला अस्पताल के पास से भी जो भी डीजे गुजरा वो फुल स्पीड में बजता हुआ ही गुजरा। ऐसे में विसर्जन यात्रा में आए बच्चे, नवजवान, महिलाएं किसी ने उंगलियों से कान बंद कर लिया तो किसी ने कान का पर्दा बचाने के लिए रूई का प्रयोग किया। माओ की गोद में मौजूद नौनिहालों के कान पर माओ ने हाथ रख दिया कि कहीं मासूम के कान का पर्दा फट ना जाए।
जागरूक लोगो ने किया सूचित प्रशासन ने किया अनसुना
वैसे ऐसा नहीं है कि प्रशासन इससे अंजान था। शनिवार और रविवार से ही शहर के सैकड़ों सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जागरूक नागरिकों और पत्रकारों ने सूचना देना शुरू कर दिया था कि डीजे की कान फाडू आवाज शहर का चैन उड़ा रहा है। लेकिन सोशल मीडिया पर पैनी नजर रखने वाला पुलिसिया तंत्र इस सूचना को अनसुना कर गया।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि सार्वजनिक स्थल पर लगे लाउडस्पीकर की आवाज उस क्षेत्र के लिए तय शोर के मानकों से 10 डेसिबल (ए) से ज्यादा नहीं होगी या फिर 75 डेसिबल (ए) से ज्यादा नहीं होगी, इनमें से जो भी कम होगा वही लागू माना जाएगा। जहां भी तय मानकों का उल्लंघन हो, वहां लाउडस्पीकर व उपकरण जब्त करने के बारे में राज्य प्रविधान करे।।
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