सुल्तानपुर सांसद मेनका गांधी अवैध आरा मशीनों को लेकर सख्त हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर जिले भर में चल रही अवैध आरा मशीनों पर शिकंजा कसने को लेकर अफसरों को निर्देश दिए हैं। इससे साफ है कि पर्यावरण को लेकर वो सजग हैं, लेकिन शहर में सौंदर्यीकरण को लेकर जिस तरह हरे पेड़ों पर आरे चले, उस पर सांसद भी चुप्पी साधे हैं। सवाल वाजिब है कि आखिर फिर यह दोहरी नीति क्यों?
शहर के अंदर चल रहा सौंदर्यीकरण
दरअसल, दूसरे कोरोना काल के बाद से सांसद के निर्देश पर शहर के अंदर सौंदर्यीकरण चल रहा है। लखनऊ रोड पर शहर के अमहट-गभड़िया, सब्जी मंडी-बस स्टॉप, गोलाघाट-डाक खाना चौराहा और अब प्रयागराज रोड पर दरियापुर आदि स्थानों पर वर्षों पुराने हरे पेड़ों पर धड़ाधड़ आरे चले। इसके लिए बिजली सप्लाई तक बाधित की गई। इन पेड़ों के काटने के पीछे वजह सड़कों का चौड़ीकरण थी। अभी भी शहर की सड़कों के किनारे पेड़ों की कटान जारी है।
उधर, बुधवार को सांसद मेनका गांधी ने विकास भवन के मीटिंग हाल में अधिकारियों के साथ दिशा की बैठक ली थी। इसके बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा था कि दिशा की बैठक में जिले की समस्त पशु हॉट, अवैध आरा मशीन और अवैध भट्ठों को बंद करने का निर्णय लिया गया है। सही है जिले में अलग-अलग तहसील क्षेत्रों में अवैध आरा मशीनें वन विभाग और पुलिस के संरक्षण में चलती भी हैं। जिन पर रोक लगना चाहिए। लेकिन शहरी क्षेत्र में जिस तरह हरे पेड़ों की दिन-रात कटाने हुई, आखिर सांसद ने उस समय पर्यावरण संरक्षण की क्यों नहीं सोची? इसका जवाब देने से भी वो कतराती रही हैं।
लंभुआ तहसील में कुल 12 लाइसेंसी आरा मशीने हैं
जानकारी के मुताबिक जिले के लंभुआ तहसील में कुल 12 लाइसेंसी आरा मशीने हैं। इसमें से भदैया के हनुमानगंज मे दो, कामतागंज, छतौना, कंधईपुर, लंभुआ में दो कोईरीपुर सहित 12 मशीने हैं। जिनमें एक बंद है। अहिमाने में एक प्लाइवुड फैक्ट्री है। इन सबके अलावा तीनों थाने मे रोजाना अवैध व प्रतिबंधित हरे पेड़ की कटान जारी है। अभी हाल ही मे कोतवाली देहात के सराय अचल और भरपुरा मे करीब 15 आम के पेड़ काटे गये थे। इसकी शिकायत वन क्षेत्राधिकारी लंभुआ मो. इब्राहीम से की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
सभी तहसीलों में संचालित हैं आरा मशीनें
वहीं जयसिंहपुर तहसील क्षेत्र में सरकारी अभिलेखों में कुल 8 आरा मशीनें है। जिनमें दियरा, बगियागांव, गोसाईंगंज मिलाकर छह वैध आरा मशीन संचालित हैं। वहीं दो आरा मशीन बंद पड़ी हैं। जिसका नामांतरण किया जा रहा है। 3 प्लाई फैक्ट्रियां भीं यहां संचालित हैं। हालांकि वन विभाग की मिलीभगत से आधा दर्जन से अधिक अवैध आरा मशीनें क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर संचालित हैं। जहां धड़ल्ले से हरे पेड़ों की कटान कर लाए गए लकड़ियों की सप्लाई की जाती है। कमोबेश यही हालात बल्दीराय तहसील क्षेत्र और कादीपुर तहसील क्षेत्र का भी है।
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